विधायक अड़ीबाजी कांड: डीएफओ के फेवर रिपोर्ट बनाने की आशंका


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स्टोरी हाइलाइट्स

डीएफओ के वाहन चालक और स्थायी कर्मी ने दिए अफसर के बचाव करते बयान..!!

भोपाल: विधायक-डीएफओ अड़ीबाजी मामले की जांच पर ही सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह कि क्या डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के ड्राइवर और स्थायी वनकर्मी के बयान के आधार पर ही जांच को अंतिम मान लिया जाएगा? वैसे जांच कमेटी की प्रमुख कमोलिका मोहन्ता ने दो डीएफओ, विधायक समेत 5 के बयान दर्ज किए हैं। 

विधायक को छोड़कर सभी के बयान विधायक पर दो -तीन पेटी की अड़ीबाजी का आरोप लगाने वाली डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के फेवर में दिए गए हैं। क्या इन बयानों के आधार पर कमेटी निष्कर्ष तक पहुंच जाएगी। दिलचस्प पहलू यह है कि जितना समय भोपाल से बालाघाट पहुंचने में नहीं लगा उससे भी कम समय में जांच पूरी हो गई।

शुक्रवार को ही जांच कमेटी के बालाघाट से लौटने के बाद यह नॉरेटिव बन रहा कि बयानों के आधार पर तो डीएफओ के फेवर में ही रिपोर्ट बनेगी। कहा यह भी जा रहा है कि डीएफओ को हटाए बिना उनका ड्राइवर और स्थाई वनकर्मी अपने 'साब' के विरोध में कैसे बयान देता? 

यह भी महज इत्तेफाक है कि डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के ड्राइवर मुरारी लाल कोरी जांच कमेटी की प्रमुख मोहंता का भी ड्राइवर रह चुका है। कोरी के बयान की अधिकृत जानकारी तो नहीं मिली है, परंतु सूत्र बताते हैं कि उसने अपना बयान में गोल-माल दिया। कोरी ने कहा है कि वह बाहर था परंतु पेटी और लेनदेन की बात जब जोर-जोर से हो रही थी, तब कुछ-कुछ ऐसा ही सुना। कमोवेश, ऐसा ही बयान रेस्ट हाउस के स्थायीकर्मी चुन्नीलाल ऐड़े ने दिया है। 

फारेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) में  डीएफओ नेहा श्रीवास्तव और उनके पति डीएफओ अधर गुप्ता के बयान दर्ज किया गया। जांच अधिकारी प्रतिवेदन तैयार कर शासन को सौंपेंगे। बताया जाता है कि नेहा श्रीवास्तव ने लिखित में अपने बयान दर्ज कराएं हैं। 

उल्लेखनीय है कि वनमंडलाधिकारी उत्तर (सामान्य) वनमंडल नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त को बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे के खिलाफ पीसीसीएफ भोपाल को शिकायत की थी। शिकायत पत्र में उल्लेख किया था कि 16 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश होने के बाद भी उन्हें फारेस्ट रेस्ट हाउस में मिलने बुलाया गया।  

एफआरएच पहुंचने पर विधायक मुंजारे ने अपने निजी कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और एक अन्य महिला की उपस्थिति में 2-3 पेटी अवैध पैसों की मांग की। पैसों देने में असमर्थता जाहिर करने पर विधायक ने शत्रुतापूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त की। इतना ही नहीं विधायक ने न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार के लिए भी असंयमित और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया।

तबादले की कार्यवाही टली..

एसीएस अशोक वर्णवाल डीएफओ अधर गुप्ता और उनकी डीएफओ नेहा श्रीवास्तव को हटाने के मूड में नहीं हैं। वे ऐसा संकेत विभाग के अधिकारियों को दे चुके है। जबकि एक महीने से डीएफओ दंपत्ति को हटाने समन्धित प्रस्ताव मंत्रालय में लंबित है। इसके पहले पूर्व सीसीएफ अरविंदम सिंह सेंगर ने दोनों विवादास्पद डीएफओ के खिलाफ एक-एक आरोप पत्र मुख्यालय को भेजा था। इस आरोप पत्र के बाद सेंगर का तबादला ग्वालियर सर्किल कर दिया गया।