सीपीपीपी वाला नया सहकारिता एक्ट लागू


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स्टोरी हाइलाइट्स

अब प्रायमरी सोसायटियों का रजिस्ट्रेशन 30 दिन में करना अनिवार्य होगा..!!

भोपाल: सहकारी समिति या समिति के समूह द्वारा सार्वजनिक और निजी संगठनों के साथ की गई व्यवसायिक भागीदारी यानि सहकारी सार्वजनिक निजी भागीदारी-सीपीपीपी वाला नया मप्र सहकारी सोसायटी संशोधन एक्ट राज्यपाल की मंजूरी मिलने से लागू हो गया है जिसमें 65 साल बाद बदलाव किया गया है। इसे विधानसभा ने गत 24 मार्च को पारित किया था। इसके तहत, अब सहकारी समितियां मत्स्य पालन, दुग्ध व्यवसाय एवं अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करण संबंधी व्यवसाय करने के लिये निजी संगठनों से करार कर सकेंगी। 

इसी प्रकार, एक्ट में नया प्रावधान किया गया है कि अब सहकारिता रजिस्ट्रार को प्राथमिक सोसायटी का पंजीयन 30 दिन के अंदर तथा अन्य प्रकार की सोसायटियों की दशा में 45 दिन में पंजीयन अनिवार्य रुप से करना होगा और यदि इस अवधि में पंजीयन नहीं किया जाता है तो स्वमेव पंजीयन माना जायेगा और 15 दिन के अंदर रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रीकरण का प्रमाण-पत्र देना होगा। पहले स्वमेव पंजीयन का प्रावधान नहीं था और रजिस्ट्रार पंजीयन के लिये 90 दिन यानि करीब तीन माह का समय लेते थे।

नये प्रावधान के अनुसार, अब सहकारी सोसायटी में दस की जगह बीस सदस्य हो सकेंगे। प्रदेश की गृह निर्माण सोसाटियों में कालोनी के रखरखाव हेतु नगरीय प्रशासन विभाग का मप्र प्रकोष्ठ स्वामित्व एक्ट 2000 लागू होगा अर्थात इस एक्ट के तहत रहवासी समितियां बनेंगी। इसी प्रकार, अब सहकारी समिति का प्रशासन सहकारी वित्तीय बैंक का कोई अधिकारी भी बन सकेगा।

नये एक्ट के तहत, अब सहकारी समिति में उसके सदस्य सामान्यतया 20 हजार रुपये तक नहीं बल्कि कुल अंश पूंजी के बीस प्रतिशत तक शेयर धारण कर सकेंगे। लेकिन राज्य सरकार की सहमति से ये शेयर बीस प्रतिशत से अधिक भी हो सकेंगे। नये एक्ट के तहत अब राज्य सरकार कारणउल्लेखित करते हुये किसी सहकारी समिति के चुनाव कराने की अवधि बढ़ा सकेगी। इसी प्रकार, अब सहकारी ट्रिब्यूनल में एक सदस्य सहकारिता विभाग का संयुक्त रजिस्ट्रार या इससे ऊंचे पद का रिटायर्ड व्यक्ति भी हो सकेगा।

ट्रिब्यूनल में नियुक्त अध्यक्ष एवं सदस्य सिर्फ 65 वर्ष की उम्र तक ही कार्य कर सकेंगे।