Justice Yashwant Verma Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा इस समय विवादों के घेरे में हैं। उनके आवास पर भारी मात्रा में करेंसी पाई गई थी, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनकी बहाली की सिफारिश की है।
बताया जा रहा है कि होली के दिन यानी 14 मार्च को जज यशवंत वर्मा के घर में आग लग गई। जब फायर ब्रिगेड की टीम को बुलाया गया तो उसके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई। इसके बाद से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे और यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ गईं।
फिलहाल चर्चा है कि यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है और उनके खिलाफ जांच भी शुरू की जा सकती है। अभी यह पता नहीं है कि जांच कब होगी, लेकिन हर कोई यशवंत वर्मा के बारे में जानना चाहता है।
जानकारी के लिए बता दें कि यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने रीवा विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री पूरी की।
8 अगस्त 1992 को वे अधिवक्ता के रूप में भर्ती हुए। यशवंत वर्मा के करियर को समझें तो उन्होंने संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉर्पोरेट, कराधान, पर्यावरण जैसे ज्यादातर मामले लड़े हैं। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबे समय तक विशेष अधिवक्ता के रूप में भी काम किया है।
वर्मा उन्नाव रेप कांड के दोषी कुलदीप सेंगर को अंतरिम जमानत देने के बाद सुर्खियों में आए थे।
यशवंत ने 2012 से 2013 तक यूपी के मुख्य स्थायी अधिवक्ता के रूप में भी कार्य किया, जिसके बाद उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया। उन्हें अगली बड़ी पदोन्नति तब मिली जब वे 13 अक्टूबर 2014 को अतिरिक्त न्यायाधीश बन गये। इसके बाद 1 फरवरी 2016 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अवसर मिला, उन्होंने शपथ ली। वर्ष 2021 में उनका तबादला दिल्ली उच्च न्यायालय में कर दिया गया। बतौर जज यशवंत वर्मा ने कई मामलों की सुनवाई की है; उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं।
दरअसल, जनवरी 2023 में नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘ट्रायल बाय फायर’ पर सुनवाई हुई थी, जिसमें सीरीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इसके बाद रियल एस्टेट उद्योगपति सुशील बंसल ने याचिका दायर की। लेकिन उस समय जस्टिस वर्मा ने इस बात पर जोर दिया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना बहुत जरूरी है, सरकारें कुछ चीजों को प्रकाशित करने के पक्ष में नहीं हो सकती हैं, लेकिन स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए।