जनहित के निर्णयों में तेजी से होगा आम जन को लाभ: सरयूसुत मिश्रा


स्टोरी हाइलाइट्स

जनहित के निर्णयों में तेजी से होगा आम जन को लाभ: केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने सभी मंत्रालयों को निर्णय प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए...

जनहित के निर्णयों में तेजी से होगा आम जन को लाभ सरयूसुत मिश्रा   केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने सभी मंत्रालयों को निर्णय प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं। कैबिनेट सचिव ने सभी सचिवों की बैठक लेकर प्रक्रियागत कारणों से फाइलों के मूवमेंट और जनहित के निर्णय में देरी पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भावनाओं से उन्हें अवगत कराया. उन्होंने  कहा की व्यापार और आम लोगों से जुड़े मामलों में निर्णय में देरी चिंताजनक है। प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि उनकी सरकार का लक्ष्य मिनिमम गवर्नमेंट एंड मैक्सिमम गवर्नेंस है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव सभी मंत्रालयों को यही व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दे रहे हैं। सरकार मैं वर्किंग मैनुअल के अंतर्गत फाइलों के मूवमेंट के लिए केवल 4 लेवल निर्धारित हैं. लेकिन अभी कई मंत्रालयों में फाइल डिस्पोजल के छह लेबल हैं. इसके कारण फाइलों पर निर्णय की प्रक्रिया में विलंब होता है।। सभी मंत्रालयों से अपने मंत्रालयों से आवश्यक प्रक्रियागत सुधार करने को कहा गया है. सुधारों में फाइल मूवमेंट लेवल को कम करना और फाइलों के मूवमेंट के लिए समय सीमा निर्धारित करना शामिल है । मंत्रालय में डिजिटल सिस्टम लागू होने के बावजूद फाइलें पुरानी तर्ज़ पर चल रहीहैं। निर्णय प्रक्रिया में देरी के लिए जवाबदेही निश्चित नहीं है। किसी भी फाइल का डिस्पोजल समय सीमा में होना चाहिए। कई बार तो ऐसा होता है कि फाइलें चक्कर काटती रहती हैं. उन फाइलों में शामिल विषयों पर निर्णय में विलंब के कारण जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। मंत्रियों में विभिन्न लेवल्स पर डेलीगेशन ऑफ पावर के कारण फाइलों पर निर्णय रुके रहते हैं। कैबिनेट सचिव ने सभी मंत्रालयों के सचिवों को पत्र भी लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि फाइलों के त्वरित निराकरण के लिए अधिकारों का विकेंद्रीकरण और फाइलों के चैनल को कम करने के साथ ही जो भी प्रक्रियागत सुधार आवश्यक हों तत्काल उन पर अमल किया जाए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रालयों में निर्णय में हो रहे विलंब को बेस्ट गवर्नेंस में बाधक बताया है। प्रधानमंत्री ने निर्णयों में तेजी के लिए कई प्रयोग किए हैं। मंत्रालयों में संयुक्त सचिव स्तर पर तकनीकी लोगों को सीधे नियुक्त करने की पहल भी इसी प्रक्रिय का अंग है. भारतीय प्रशासनिक सेवा को  प्रशासन का आधार माना जाता है। इस सेवा के अधिकारियों के बारे में जो अनुभव आते जा रहे हैं उनके आधार पर अब इस सेवा के अधिकारियों को सर्वश्रेष्ठ स्वीकार करने पर भी सवाल खड़े हो गए। इस सेवा के अधिकारियों के कई ऐसे कारनामे उजागर हुए हैं, जिनने इस सेवा पर ही प्रश्न चिन्ह लगाया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों लोकसभा में भी यह कहा कि इस सेवा के अधिकारी सर्वश्रेष्ठ हैं, ऐसा नहीं माना जी आना जाना चाहिए। भारतीय प्रशासन के सर्वोच्च पदों पर प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों पर यह जिम्मेदारी है कि इस सेवा पर कोई प्रश्न नहीं खड़े हों । यह सेवा वास्तव में सेवा का ही माध्यम बने और और इस सेवा के प्रति लोगों लोगों का विश्वास बढ़े। प्रशासनिक सुधार के लिए समय-समय पर प्रयास किए गए, लेकिन जनता को भी यही महसूस हो रहा है कि थोड़े बहुत सुधार भले हुए हो लेकिन मूल रूप से फाइलों की गति अधिकारियों की मर्जी पर ही निर्भर होती है। कैबिनेट सचिव द्वारा केंद्रीय मंत्रालयों में सुधार की प्रक्रिया आवश्यक है. ऐसा माना जा सकता है कि जल्दी ही मंत्रालय की प्रक्रिया में बदलाव होगा और फाइलों पर निर्णय मैं तेजी आएगी।