अब सहकारी सोसायटी में अपराध करने पर 50 हजार व अनियमितता करने पर 25 हजार रुपये अर्थदण्ड लगेगा


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स्टोरी हाइलाइट्स

सहकारी सोसायटी में अपराध करने पर न्यायालय में सिध्ददोष ठहराये जाने पर 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा जबकि सोसायटी में अनियमितता करने पर रजिस्ट्रार सहकारिता द्वारा 25 हजार रुपये तक का अर्थदण्ड लगाया जायेगा..!!

भोपाल: मप्र सरकार ने पिछले साल दिसम्बर 2024 के विधानसभा सत्र में पारित जन विश्वास एक्ट के मध्यम से मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 में किये गये संशोधनों को लागू कर दिया है। अब किसी भी सहकारी सोसायटी में अपराध करने पर न्यायालय में सिध्ददोष ठहराये जाने पर 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा जबकि सोसायटी में अनियमितता करने पर रजिस्ट्रार सहकारिता द्वारा 25 हजार रुपये तक का अर्थदण्ड लगाया जायेगा। 

अपराध में शामिल रहेगा : 

एक, संचालक मंडल या उसके कोई अधिकारी या सदस्य द्वारा जानबूझकर मिथ्या रिपोर्ट करना या मिथ्या जानकारी देना या लेखे रखने में बेईमानी से चूक करना या बेईमानी से लेखे रखना। 

दो, सोसायटी का कोई अधिकारी स्वयं के फायदे के लिये उधार मंजूर करता है। 

तीन, सोसायटी का कोई अधिकारी या सदस्य द्वारा किन्हीं पुस्तकों, कागज पत्रों या प्रतिभूतियों को नष्ट करना, परिवर्तित करना, गुप्त रखना या कपटपूर्ण प्रविष्टि करना। 

चार, सोसायटी के अधिकारी या सदस्य द्वारा सोसायटी की सम्पत्ति का कपटपूर्ण विक्रय, अंतरण, बंधक या दान करना। 

पांच, सोसायटी के संचालक मंडल के चुनाव में या उसके बाद में भ्रष्ट आचरण करना। 

छह, सोसायटी के अधिकारी द्वारा पुस्तकें, अभिलेखों, नकदी, प्रतिभूति तथा अन्य संपत्ति की कस्टडी रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्त व्यक्ति को जानबूझकर नहीं सौंपना। 

इसी प्रकार, अनियमितता में शामिल रहेगा : 

एक, सोसायटी के लिये मिले अंशदान को 14 दिन के अंदर बैंक या डाकघर खाते में जमा नहीं करना। 

दो, निर्माणाधीन सोसायटी के संग्रहित अंशदान का उपयोग कारोबार में करना। 

तीन, रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्त व्यक्ति को सोसायटी के सदस्य द्वारा सोसायटी के दस्तावेज जानबूझकर पेश न करना। चार, किसी समन या विधिपूर्ण आदेश का उल्लंघन करना।

यह प्रावधान खत्म किया :

सहकारी सोसायटी एक्ट के उस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है जिसमें गृह निर्माण सहकारी सोसायटी की साधारण सभा में बिना पूर्व सूचना के शामिल न होने पर 200 रुपये तक का जुर्माना लगता था। 

इसी प्रकार, अब सहकारिता रजिस्ट्रार द्वारा की जा रही जांच में सोसायटी के किसी अधिकारी या सदस्य द्वारा सहयोग नहीं किया जाता है या दस्तावेज नहीं दिये जाते हैं तो उस पर 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा। पहले यह कार्यवाही मजिस्ट्रेट के माध्यम से होती थी।