संगठन सृजन के मुद्दे पर सोनिया और कमलनाथ में चर्चा, महाकौशल में फेरबदल नहीं चाहते नाथ*


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स्टोरी हाइलाइट्स

राजनीतिक मसले पर 13 को भोपाल में हो सकती है आपात बैठक..!!

भोपाल: रक्षाबंधन पर्व पर जहां बहाने अपने भाई की कलाई में राखी बांधने में व्यस्त थी, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता कमलनाथ ने कांग्रेस की सुप्रीमो सोनिया गांधी से मुलाकात की। सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी और कमलनाथ के बीच 45 मिनट चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत का क्या निष्कर्ष निकलेगा यह आने वाला समय बताएगा। 

नई दिल्ली में दोनों कद्दावर नेताओं के बीच हुई चर्चा का विस्तृत व्यौरा तो सामने नहीं आया है. किंतु सूत्र बताते हैं  कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संगठन सृजन के मुद्दे पर ही कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से चर्चा की। पूर्व मुख्यमंत्री नाथ चाहते हैं कि संगठन सृजन के तहत महाकौशल कांग्रेस में कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया जाए। वैसे भी महाकौशल में कमलनाथ की पकड़ अभी भी जबरदस्त है। 

सूत्रों की माने तो कमाल अपने यहां तक कह दिया है की याद उनके हिसाब से महाकौशल में जमावट नहीं हुई तो वह बगावत कर सकते हैं। जबकि कांग्रेस आला कमान महाकौशल में कांग्रेस की जमावट राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा और नेता परफेक्ट उमंग सिंगर के अनुसार करने के पक्ष में हैं। वैसे प्रदेश कांग्रेस के युवा अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मालवा और मध्य भारत में युवाओं के हाथों में संगठन की बागडोर सौंपने के फेर में है। संगठन साजन को लेकर महत्वपूर्ण बैठक 12 तारीख को नई दिल्ली में होने जा रही है। इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस की जिला अध्यक्षों का चयन लगभग कर दिया जाएगा। 13 अगस्त को राजनीतिक मसले पर महत्वपूर्ण बैठक भोपाल में होने वाली है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की जमावट अभी भी बहुत ही कमजोर है। संगठन में पदाधिकारी केवल कागजों पर बने हैं फील्ड में काम करते नजर नहीं आते है. संगठन सृजन का हश्र भी टैलेंट है की तरह होने वाला है। संगठन सृजन में जुड़े कांग्रेस नेता जयकारा लगाने वाले कार्यकर्ताओं को ही तवज्जो दे रहे हैं। कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि संगठन सृजन के जरिए लंबे समय से चली आ रही है पट्ठा  संस्कृति का अंत हो सकता है पर ऐसा मानने वालों की संख्या बहुत कम है। 

अब अपना-अपनों के आधार पर ही संगठन सृजन किया जा रहा है। विंध्याचल में सीडब्लूसी मेंबर कमलेश्वर पटेल और विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा संगठन के सृजन में लगे हैं। जबकि मध्य प्रदेश खासकर विंध्य और बुंदेलखंड की राजनीति और भौगोलिक ज्ञान रखने वाले कद्दावर नेता अजय सिंह को संगठन सृजन के मामले में हाशिये पर धकेल दिया गया है। इसी प्रकार खरगोन से राजनीति करने वाले अरुण यादव को निमाड़ की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार ग्वालियर चंबल संभाग में दबंग नेता गोविंद सिंह को नजर अंदाज कर विधायक एवं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह के अनुसार संगठन सृजन की कवायत की रहीं है। 

वहीं ग्वालियर संभाग के युवा ब्राह्मण नेता एवं पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को इसलिए हंसी पर रखा जा रहा है क्योंकि उनकी राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस से बगावत सर बीजेपी में गए सुरेश पचौरी के साथ में हुई। मौजूदा स्थिति में पाठक नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के सबसे नजदीक है। वैसे पूर्व मुख्यमंत्री द्वय कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के भी विश्वसनीय है। 

विंध्य में कमलेश्वर, राजेंद्र और सिद्धार्थ

तीन दशकों तक विंध्य की राजनीति में अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी का जलजला रहा है। यही वजह रही कि बिना में लगातार कांग्रेस चुनाव जीतती रही है। दोनों कद्दावर नेताओं के दिवंगत होने के बाद कांग्रेस आला कमान ने अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी परिवार को नजरअंदाज कर मैनेजमेंट कोटे से बने सीडब्लूयुसी सदस्य कमलेश्वर पटेल और विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा की मदद से विंध्य में संगठन का सृजन किया जा रहा है। विंध्य के जानकारी वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यहां के कद्दावर नेता एवं पूर्व नेता प्रत्यक्ष अजय सिंह के बिना कांग्रेस संगठन को मजबूत नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजय सिंह  का प्रभाव सतना से शहडोल तक अभी भी बरकरार है। 

महाकौशल में नाथ की जिद

दिवंगत आयरन लेडी इंदिरा गांधी के जमाने से लेकर आज तक महाकौशल में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के तिलस्म को कांग्रेस ने कभी तोड़ने का प्रयास नहीं किया। यही वजह रही की कि एक-एक करके कमलनाथ के सारे क्षत्रप बीजेपी में जा पहुंचे। यहां तक की कमलनाथ का अभेद किला छिंदवाड़ा भी ढह गया। बावजूद इसके, दिल है कि मानता नहीं। यानी कमलनाथ ने रक्षाबंधन के दिन कांग्रेस की अघोषित सुप्रीमो सोनिया गांधी से 45 मिनट तक मुलाकात की। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि जिला अध्यक्ष पद से लेकर ब्लॉक पदाधिकारी तक अपने मनमाफिक संगठन तैयार कराने के लिए सोनिया गांधी का मन - मनोब्बल कर रहे हैं। उनकी कितनी सुनी गई है या 12 तारीख की बैठक के बाद स्पष्ट हो पाएगा।