यूनियन कार्बाइड कचरे को पीथमपुर में ही जलाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद पीथमपुर में यूसीसी अपशिष्ट को विशेषज्ञों की निगरानी में जलाने का निर्णय लिया गया। इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ।
याचिकार्ताओं की जो आपत्तियां थीं उसके विरुद्ध सरकार की ओर से दिए गए काउंटर एफिडेविट का सुप्रीम कोर्ट ने अवलोकन किया और इसी के आधार पर पिटिशन को रिजेक्ट किया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को डिस्पोज ऑफ किया कि हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला विचाराधीन है। उसमें एक्सपर्ट्स और कमेटी के इन्वॉल्वमेंट के होने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इसके डिस्पोजल का 27 तारीख को ट्रायल रन होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 में हुए दो ट्रायल रनों का भी संज्ञान लिया।
CPCB के टेस्ट रिपोर्ट्स का अवलोकन भी किया। उसके आधार पर डबल बेंच ने पिटिशन को डिस्पोज किया। अगर पिटिशनर को किसी तरीके से कोई भी तथ्य या आपत्ति करना है तो हाईकोर्ट जबलपुर में दे सकते हैं। वहीं ट्रायल रन को लेकर कहा कि जैसा हाईकोर्ट का आदेश है उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाए।
एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन में जो कार्रवाई चल रही है। उसको भी एप्रिशिएट किया। कोर्ट ने राज्य सरकार, CPCB और एमपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किए गए प्रयासों को भी सराहा ।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह यूनियन कार्बाइड संयंत्र में अपशिष्ट निपटान से संबंधित मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा, क्योंकि यह मामला पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की निगरानी में है।
इस मामले में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने सुनवाई की। इसके अलावा, आवेदन भी अस्वीकृत कर दिया गया है। अब इस पूरे मामले की जांच मप्र हाईकोर्ट द्वारा की जाएगी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद गुरुवार से पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में कचरा जलाया जाना था। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब कंपनी इस दिशा में आगे बढ़ेगी।
दरअसल, यूका कचरे को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। स्थानीय स्तर पर इसका विरोध भी हुआ। हालांकि, कंपनी और सरकार ने कहा कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा। सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। यह निर्णय विशेषज्ञों की अनुमति के बाद ही लिया गया है। कंपनी ने यह भी कहा कि हमारे सभी कर्मचारी वहीं रहेंगे। इसमें कोई परेशानी नहीं है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल गैस त्रासदी से उत्पन्न विषाक्त अपशिष्ट के निपटान के लिए परीक्षण को मंजूरी दे दी है। इसमें 30 मीट्रिक टन कचरा जलाया जाएगा। यह कार्य तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में प्रति घंटे 135 किलोग्राम कचरा जलाया जाएगा।
दूसरे चरण में प्रति घंटे 180 किलोग्राम कचरा जलाया जाएगा तथा तीसरे चरण में प्रति घंटे 270 किलोग्राम कचरा जलाया जाएगा। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने की।
 
                                 
 
										 
										 
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