भोपाल: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की फील्ड डारेक्टर राखी नंदा ने वन्यजीव के शिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए नर्मदा पुरम, भोपाल, बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों में पदस्थ अधिकारियों को गोलबंद किया है। यही नहीं, नंदा की अगुआई में एक परिदृश्य-आधारित रणनीति (Landscape-based Strategy) तैयार की गई है। इसमें फील्ड स्तर से लेकर वरिष्ठ स्तर तक सभी शासकीय सेवकों की जिम्मेदारियों का स्पष्ट निर्धारण किया गया है। इन जिलों के एरिया सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के टाइगर्स के कॉरिडोर के अंतर्गत आते हैं।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की फील्ड डारेक्टर राखी नंदा यह कदम 21 अगस्त को बाघ का शिकार होने के बाद उठाया है। शिकारी पर शिकंजा करने के लिए फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने नर्मदा पुरम, भोपाल, बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों में पदस्थ डीएफओ, एसडीओ और फ्रंट लाइन स्टॉफ और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की सहभागिता और उनकी जिम्मेदारियां सुनिश्चित की है। 4 जिलों के अफसर के लिए एक साझा रणनीति तैयार की है।
इसके मुताबिक इस रणनीति में M-STrIPES एप का नियमित उपयोग, नियमित समीक्षा एवं समन्वय बैठकें, तथा अन्य विभागों (पुलिस, राजस्व, रेलवे, मतस्य, विद्युत् विभाग एवं STSF आदि) के साथ नेटवर्क सुदृढीकरण को अभिन्न अंग बनाया है।
अपने-अपने क्षेत्राधिकार में सुनिश्चित करें..
भोपाल बैतूल और छिंदवाड़ा सर्किल में पदस्थ सभी वन संरक्षक और डीएफओ से अनुरोध है कि इस रणनीति को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में क्रियान्वित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की करें। साथ ही समय-समय पर इसकी प्रगति रिपोर्ट आपके कार्यालय में संकलित कर इस कार्यालय को भी प्रेषित करने का कष्ट करें।
वन्यजीव संरक्षण एक चुनौती..
सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व एवं इसके आस-पास के वन क्षेत्रों में वन्यजीव संरक्षण एक सतत चुनौती है। शिकार एवं अवैध गतिविधियों न केवल जैव-विविधता को हानि पहुँचाती हैं, बल्कि पूरे परिदृश्य की पारिस्थितिकी पर गहरा असर डालती हैं। इस हेतु एक लैंडस्केप-आधारित रणनीति तैयार की गई रही है, जिसमें टाइगर रिज़र्व एवं उसके आसपास के सभी वन वृत्तों के अधिनस्थ वनमंडल मिलकर साझा उत्तरदायित्व निभाएँगे।
प्रमुख उद्देश्य..
* वन्यजीव शिकार एवं अवैध गतिविधियों की रोकथाम।
* सतत निगरानी एवं आधुनिक तकनीकों का प्रयोग।
* स्थानीय समुदाय एवं अन्य विभागों के साथ समन्वय।
* परिदृश्य स्तर पर एकीकृत संरक्षण दृष्टिकोण।
भूमिकाएँ एवं जिम्मेदारियों..
वनरक्षक : गश्त (फूट / व्हीकल पेट्रोलिंग / एलीफैंट / बोट) की नियमितता और वन अपराधों का संज्ञान, प्रत्येक घटना की तत्काल सूचना और M-STrIPES / AI आधारित मोबाइल एप से रिपोर्टिंग। इसके अलावा कैमरा ट्रेप या किसी भी व्यक्ति द्वारा सांझा किए गए टाइगर के छायाचित्र को तत्काल परिक्षेत्र अधिकारी, उप वनमंडलाधिकारी के माध्यम से वनमंडलाधिकारी तक पहुंचाना। बीट में विचरण कर रहे बन्यत्राणियों विशेष रूप से बाघ की एवं उनके मूवमेंट क्षेत्र की पहचान, सतत निगरानी, अभिलेखन एवं वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल सूचना देना।
प्रत्येक सप्ताह में एक बार संवाद.
इस रणनीति के तहत फॉरेस्ट गार्ड को सप्ताह में एक दिन ग्रामीण और संयुक्त वन समितियों से संवाद करने का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण समुदायों को समस्त योजनाओं, वन्यप्राणी सुरक्षा, अग्नि सुरक्षा इत्यादि पर जागरूक करना। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में किसी मांसाहारी वन्यप्राणी का विचरण हो तो मुनादी करवाकर ग्रामीणों को जागरूक करना ताकि किसी भी प्रकार का मानव वन्यप्राणी द्वंद न हो। आस-पास के परिक्षेत्र सहायकों के साथ 15 दिवस में न्यूनतम एक बार बैठक एवं संयुक्त गश्ती किया जाए।
वनपाल अथवा डिप्टी रेंजर का दायित्व..
बीट निरीक्षण, बीट गार्ड की गश्त की निगनी एवं समन्वय, स्वयं की मासिक गश्त और MSTrIPES गश्त एवं अपने परिक्षेत्र सहायक वृत्त के वनरक्षकों की गश्त से प्राप्त डाटा की निगरानी और विश्लेषण करना है। इसके साथ ही गश्त मार्गों का वैज्ञानिक निर्धारण, आवश्यकता अनुसार कैमरा ट्रेपिंग, वन अपराधों का संज्ञान एवं समय पर निराकरण, सूचना तंत्र को विकसित करना।
क्या करेंगे रेंजर..
बीट निरीक्षण, स्वयं की मासिक गश्त, पूर्णिमा के दो दिन पूर्व एवं दो दिन बाद तक परिक्षेत्र स्तर पर रात्रि गश्त सुनिश्चित करवाना। विशेष पर्वो पर आवश्यकता अनुसार विशेष गश्त का आयोजन।
परिक्षेत्र स्तर की गश्त की निगरानी एवं समन्बय।
MSTrIPES गश्त एवं अपने परिक्षेत्र में प्राप्त डाटा की निगरानी, विश्लेषण और आवश्यकता अनुसार सुधार। नियमानुसार पेट्रोलिंग केम्प / वन चौकी पर रात्रि विश्राम।
पेट्रोलिंग केम्पों / वन चौकियों का सुदृढीकरण। संदिग्ध गतिविधियों पर अन्य एजेंसियों/पुलिस से समन्वय।