श्री हरि विष्णु की उपासना से प्रत्येक मानव को श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास भगवान विष्णु को समर्पित मास माना जाता है। सनातन धर्म मे जगत के पालन हार श्री हरि विष्णु की उपासना से प्रत्येक मानव को श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास भगवान विष्णु को समर्पित मास माना जाता है। नारद पुराण में कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी का महात्म्य परम् पुण्य दायक और बहुत ही सुंदर बताया गया है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को श्रीहरि प्रबोधनी कहते हैं। उस दिन व्रत उपवास करके सोए हुए भगवान श्री हरि विष्णु को गीत आदि मांगलिक उत्सव द्वारा जगाएं। इस दिन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के विविध मंत्रों और कई विधियों के द्वारा भगवान श्री हरि विष्णु को जगाया जाता है।
इस दिन द्राक्षा, ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि वस्तुएं भगवान को अर्पित करनी चाहिए। तत्पश्चात रात बीतने पर दूसरे दिन सवेरे स्नान और नित्य कर्म से निवृत्त होकर पुरुष सूक्त के मंत्रों द्वारा भगवान गदा दामोदर की षोडशोपचार शिव पूजा करनी चाहिए। फिर ब्राह्मणों को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा से संतुष्ट करके विदा करें। इसके बाद आचार्य से आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।
इस प्रकार जो भक्ति और आदर पूर्वक प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करता है। उसे परम पुण्य एवं अक्षय वैभव की प्राप्ति होती है और वह इस लोक में श्रेष्ठ भोगों का उपभोग करते हुए अंत में वैष्णो पद को प्राप्त करता है।