भोपाल। प्रदेश के स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी ने चिकित्सा विशेषज्ञों से कार्यालयीन कार्य कराने पर रोक लगा दी है तथा चेतावनी जारी की है कि यदि कहीं ऐसा पाया गया तो जिला अस्पतालों के सीएमएचओ/सिविल सर्जन की जवाबदेही तय की जायेगी।
स्वास्थ्य आयुक्त ने इस संबंध में सभी जिलों के सीएमएचओ/सिविल सर्जन को परिपत्र जारी कर कहा है कि कई जिलों में चिकित्सा विशेषज्ञों/प्रभारी विशेषज्ञों/पीजी चिकित्सा अधिकारियों से चिकित्सकीय कार्य नहीं लेकर कार्यालयीन कार्य अथवा प्रशासकीय पदों यथा जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला टीकाकरण अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी, जिला क्षय अधिकारी तथा राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्य कराये जा रहे हैं जबकि प्रदेश में पूर्व से ही चिकित्सा विशेषज्ञों की काफी कमी है।
इसलिये प्रशासनिक पदों का प्रभार ऐसे नियमित चिकित्सा अधिकारियों को सौंपा जाये जो एमबीबीएस के साथ एमडीपीएसएम या पब्लिक हेल्थ मेनेजमेंट/अस्पताल प्रबंधन में कोई योग्यता रखते हों एवं उनके पास कम से कम 5 वर्ष की सेवा का अनुभव है। यदि ऐसे चिकित्सक भी उपलब्ध नहीं हैं तो अन्य नियमित एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारियों जिनके पास न्यूनतम 5 वर्ष की सेवा का अनुभव है, को लगाया जाये।