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जनधन के चंदन से नारी वंदन  

सार

मोहन की चुनावी बांसुरी बज गई है. भले ही विधानसभा चुनाव को अभी तीन  साल हैं लेकिन जमावट शुरू हो गई है. दीपावली से लाड़ली बहना को मिलने वाली राशि बढाकर ₹1500 करने का ऐलान किया गया है..!!

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विस्तार

    बीजेपी ने मध्य प्रदेश में पिछला चुनाव इसी योजना के दम पर ही जीता था. अगले चुनाव की विजय की रणनीति भी इसी योजना की भूमि पर खड़ी की जा रही है. चुनाव के पहले फिर एक बार इस योजना की राशि में वृद्धि की जाएगी. 

    सीएम डॉ. मोहन यादव अपनी दबंग निर्णायक क्षमता के लिए जाने जाते हैं. अधिकांश नेता अफसरों के दबाव में देखे जाते हैं लेकिन मध्य प्रदेश में जिस तरह के फैसले हो रहे हैं, उससे यही दिखाई पड़ता है कि, मोहन यादव निर्णायक फैसले लेते हैं. 

    भोपाल, इंदौर में बीआरटीएस को हटाया गया तो इसका क्रेडिट मोहन यादव को ही जाएगा. पिछले दो मुख्यमंत्रियों ने नए पदोन्नति नियम बनाने के मधुमक्खी के छत्ते में हाथ नहीं डाला. नौ साल तक अधिकारी कर्मचारी बिना पदोन्नति लिए रिटायर होते गए. अब मोहन यादव ने ही नए पदोन्नति नियम बनाने का साहस दिखाया है. किसी भी निर्णय का पक्ष-विपक्ष स्वाभाविक है, लेकिन इससे डरकर निर्णय ही ना लिया जाए यह मजबूत शासन की शैली नहीं हो सकती है. 

    लाड़ली बहना योजना के  शिल्पकार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे हैं. जब यह योजना पहली बार वह लेकर आए थे, तमाम सवाल उठे थे. ऐसा माना जा रहा जा रहा था इसका क्रियान्वयन नहीं हो सकेगा. महिलाओं के खातों में पैसा देने की योजना सही ढंग से क्रियान्वित करना एक चुनौती थी.

    राज्य सरकार ने उस चुनौती को पूरा किया. इसी योजना ने ही एमपी में चुनाव की दिशा बदली थी. इसी के कारण तो सारे चुनावी सर्वेक्षण और विश्लेषकों के विश्लेषण फेल हो गए थे. यह अनुमान नहीं लगाया जा सका था कि, यह योजना कितना असर चुनाव में डालेगी. लेकिन परिणामों ने यह साबित किया कि,इस योजना के कारण एमपी में बीजेपी को चुनावी जीत हासिल हुई.

     चुनावी घोषणा पत्र में यह ऐलान किया गया कि इस योजना की राशि को बढ़ाकर ₹3000 किया जाएगा. मोहन यादव ने चुनावी मिड टर्म प्लान के रूप में इस योजना की राशि को बढ़ाकर ₹1500 करने का ऐलान कर दिया है. साथ में यह भी कहा है कि, धीरे-धीरे इसको और बढ़ाया जाएगा.  इससे साफ होता है कि, लाड़ली बहना योजना की चुनावी जीत को गारंटी को बारीकी से पकड़ लिया गया है. 

    यह अकेली ऐसी योजना है, जिस पर ईमानदारी से अमल होता रहा तो फिर मध्य प्रदेश में बीजेपी के विजयी रथ को रोकना मुश्किल होगा. वर्तमान में लगभग एक करोड़ सत्ताइस लाख महिलाओं को लाड़ली बहना की राशि मिल रही है. रक्षाबंधन पर महिलाओं को अलग से शगुन दिया जाता है. अगले चुनाव से पहले सरकार इस योजना में नई महिलाओं को शामिल करने का अभियान भी प्रारंभ कर सकती है. इससे संख्या में वृद्धि संभव है.

     पिछले विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या दो करोड़ तेहत्तर लाख थी. लगभग 76% महिलाओं ने मतदान किया था. कई जिलों में तो पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का मत प्रतिशत था. इस दृष्टि से कुल महिला मतदाताओं में से लगभग आधी महिलाओं को बीजेपी सरकार द्वारा लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत सीधे लाभान्वित किया जा रहा है.   

   बैंक खाते में सीधे राशि मिलने से इन महिलाओं का एम्पावरमेंट भी हो रहा है. सबसे बड़ा सवाल लाड़ली बहना योजना में लगने वाले धन प्रबंधन का है. ऐसा बताया जाता है कि, लगभग रुपये 25000 करोड़ इस योजना में हर साल खर्च होते हैं. कई राज्यों में मध्य प्रदेश की योजना को अपनाया गया है लेकिन यह योजना जितने बेहतर ढंग से प्रदेश में चल रही है, उतना अन्य राज्यों में क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है.

    महाराष्ट्र जैसे राज्यों में योजना की समीक्षा कर महिलाओं की संख्या में कमी की गई है. मध्य प्रदेश अकेला राज्य है जहां इस योजना में राशि को बढ़ाने की घोषणा की गई है.

    राज्य सरकारों के सामने आर्थिक संकट है. मध्य प्रदेश सहित सभी राज्य सरकार कर्जों के जाल में है. मध्य प्रदेश में तो राज्य का सालाना बजट और कर्ज लगभग एक समान हो गया है. लाड़ली बहना में राशि बढ़ेगी तो निश्चित रूप से दूसरे मदों में कटौती करनी पड़ेगी. क्योंकि यह योजना सरकार की चुनावी जीत के लिए लाभकारी साबित हुई है, इसलिए सरकार हर हालत में इसके लिए वित्तीय प्रबंध सुनिश्चित करेगी. लाड़ली लक्ष्मी योजना के हितग्राही परिवार इसके अतिरिक्त हैं.

    अगले चुनाव के पहले विधानसभा, लोकसभा में महिला आरक्षण का युग प्रारंभ होने की संभावना है. नारी वंदन की इस योजना को क्रियान्वित करने का क्रेडिट भी बीजेपी को ही मिलेगा. चुनावी जीत का गहना बन चुकी लाड़ली बहना योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के साथ ही बीजेपी के चुनावी सशक्तिकरण का आधार बन गई है.

    शिवराज सिंह चौहान जब पहली बार मुख्यमंत्री बनाए गए थे तब उन्हें भी कई वरिष्ठों के बीच महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया था. उन्हें राजनीतिक परिस्थितियों को संतुलित करने में लंबा समय लगा था. मोहन यादव ने सत्ता सूत्रों को पकड़ने में जल्दी सफलता प्राप्त कर ली है. राजनीतिक टकरावों को दरकिनार करते हुए उन्होंने अपनी लकीर खींचने का काम किया है. पार्टी विचारधारा के मुद्दों को भी प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया है.

     कृष्ण पाथेय और राम वनगमन मार्ग पार्टी विचारधारा के ही मुद्दे हैं और इस पर सरकार ने न केवल बजट उपलब्ध कराया है बल्कि काम भी प्रारंभ हुआ है. प्रदेश में गीता भवनों का निर्माण हिंदुत्व के एजेंडे को ही आगे बढाने का प्रयास है. 

   योगी आदित्यनाथ की भगवा वेशभूषा जैसे हिंदुत्व की विचारधारा का प्रतीक बनी हुई है, वैसी ही झलक मोहन के तिलक में दिखती है. जनधन से नारी वंदन तभी सफल होगा जब बेहतर वित्तीय प्रबंधन किया जाएगा. शासन संचालन में मित्तव्ययता और ईमानदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा.