निर्धारित समय से इतर जाकर मुख्यालय की VC से हलाकान मैदानी अफसर


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन और वन्यजीवों की सुरक्षा मैनेजमेंट पर असर..!!

भोपाल: वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े के एक लिखित फरमान से मैदानी अफसर हलाकान है। उनके इस आदेश पर मैदानी अफसरों के नियमित वन और वन्यजीवों की सुरक्षा संबंधित मैनेजमेंट पर असर पड़ रहा है। दिलचस्प पहलू यह भी है कि मुख्यालय में बैठे पीसीसीएफ गण भी उनके आदेश पर अमल नहीं कर रहें हैं। इसकी वजह से जंगल महकमे में एक यक्ष प्रश्न गूंज रहा है कि क्या विभाग में वन बल प्रमुख का इक़बाल घट रहा है...?

वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े ने एक नवंबर को एक आदेश जारी किया कि प्रत्येक सोमवार अथवा मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस (VC) होगी। इस आदेश का असर पीसीसीएफ या एपीसीसीएफ पर नहीं पड़ा, क्योंकि 21 नवंबर दिन शुक्रवार और 26 नवंबर दिन बुधवार को लघु वनोपज संघ की प्रबंध संचालक एवं पीसीसीएफ डॉ समिता राजौरा ने दो और पीसीसीएफ वर्किंग प्लान मनोज अग्रवाल ने भी 26 नवंबर दिन बुधवार समय ढाई बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इसके अलावा एफसीए आए जब VC हो रही है। इसके लिए न दिन और न समय फिक्स है। यानि हॉफ के निर्धारित दिन के इतर जाकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग किए जाने पर महकमे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या विभाग में वन बल प्रमुख इक़बाल घटने लगा है? 

इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से डिवीजनल ऑफिसर हलाकान है। इसकी वजह यह है कि एक वीसी की तैयारियों उसके निराकरण मे कम से कम दो-तीन दिन तो लगते है। ऐसे में डीएफओ के वन और वन्यजीवों की सुरक्षा मैनेजमेंट प्लान पर असर पड़ता है। एक डीएफओ के क्षेत्राधिकार में औसतन एक हेक्टेयर जंगल और वन्यजीवियों की सुरक्षा का दायित्व होता है। यानि डीएफओ को वन, वन्यजीव और पर्यावरण का प्रबंधन और संरक्षण करना होता है, जिसमें वन कानूनों और नियमों को लागू करना, वन अपराधों को रोकना, वनों के संसाधनों का प्रबंधन करना और वन-आधारित सरकारी राजस्व को इकट्ठा करना शामिल है।

DFO के सुझाव

प्रदेश के 90 प्रतिशत डीएफओ का सुझाव है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वन बल की उपस्थिति में 15 दिन में एक दिन होना चाहिए। इसमें सभी शाखाओं के प्रमुख यानि पीसीसीएफ एवं एपीसीसीएफ भी अपने-अपने एजेंडे पर वीसी करें। इससे डीएफओ और सीएफ को रोजमर्रा की दिनचर्या के बाद भी पर्याप्त समय मिल पायेगा। वन बल प्रमुख की उपस्थिति में वीसी की गरिमा बढ़ेगी और साथ ही उन्हें भी ज्ञात रहेगा कि किस पीसीसीएफ का कौन सा एजेंडा है।

डीएफओ के मुख्य कार्य

  • वन और वन्यजीव संरक्षण
  •  वन संरक्षण: वनों को कटाई, अतिक्रमण और आग से बचाना।
  •  वन्यजीव संरक्षण: वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके आवासों का प्रबंधन करना।
  •  अवैध गतिविधियों को रोकना: लकड़ी की तस्करी, अवैध शिकार और अन्य वन अपराधों से निपटना। 
  •  वनोरोपण: नर्सरी और वृक्षारोपण गतिविधियों का संचालन करना।
  •  वन्य प्राणियों से होने वाली जनहानि, जनघायल, पशु हानि एवं फसल हानि के प्रकरणों में तत्काल संज्ञान लेकर जाँच करवाना एवं तत्पश्चात पीड़ितों को अविलम्ब मुआवजा भुगतान की व्यवस्था करना।
  •  वन क्षेत्रों से 5 कि.मी. के दायरे में स्थित राजस्व/वन ग्रामों में संयुक्त वन प्रबन्धन समितियों का गठन कराना।
  •  वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत गठित जिला स्तरीय समितियों में सदस्य के रूप में भाग लेना तथा समिति को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराना।
  •  वन मण्डल में चल रही विभिन्न विकास योजनाओं का क्रियान्वयन एवं प्रगति का अनुश्रवण।
  •  अधीनस्थ परिक्षेत्र कार्यालयों का वर्ष में कम से कम एक बार निरीक्षण करना।
  •  वन क्षेत्र का व्यापक भ्रमण एवं चल रहे कार्यों का निरीक्षण।
  •  वन अपराध प्रकरणों में अन्वेषण, प्रशमन, मावजा महसूल वसूली, जप्तशुदा वनोपज / वाहनों / उपकरणों के निर्वर्तन, तथा अभियोजन की कार्रवाई  की प्रगति की निगरानी।
  •  वन सीमाओं का रख-रखाब तथा मुनारों का निर्माण / मरम्मत।
  •  इंजीनियरिंग कार्य: सड़क, पुल, बांध और सिंचाई जैसे इंजीनियरिंग कार्यों की योजना बनाना और उन्हें लागू करना।
  •  राजस्व एवं वन विभाग के मध्य सीमा विवादों के निराकरण हेतु जिला कलेक्टर के साथ समन्वय।
  •  कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों से सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करना।
  •  राजस्व संग्रह: सरकारी राजस्व को इकट्ठा करने के लिए वन-आधारित गतिविधियों का प्रबंधन करना।
  •  कार्यालय प्रबंधन: कार्यालयों का प्रबंधन और कर्मचारियों के विकास की जिम्मेदारी निभाना।