'सरकार चाहे तो सभी एयरपोर्ट बंद कर सकती है', जबलपुर एयरपोर्ट से उड़ानें कम करने पर मध्य प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, 'बेहतर होगा कि हम सरकार से पूरे राज्य के हवाई अड्डे बंद करने को कहें, ताकि इस बहुमूल्य भूमि का उपयोग किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा सके।'
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार 11 अगस्त को जबलपुर एयरपोर्ट से प्लाइट्स की संख्या में लगातार गिरावट पर गहरी नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेव और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि हम 19 सुनवाई के निर्देश दे रहे हैं, लेकिन एयरलाइंस उड़ानों की संख्या बढ़ाने के बजाय उन्हें और कम कर रही हैं। पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, 'बेहतर होगा कि हम सरकार से राज्य के पूरे हवाई अड्डे को बंद करने के लिए कहें, ताकि इस बहुमूल्य भूमि का उपयोग किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा सके।'
इंडिगो एयरलाइंस कोर्ट को 'सुबह और शाम की उड़ानें शुरू किए जाने का सुझाव दिया। जिस पर पीठ ने कहा, एयरलाइंस के इस दावे पर जबलपुर व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं है, पीठ ने कहा कि कंपनी को सीलबंद लिफाफे में व्यावसायिक आंकड़े प्रस्तुत करने चाहिए, ताकि यह देखा जा सके कि यह क्षेत्र कितना घाटे में है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जबलपुर से संचालित होने वाली सभी उड़ानों में अंतिम समय में एक भी सीट खाली नहीं रहती, ऐसे में शहर को व्यावसायिक रूप से अव्यावहारिक मानना ठीक नहीं है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि अगर दोपहर की उड़ानों के बजाय सुबह और शाम की उड़ानें शुरू की जाएँ, तो यात्रियों की संख्या और बढ़ जाएगी।
यह मामला नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय, राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता विवेक शर्मा, हवाई अड्डा प्राधिकरण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप नायर और इंडिगो की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा उपस्थित हुए।
पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार के उड्डयन विभाग के अपर मुख्य सचिव को 28 अगस्त को अगली सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया। वे चाहें तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी शामिल हो सकते हैं। साथ ही, उन्हें हलफनामे में यह भी बताना होगा कि जबलपुर को अन्य शहरों से जोड़ने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है।