गरीब एवं जरूरतमंदों की सहायता करना पैरा लीगल वॉलंटियर्स की नैतिक जिम्मेदारी: CJI न्यायमूर्ति सूर्यकांत


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स्टोरी हाइलाइट्स

"पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं पैनल अधिवक्ताओं की रणनीतिक भूमिका विधिक, सहायता एवं मध्यस्थता का भविष्य" पर सेमीनार..!!

भारत के CJI न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा है कि विधिक सहायता प्रदान करने वाली संस्था एवं विधिक सहायता प्राप्त करने वाले नागरिकों के मध्य पैरा लीगल वॉलंटियर्स सेतु का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि पैरा लीगल वॉलंटियर्स की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि गरीब एवं जरूरतमंदों की सहायता करें। 

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में न्यायालयों को अस्पताल की भांति हर समय कार्य कर जरूरतमंदों को विधिक सहायता प्रदान करनी चाहिए। वे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय तथा मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (म.प्र.रा.वि.से.प्रा.) के संयुक्त तत्वाधान में गुरूवार को खजुराहो स्थित प्रतिष्ठित छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में "पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं पैनल अधिवक्ताओं की रणनीतिक भूमिका तथा विधिक सहायता एवं मध्यस्थता का भविष्य" विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि पैरा लीगल वॉलंटियर्स को विधिक सहायता के जरूरतमंद नागरिकों की स्थानीय भाषा का भी ज्ञान अवश्य होना चाहिए, जिससे वे उनकी पीड़ा सही रूप से समझ सकें। सेमीनार का आयोजन मध्य प्रदेश में विधिक सहायता तंत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसमें जमीनी स्तर के पैरा लीगल वॉलंटियर्स (पीएलवी) एवं पैनल अधिवक्ताओं द्वारा न्याय तक पहुंच, वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तथा मध्यस्थता प्रक्रिया को बढ़ावा देने में उनके निर्णायक योगदान पर बल दिया गया।

सेमिनार में 300 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हुए, जिनमें न्यायाधीश, विधिक व्यवसायी, पैरा लीगल वॉलंटियर्स, पैनल अधिवक्ता, शिक्षाविद् तथा विभिन्न विधिक सहायता संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे। सेमिनार में विशेष रूप से ग्रामीण एवं उपेक्षित क्षेत्रों में विधिक सहायता सेवाओं की दक्षता एवं पहुंच को बढ़ाने हेतु नवाचारी रणनीतियों पर प्रकाश डाला गया, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 39ए के संवैधानिक आदेश के अनुरूप है।

मुख्य न्यायमूर्ति, सूर्यकांत ने सभी पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं विधिक सहायता प्रदान करने वाले अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे विधिक सहायता के जरूरतमंद लोगों के साथ एक विश्वास का रिश्ता बनायें।

न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने उद्बोधन में सामुदायिक मध्यस्थता की महत्वपूर्णता को रेखांकित कर स्थानीय गांवों में अधिक से अधिक मध्यस्थता के लिये प्रयास करने के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने न्यायालयों से अधिक से अधिक प्रकरण मध्यस्थता में भेजने के संबंध में विचार व्यक्त किये। उन्होंने प्रभावी क्षमता, नैतिक कार्यशैली को सृजित कर न्याय की पहुंच सब तक पहुंचाने के बिन्दु पर बल दिया।

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय ने म.प्र.रा.वि.से.प्रा. के विधिक सहायता नागरिकों तक पहुंचाने के सहयोगात्मक कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का बहुत बड़ा वर्ग निवास करता है। इस संदर्भ में पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं विधिक सहायता प्रदान करने वाले अधिवक्ताओं का राज्य में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।

न्यायमूर्ति विवेक रुसिया, प्रशासकीय न्यायमूर्ति मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने स्वागत संबोधन में सामुदायिक मध्यस्थता पर बल दिया।

न्यायमूर्ति आनंद पाठक, प्रशासकीय न्यायमूर्ति मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर ने उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति ग्वालियर द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'उल्हास' के बारे में बताया एवं समावेशी समाज के लिए पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं विधिक सहायता अधिवक्ताओं के योगदान को रेखांकित किया।

मुख्य न्यायमूर्ति, सर्वोच्च न्यायालय ने म.प्र.रा.वि.से.प्रा. की रिपोर्ट "रिचिंग द अनरीच्ड" तथा उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, ग्वालियर द्वारा प्रकाशित पत्रिका "उल्हास" का लोकार्पण किया। मुख्य न्यायमूर्ति सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा बनाये गये सॉफ्टवेयर "जेल ई-पोस्ट एवं ई-मेंशन मेमो" का भी लोकार्पण किया।

संपूर्ण मध्य प्रदेश से 200 से अधिक पैरा लीगल वॉलंटियर्स एवं पैनल अधिवक्ताओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया तथा अन्य प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से 2,000 से अधिक दर्शकों जिसमें प्रदेश के जिला न्यायपालिका के न्यायाधीश भी शामिल थे, ने आभासी रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम में धर्मिंदर सिंह, रजिस्ट्रार जनरल, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, उमेश पांडव, संचालक, मध्य प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी, रविंद्र सिंह होरा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, छतरपुर, कु. सुमन श्रीवास्तव, सदस्य सचिव, म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, अनिल सुचारी, आयुक्त, सागर, हिमानी खन्ना आई.जी. सागर, पार्थ जायसवाल, कलेक्टर, छतरपुर, अगम जैन, पुलिस अधीक्षक, छतरपुर उपस्थित रहे। 

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के अधिकारीगण, मध्य प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी तथा मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारीगण एवं जिला छतरपुर के न्यायाधीशगण, कर्मचारीगण ने कार्यक्रम के सफल संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।