भोपाल: कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे और डीएफओ नेहा श्रीवास्तव विवाद मामले की अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है। इस एपिसोड के मुख्य किरदार एवं बालाघाट वन मंडलों में ठेकेदारी करने वाले फहीम खान को बयान दर्ज कराने जांच समिति ने भोपाल तलब किया है। संभवतः 17 अक्टूबर को ठेकेदार फहीम खान के बयान जांच समिति की प्रमुख एवं एपीसीसीएफ कमालिका मोहन्ता के समक्ष दर्ज होंगे।
विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने अपने बयान में ठेकेदार फहीम को नहीं पहचानने की बात कही है। उन्होंने केवल अज्ञात नंबर से आए कॉल के ट्रू कॉलर में फहीम लिखे होने की जानकारी दी है। जबकि फहीम खान ने वन विभाग में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए ठेके लिए हैं।
खान बालाघाट जोन के वनमंडलों में पांच साल से एकतरफा सामाग्री प्रदाय करने से लेकर निर्माण कार्य तक कर रहा है। खान को उपकृत करने के फेर में ही एक डीएफओ को चार सीट जारी हो चुकी है। बावजूद इसके डीएफओ नेहा श्रीवास्तव द्वारा ठेकेदार फहीम खान को नहीं पहचाने जाने का बयान देना भी अनेक सवालों को जन्म देता है। सूत्रों का कहना है कि फहीम खान ने ही डीएफओ नेहा श्रीवास्तव और कांग्रेस विधायक अनुभव मुजरे के बीच बातचीत करने का आयोजन कराया था।
एक माह का बीता समय, नहीं हो पाई जांच पूरी
जांच के लिए एक माह से अधिक का समय बीत चुका है। जांच टीम ने अभी तक प्रतिवेदन हॉफ को नहीं सौंपा है। इस प्रकरण में अब तक सात लोगों के बयान दर्ज हो चुके हैं। विधायक-डीएफओ अड़ी बाजी विवाद मामले की जांच दो सदस्यीय टीम कर रही है। नियत समय में जांच पूरी नहीं होने पर अब कार्यवाही में सवाल भी उठने लगे हैं। डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त को पीसीसीएफ भोपाल को पत्र लिखकर विधायक अनुभा मुंजारे पर गंभीर आरोप लगाए थे।
उनका कहना था कि 16 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश होने के बावजूद उन्हें बालाघाट स्थित फॉरेस्ट रेस्ट हाउस बुलाया गया, जहां विधायक ने निजी स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में विधायक ने 2-3 पेटी अवैध पैसों की मांग की। पैसे न देने पर विधायक ने कथित तौर पर न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार के लिए भी अपमानजनक और असंयमित भाषा का उपयोग किया। इस शिकायत के आधार पर वन विभाग ने 3 सितंबर को दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। जिसमें वर्ष 1997 बैच की आईएफएस अधिकारी व अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक कमालिका मोहन्ता और वन संरक्षक बैतुल वासु कनोजिया शामिल किया।
इन लोगों के हो चुके हैं बयान दर्ज
इस मामले में 12 सितंबर को जांच अधिकारी बालाघाट पहुंचे। दोनों ही अधिकारियों ने पहले सीएफ गौरव चौधरी से मुलाकात कर इस प्रकरण में चर्चा की। इसके बाद फारेस्ट रेस्ट हाउस में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के वाहन चालक मुरारीलाल कोरी और रेस्ट हाउस के स्थायीकर्मी चुन्नीलाल ऐड़े से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए। इसके बाद डीएफओ नेहा श्रीवास्तव और डीएफओ अधर गुप्ता से इस प्रकरण में चर्चा कर उनके भी बयान लिए गए। इसी दिन शाम करीबन 4 बजे विधायक अनुभा मुंजारे से सर्किट हाउस में चर्चा कर उनके बयान को लिपीबद्ध किया। इसके विधायक के गनमेन और अब्बू शाह के लिखित बयान दिए हैं। इस तरह से इस प्रकरण में अब तक सात लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
किसे बचाने कार्यवाही में की जा रही देरी
विधायक-डीएफओ विवाद मामले में आखिरकार किसे बचाने के लिए देरी की जा रही है। जबकि विभाग के 3 सितंबर को जारी आदेश में दो सप्ताह में जांच कर प्रतिवेदन राज्य सरकार को सौंपने के निर्देश दिए गए थे। इस आदेश को एक माह 10 दिन का समय बीत गया। लेकिन अधिकारियों ने अभी तक जांच पूरी नहीं की है। इससे स्पष्ट होता है कि जांच अधिकारी किसी न किसी को बचाने के लिए जांच में देरी कर रहे हैं ताकि मामला पूरी तरह से सेटलमेंट हो जाए और रिपोर्ट बचाने वाले के अनुसार तैयार हो सकें। जांच में देरी होने से जांच टीम की कार्यप्रणाली भी अब संदेह के घेरे में आ गई है।