भोपाल: आईएफएस अफसरों के परफॉर्मेंस एनुअल रिपोर्ट (पीएआर) को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के सवा महीने बाद राज्य सरकार ने बुधवार को संशोधित आदेश जारी कर दिया है। सरकार के नए आदेश में डीएफओ और सीएफ के पीएआर पर कलेक्टर-कमिश्नर को अलग से टिप्पणी लिखने का प्रावधान किया गया है। जो कि कलेक्टर-कमिश्नर की टिप्पणियां डीएफओ-परेशानी का सबब बन सकती है।
ब्यूरोक्रेट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आईएफएस अफसरों की बड़ी जीत की खुशफहमी भी दूर कर दी। खबर छपने के दूसरे दिन ही राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर महीने भर बाद शासन ने आदेश किया है। इस आदेश से आईएफएस अफसरों में मायूसी है। नए आदेश में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) के पीएआर लिखने के चैनल से वन बल प्रमुख को पूरी तरह से आउट कर दिया है। यानि पीसीसीएफ स्तर के अफसर वन बल प्रमुख के नियंत्रण से मुक्त रहेंगे।
बुधवार को जारी आदेश के अनुसार जिला कलेक्टर, जिला स्तर पर संचालित विकास कार्यों जिसमें डीएफओ की भूमिका रहती है, के क्रियान्ययन के संबंध में उप वन संरक्षक (क्षेत्रीय) के प्रदर्शन पर अपनी टिप्पणियां एक अलग शीट पर दर्ज करेंगे। यह शीट प्रतिवेदक अधिकारी अर्थात वन संरक्षक अथवा मुख्य वन संरक्षक को भेजी जाएगी, जो अपनी राय दर्ज करते समय इस पर विचार कर करें।
इसी तरह संभागीय आयुक्त, जिला स्तर पर संचालित विकास कार्यों के क्रियान्वयन के संबंध में वन संरक्षक एवं मुख्य वन संरक्षक वन संरक्षक (क्षेत्रीय) द्वारा डीएफओ के पर्यवेक्षण पर अपनी टिप्पणियां एक अलग शीट पर दर्ज करेंगे। यह शीट प्रतिवेदक अधिकारी अर्थात अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) को भेजी जाएगी, जो अपनी राय दर्ज करते समय इस पर विचार करेंगे।
ब्यूरोक्रेट के संशोधन का आधार..
लंबी जद्दोजहद के बाद ब्यूरोक्रेट ने सुप्रीम कोर्ट के ने अपने फैसले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली मंत्रालय के 8 नवंबर 2001 में जारी परिपत्र का जिक्र किया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों में से एक भारतीय वन सेवा के सदस्यों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखने के संबंध में था। तब सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों तक, रिपोर्टिंग प्राधिकारी वन विभाग में तत्काल वरिष्ठ अधिकारी होना चाहिए।
केवल प्रधान मुख्य वन संरक्षक के मामले में ही रिपोर्टिंग प्राधिकारी सेवा से संबंधित व्यक्ति के अलावा कोई अन्य व्यक्ति होगा क्योंकि भारतीय वन सेवा में उनसे वरिष्ठ कोई नहीं है। 2001 में वन विभाग में प्रधान मुख्य वन संरक्षक का एक ही पद हुआ करता था। यही विभाग के मुखिया हुआ करते थे। वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक से ऊपर वन बल प्रमुख का पद है। इस आधार पर बुधवार को जारी आदेश न्याय संगत नहीं माना जा रहा है।
कलेक्टर और कमिश्नर के लिए 2001 में क्या था प्रावधान..
राज्य सरकार, यदि आवश्यक हो, तो कलेक्टरों और आयुक्तों को निर्देश दे सकती है कि वे जिला प्रशासन द्वारा वित्तपोषित विकास कार्यों (20-सूत्री कार्यक्रम सहित) के कार्यान्वयन के संबंध में भारतीय वन सेवा अधिकारियों के कार्यनिष्पादन के बारे में एक अलग पृष्ठ पर अपनी टिप्पणियाँ दर्ज करें, ताकि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखते समय वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उन पर विचार कर सकें। इसके बाद भी पूर्व में प्रचलित गोपनीय मूल्यांकन रिपोर्ट की प्रक्रिया में कलेक्टर और कमिश्नर आउट थे।