मप्र में जनविश्वास कानून के दो और प्रावधान लागू हुये


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स्टोरी हाइलाइट्स

राज्य सरकार ने विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देने के लिये आठ अधिनियमों में जन विश्वास कानून लाकर बदलाव किया है जिसमें समझौता शुल्क लेकर प्रकरण समाप्त करने का प्रावध्याान किया गया है..!!

भोपाल: मप्र में जन विश्वास कानून 2024 के दो और प्रावधान लागू कर दिये गये हैं। इनमें शामिल हैं : मप्र असंगठित कर्मकार कल्याण मंडल अधिनियम 2003 की नई धारा 36ए तथा मप्र औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 की नई धारा 93ए। 

दरअसल, राज्य सरकार ने विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देने के लिये आठ अधिनियमों में जन विश्वास कानून लाकर बदलाव किया है जिसमें समझौता शुल्क लेकर प्रकरण समाप्त करने का प्रावध्याान किया गया है और न्यायालय के माध्यम से दोषसिध्दी का प्रावधान खत्म कर दिया है जिससे व्यवस्थायें अपराधमुक्त हो सकें। इन आठ अधिनियमों में किये गये बदलाव को धीरे-धीरे लागू किया जा रहा है जिनमें अब उक्त दो अधिनियमों के बदलाव लागू किये गये हैं। 

मप्र असंगठित कर्मकार कल्याण मंडल अधिनियम 2003 में श्रम निरीक्षक को निरीक्षण न करने देने, उसे बाधा पहुंचाने तथा इस अधिनियम के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करने पर न्यायालय में अभियोजन की कार्यवाही का प्रावधान था जिसे अब बदल दिया गया है तथा समझौता शुल्क देने पर अब अभियोजन की कार्यवाही नहीं होगी और पहले की गई अभियोजन कार्यवाही न्यायालय से वापस ले ली जायेगी। 

ऐसा ही मप्र औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 में किया गया है तथा अब किसी कर्मचारी की गलत बर्खास्तगी, अवैध ताला बंदी घोषित करने, अवैध हड़ताल करने, हड़ताल व तालाबंदी के लिये भडक़ाने, सुलह के दौरान गोपनीय जानकारी प्रकट करने, अवैध परिवर्तन करने, किसी व्यक्ति को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने पर अब न्यायालय में अभियोजन की कार्यवाही नहीं की जायेगी तथा समझौता शुल्क लेकर मामले का निपटारा कर दिया जायेगा और पहले की गई अभियोजन की कार्यवाही न्यायालय से वापस ले ली जायेगी।