मप्र के जल मार्ग में क्रूज टूरिज्म के विकास का मास्टर प्लान बना


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स्टोरी हाइलाइट्स

नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर के शंकराचार्य प्रतिमा जिसे स्टेच्यु ऑफ वननेस कहा जाता है, से गुजरात के सरदार पटेल की प्रतिमा जिसे स्टेच्यु ऑफ यूनिटी कहा जाता है, तक क्रूज टूरिज्म का विकास करने के संबंध में राज्य के नर्मदा घाटी विकास विभाग ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया है..!!

भोपाल: मप्र के जल मार्ग विशेषकर 1 हजार 77 किलोमीटर तक बहने वाली नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर के शंकराचार्य प्रतिमा जिसे स्टेच्यु ऑफ वननेस कहा जाता है, से गुजरात के सरदार पटेल की प्रतिमा जिसे स्टेच्यु ऑफ यूनिटी कहा जाता है, तक क्रूज टूरिज्म का विकास करने के संबंध में राज्य के नर्मदा घाटी विकास विभाग ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया है तथा इस पर जल संसाधन विभाग से अभिमत मांगा गया है। 

मास्टर प्लान में सोन नदी, चम्बल रिवर, वैनगंगा रिवर, बेतवा नदी, ताप्ती-सिन्ध-तवा-बरगी जलाशयों मेंं भी पर्यटन गतिविधियों के विकास के बारे में कहा गया है इंदिरा सागर, रानी अवंतिबाई लोधी सागर बरगी तथा चम्बल परियोजनाओं की खुली नहरों में भी कृषि सामग्रियों जैसे फर्टिलाईजर्स,बीज, कृषि उपकरण आदि का नौवाहन द्वारा परिवहन करने की रुपरेखा बताई गई है। 

बेतवा रिवर में तो ओरछा के पास इलेक्ट्रिक बोट सर्किट बनाने पर जोर दिया गया है। वैनगंगा रिवर के माध्यम से बालाघाट से भण्डारा तक अंतर्राज्यीय नौपरिवहन विकसित करने के लिये भी कहा गया है। सोन नदी पर डेडीकेटेड मिनरल कारेडोर वाटरवे बनाने पर जोर दिया गया है जिससे सिंगरौली एवं शहडोल की कोलफील्ड और बाक्साईट खदानों से पावर प्न्लांट्स को जल मार्ग के द्वारा खनिज की सप्लाय हो सके।