टिंबर की ई-नीलामी से राजस्व में आई 100 करोड़ की कमी


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

विभाग ने राज्य शासन को महाराष्ट्र पैटर्न में टिंबर की ई-नीलामी शुरू करने का प्रस्ताव भेजा है, विभाग के इस प्रस्ताव पर 17 मई को बैठक होने जा रही है..!!

भोपाल: वन विभाग में टिंबर की ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू है। इसकी खामियों के चलते वन विभाग के राजस्व में 100 करोड़ की कमी आई है। इसके चलते विभाग ने राज्य शासन को महाराष्ट्र पैटर्न में टिंबर की ई-नीलामी शुरू करने का प्रस्ताव भेजा है। विभाग के इस प्रस्ताव पर 17 मई को बैठक होने जा रही है। इस बैठक में यह तय हो जाएगा कि शत-प्रतिशत ई-नीलामी के तहत टिंबर की बिक्री होगी या फिर महाराष्ट्र की तर्ज पर टिंबर की बिक्री की जाएगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक टिंबर बिक्री से वन विभाग को करीब एक हजार से 1200 करोड रुपए तक की राजस्व प्राप्ति होती है। लेकिन जब से प्रदेश में ई- नीलामी के जरिए टिंबर की बिक्री शुरू हुई है, तब से छोटे व्यापारी प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए हैं। इसके कारण शत-प्रतिशत टिंबर की बिक्री नहीं हो पा रही है। इसका असर राजस्व पर पड़ रहा है। यही वजह है कि पिछले वित्तीय वर्ष में टिंबर की बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व में लगभग 100 करोड़ रूपए की कमी आई है। 

यही नहीं, दोयम दर्जे की इमारती लकड़ियां भी नहीं बिक पा रही है। विभाग के मौजूदा अफसर इसकी वजह बताते है कि ई-नीलामी में छोटे एवं कम पढ़े-लिखे व्यापारी हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। बताया जाता है कि टिंबर के कारोबार में ऐसे व्यापारियों की संख्या अधिक है।  यानि छोटे व्यापारी ई-ऑक्शन के कारण प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए हैं। हालांकि विभाग के वरिष्ठ अफसर और सेवानिवृत्ति आईएफएस अधिकारी ई-ऑक्शन को बेहतर मानते हैं। इस पद्धति से व्यापारियों का नेक्सस टूट गया और गड़बड़ियां रुक गई है।

वेबसाइट में भी है खामियां 

ई-ऑक्शन को लेकर विभाग की वेबसाइट में कई प्रकार की खामियां बताई जा रही हैं। इसके कारण भी व्यापारियों को दिक्कतें आ रही है। वेबसाइट में टिंबर की लॉट की उच्च क्वालिटी की स्पष्ट तस्वीरें नहीं आ रही हैं। दूसरी बड़ी दिक्कत बिड डालने के समय को लेकर है। बिड सबमिट करने का समय 30 सेकंड निर्धारित है। इतने कम समय में जब तक व्यापारी बिड डालने के लिए सोचता है, तब तक समय समाप्त हो जाता है। हालांकि एक मई से बिड डालने के समय को बढ़ा कर एक मिनट कर दिया गया है पर पिक्चर की क्वालिटी में कोई सुधार नहीं किया गया है। 

व्यापारियों की मांग है कि मप्र वन विभाग का वेबसाइट भी महाराष्ट्र की तर्ज पर बनाई जाए। भोपाल टिंबर संगठन के सचिव मजीद खान का कहना है कि मप्र में टिम्बर ग्रेड अच्छी क्वालिटी के नहीं बनाए जाते हैं। इसके अलावा वेबसाइट में टिंबर लॉट के आगे घन मीटर नहीं लिखा जाता है। इसके कारण व्यापारी को ठगे जाने का भय बना रहता है। मजीद खान ने बताया कि संगठन ने यह बात वन विभाग के सीनियर अफसर को बताई थी और आवेदन भी दिया था किंतु डेढ़ साल का समय बीत गया इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश के टिम्बर लॉट नहीं बिक पा रहे हैं। 

पूर्व में पहली नीलामी के बाद से दूसरी और तीसरी नीलामी के बाद बिना बिकी टिम्बर लॉट के अपसेट प्राइस की दर 10 से 50 प्रतिशत  तक काम कर दिए जाते थे। वर्तमान में ई-ऑक्शन में तीन बिड के बाद मात्र 20% ही अपसेट प्राइस कम की जा रही है।

क्या है महाराष्ट्र पैटर्न

महाराष्ट्र में ई-ऑक्शन और ऑफलाइन नीलामी हो रही है। इसके अलावा टिंबर ग्रेड भी मध्य प्रदेश से अच्छा बताया जाता है। जो टिंबर ई ऑप्शन में नहीं बिक पाते वे ऑफलाइन में बिक जाते हैं। इसी को आधार बनाकर वन विभाग ने प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा है। अभी इस पर और मंथन किया जा रहा है।