सिंगरौली जिले के दूरस्थ और अत्यंत पिछड़े विकास खंड देवसर में 1400 हेक्टेयर वन भूमि को अड़ानी समूह को कोयला उत्खनन के लिए केंद्र सरकार ने आवंटित कर दिया। लगभग 6 लाख परिपक्व पेड़ जो अधिकतर साल प्रजाति के है उनकी कटाई शुरू हो गई और अब तक 40000 हज़ार पेड़ो की जघन्य हत्या भी काट कर किया जा चुका है। साल के साथ, महुआ, चिरौंजी, आंवला, तेंदू, बीजा, बहेड़ा हर्रा प्रजाति के वृक्ष जो स्थानीय आदिवासी, वन वासी समुदाय के आजीविका का मुख्य साधन है। यह हजारों वर्षों से अनवरत जारी था अचानक तुगलकी आदेश से खत्म किया जा रहा है।
सिंगरौली के जंगल अनादि काल से विंध्य के ऑक्सीजन बैंक रहे है। अब एक सत्ता के क़रीब व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए इस बैंक में डाका डाला जा रहा है। उल्लेखनीय है कि धीरौली के ये जंगल हजारों वर्षों में एक इकोसिस्टम के रूप में परिवर्तित हुआ है । लाख प्रयत्न के बाद भी हम साल के ये जंगल जो जैव विविधता से परिपूर्ण नहीं तैयार कर सकते। यहाँ जैव विविधता में जिसमें कीट, पतंगे, चिड़िया, रेप्टाइल्स, हरबी बोर एवं यहां तक कि खाद्य शृंखला का राजा बाघ तक शामिल है। लोकल ट्राइबल्स के लिए औषधीय पौधों की खदान है यह झिरौली का जंगल। कोरोना काल ने स्पष्ट संदेश दिया था की ऑक्सीजन कितना महत्व पूर्ण है।
मानवजाति के लिए फिर कुछ ही वर्षों में स्वार्थी मानव सत्ता के नशे में मदमस्त होकर सब भूल कर अपने और अपनों के पैरों में कुल्हाड़ी मारने के लिए तैयार है। मैं कल 10 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी के प्रदेश के गणमान्य फैक्ट्स फाइंडिंग कमेटी के साथ झिरौली जंगल गया था। प्रशासन ने पुलिस और अर्ध सैनिक हजारों जवान और अधिकारी इसलिए लगा रखे थे कि हम लोग स्पॉट जहां जंगल काटा जा रहा है वहां तक ना पहुंच पाए। जब हम जंगल के रास्ते से झिरौली जा रहे थे तो रास्ते के जंगल में एक अजीब सी उदासी और अनमनापन सा महसूस हुआ। शायद इसलिए कि उनके परिवार के सदस्यों को काटा जा रहा था। वहां निवास करने वाले हजारों जीव जन्तुओं का घर उजाड़ा जा रहा है।
मूक बधिर प्राणी सिर्फ़ सन्नाटा बिखेर कर अपना दुख प्रगट कर रहे थे। स्थानीय निवासियों ने बतलाया कि इतनी कोयले की धूल निकलती है की उनका खाना पीना दूभर हो गया है। अगल बगल के खेतों की फसले सूख चुकी है।
कांग्रेस पार्टी ने वन,एवं वनवासियों के हितो की सुरक्षा हेतु ऐतिहासिक पैसा एक्ट और वनाधिकार अधिनियम लाए परंतु इस बर्बर सत्ता ने इसे धीरौली के इकोसिस्टम, जैव विविधता और आदिवासी- वनवासी समुदाय को लाभ और सुरक्षा ना पहुंचे इसका पूरा प्रबंध किया । 9 अगस्त 23 में प्रश्न क्रमांक 3370 में लोक सभा में उत्तर दिया गया की धीरौली और बांधा की कोयला की खदान जो स्ट्रेटेक मिनरल्स रिसोर्सेज ( अड़ानी ग्रुप) को स्वीकृत की गई उसे सविधान की 5वी अनुसूची की धारा में नोटिफाइड है और पैसा एक्ट के अंतर्गत गवर्न होगी यानी ग्राम सभा के विधिमान्य निर्णय के बाद ही खदान स्वीकृत होगी । परंतु दिसंबर महीने के विधान सभा के प्रश्न के उत्तर में बतलाया गया कि यह क्षेत्र अब 5 वी अनुसूची के अंदर नहीं आ रहा है।
यदि डिनोटिफाइड किया गया तो क्या ग्राम सभा में इसका प्रस्ताव पारित हुआ? डीनोटिफिकेशन का आदेश कहां है? ऐसा लगता है नियम, कानून सब तक में रख कर देश के वन पर्यवरण की एवं इस पर आश्रित अत्यंत ग़रीब समुदाय की आजीविका को खंड खंड कर छत वीक्षत किया जा रहा है। हो सकता है पुनः आप एन केन प्रकारेंन सत्ता में आ जाय पर आप अपने संतति को क्या दे कर जाएगे ।
गणेश पाण्डेय