लापता लेडी की घर वापसी, GRP रानी कमलापति को बड़ी सफलता


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स्टोरी हाइलाइट्स

मिल गईं इंदौर से कटनी जाते समय लापता हुई अर्चना तिवारी, 12 दिन पहले चलती ट्रेन से हुईं लापता..!!

मध्य प्रदेश में 12 दिन पहले लापता हुई अर्चना तिवारी को जीआरपी भोपाल ने नेपाल बॉर्डर लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) से बरामद कर लिया है। 

जीआरपी पुलिस भोपाल को गुम महिला अर्चना तिवारी की बरामदगी में बड़ी सफलता मिली है। जीआरपी भोपाल ने पुलिस अधीक्षक रेलवे राहुल कुमार लोढ़ा और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेलवे नीतू डाबर भोपाल एवं रामस्नेह चौहान उप पुलिस अधीक्षक रेलवे के निर्देशन में ये सफलता हासिल की है।

7 अगस्त को अर्चना तिवारी नमर्दा एक्सप्रेस से  अपने घर मंगलनगर कटनी के लिए रवाना हुईं। घर नहीं पहुचने पर उसके भाई अंकुश तिवारी ने थाना जीआरपी कटनी में अपनी बहन के गुम होने सूचना दी। गुम महिला अचर्ना तिवारी हाई कोर्ट में एडवोकेट एवं सिविल जज तैयारी इंदौर में रहकर कर रही थीं। 

मामले की गंभीरता को देखते हुए जीआरपी ने ट्रेन 18233 के रिर्जवेशन चार्ट एवं संबंधित स्टेशनो से गुजरने वाली ट्रेनों के रिर्जवेशन चार्टो को प्राप्त कर जॉच की। 

कोच में गुम महिला के आस पास के यात्रियो के घर जाकर पूछ ताछ की गई, साथ ही सरहदी थानों से सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त की।

रेलवे स्टेशन इंदौर, भोपाल, सीहोर, रानी कमलापति, नमर्दापुरम, इटारसी, पिपरिया, करेली, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी, बिलासपुर तक व शहरों में लगे लगभग 2 हजार CCTV फुटेज खंगाले गये। 

एसडीआरएफ एवं जीआरपी द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया गया व रानी कमलापति से जबलपुर तक अलग-अलग टीमे बनाकर पैदल सर्चिंग कराई गई और बरखेड़ा से बुदनी तक वन विभाग के साथ जीआरपी की टीमों के साथ जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
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बाद इलेक्ट्रोनिक संसाधानो के माध्यम से संदेही के नम्बर की जानकारी प्राप्त की गई। जिस पर से इंदौर एवं शुजालपुर में संदेही की पहचान सारांश जोकचंद के रूप में की गई। सारांश से की गई, पूछताछ के आधार पर गुम महिला अचर्ना तिवारी से सम्पर्क कर नेपाल बॉर्डर धनगढ़ी जिला लखिमपुर खीरी उ. प्र. से बरामद करने में सफलता हासिल की गई। 

पूछताछ में अर्चना तिवारी ने बताया की मेरे घर वाले मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे लिए शादी के रिश्ते देख रहे थे कुछ दिन पहले मेरे घरवालो द्वारा बताया गया की तुम्हारे रिश्ते के लिये एक पटवारी लड़का देखा है और इसी प्रकार बार-बार शादी करने के लिए मजबूर कर रहे थे जिस कारण से मैं मानसिक रूप से परेशान हो गई थी।  मैं इंदौर से कटनी रवाना हुई। मैं मानसिक रूप घर जाने के लिए तैयार नहीं थी।

रक्षाबंधन के कारण मैं घर जाने के लिए रवाना हो गई परंतु मैने सोच लिया की में अब घर नहीं जाउंगी ओर न ही शादी करूंगी जब तक में सिविल जज नहीं बन जाती। फिर मैने सोचते-सोचते रेलवे स्टेशन इटारसी पहुचने से पहले अपने पुराने क्लाइंट तेजेन्दर सिंह जो पंजाब का रहने वाला है, वर्तमान में इटारसी में रहता हैं उससे मदद मांगी कि मुझे इटारसी उतरकर वापस इंदौर जाना है, फिर मैने अपने दोस्त सारांश को भी फोन लगा कर इटारसी बुला लिया था, मैने इटारसी उतरने से पूर्व ही तेजेंदर को बताया दिया था कि जहां इटारसी स्टेशन पर कैमरे न लगे हो वहा उतार लेना, फिर तेजेंदर नमर्दापुरम स्टेशन से मेरे साथ हो गया।

तेजेंदर ने मुझे इटारसी में मेरे दोस्त सारांश के साथ भेज दिया ओर तेजेंदर इटारसी में रूक गया था फिर में सारांश के साथ उसकी कार मे बैठकर शुजालपुर आ गई थी, शुजालपुर से इंदौर निकल गई थी इंदौर में घरवालो के आ जाने के डर के कारण विचार के उपरांत मे हैदराबाद चली गई, हैदराबाद में 2-3 दिन रूकने के उपरांत पेपर एवं मीडिया रिपोर्ट से मुझे यह जानकारी मिली गई थी मेरा केस काफी चर्चित हो जाने कारण सुरक्षित महसूस नहीं कर रही थी।

फिर मै सारांश के साथ दिनांक 11.08.2025 को हैदराबाद से दिल्ली पहुच गई ओर दिल्ली से टेक्सी से सारांश के साथ धनगुढ़ी नेपाल पहुंच गई फिर धनगुढ़ी से काठमांडू पहुंच गई जहां सारांश ने अपने परिचित वायपी देवकोटा से बात कराकर किसी होटल में रूकवाया ओर सारांश वापस इंदौर चला गया। 

कुछ दिन बाद देवकोटा ने मुझे एक नेपाल की सिम दिलवा दी थी जिससे में वाट्सअप के माध्यम से सारांश से बात करती रही। सारांश ओर तेजेंदर ने दोस्त होने के कारण मेरी मदद की थी जिससे में नेपाल तक पहुच गई। किसी भी व्यक्ति द्वारा मैरे साथ कोई गलत हरकत की गई ना ही गलत काम किया गया था।

सारांश के माध्यम से पुलिस ने मुझसे संपर्क किया ओर बताया कि आपके परिवार वाले बहुत परेशान है वापस आ जाओ। बाद में मैं काठमांडू से प्लेन से धनगुढ़ी आई। धनगुढ़ी से नेपाल बॉर्डर लखीमपुरी पहुंची जहां पर मध्यप्रदेश जीआरपी पुलिस भोपाल की टीम मिले जिनके साथ में जीआरपी थाना रानी कमलापति आ गई।