भोपाल: वन विभाग के कतिपय शीर्ष अफसर वित्तीय वर्ष 2022-23 में वन बल प्रमुख द्वारा लिए गए निर्णय को बदलने जा रहें हैं। इस संबंध में गुरुवार को दोपहर बाद एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई हैं। इस बैठक में निर्णय किया जाएगा कि वन क्षेत्रों में बांस पोल से फेसिंग होगी या नहीं..? यदि बांस पोल से फेसिंग नहीं किए जाने का निर्णय होता है तो प्रदेश के 10-12 लाख किसानों की अतिरिक्त आय बंद हो जाएगी। इस खबर की भनक लगते ही किसानों में रोष है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने सभी सीसीएफ एवं नेशनल पार्क एवं सेंचुरियों के फील्ड डायरेक्टर को पत्र लिखकर देसी किया है कि वन क्षेत्रों में किए जाने वाले कार्य हेतु क्षेत्र के घेराव के लिए लकड़ी अथवा बांस के उपचारित खंबो का ही उपयोग किया जाना सुनिश्चित करें. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि आरसीसी पोल अथवा अन्य पोल की आवश्यकता हो तो इस कार्यालय से अनुमति प्राप्त करें।
अब मौजूदा वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव रिटायर्ड होने के एक महीने पहले पलटने जा रहें हैं। विभाग में चर्चा है कि आरसीसी पोल सप्लायर्स सिंडिकेट के दबाव में टिम्बर पोल और बांस पोल से घेराव नहीं करने का फैसला लिए जाने के लिए ही गुरुवार को बैठक बुलाई गई है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में बांस मिशन के डायरेक्टर पी धीमान बांस किसानों के हित को दृष्टिगत रखते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे।
उनका कहना है कि यदि ट्रिटेड बांस पोल लगाए जाएंगे तो उनमें न तो दीमक लगेंगे और न ही खराब होंगे। बांस-बल्ली के प्रयोग होने पर विभाग को 2-3 करोड़ रूपये की बचत होगी, क्योंकि आरसीसी पोल 350-450 रूपये प्रति पोल सप्लाई हो रही है। जबकि बांस और टिम्बर पोल 150-200 रूपये प्रति बल्ली की कीमत आकी गई है।
दिलचस्प पहलू यह कि यह निर्णय तब लिया जा रहा है, जब बांस मिशन के चेयरमैन और विभाग के एसीएस अशोक वर्णवाल है। इसके अलावा वर्णवाल कृषि उत्पादन आयुक्त भी हैं। एसीएस वन वर्णवाल बालाघाट और हरदा समितियों के बांस व्यापार बढ़ाने के लिए बांस बल्ली की खपत कराने पर जोर दे रहे हैं।