मोदी की इस दाढ़ी के कितने रहस्य-Modi Beard Style - ATUL PATHAK
Reason Behind The Ever-growing Long Beard Of PM Modi?[embed]https://twitter.com/narendramodi177/status/1284179825754689536?s=20[/embed]प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढ़ी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है| लॉक डाउन में नरेंद्र मोदी का शेव न करना समझ आता था लेकिन अब भी अपनी शेव बढ़ाएं हुए हैं| हमारे देश में जब छोटे मोटे अभिनेताओं की दाढ़ी मूछों की चर्चा होती है तो प्रधानमंत्री की इस स्टाइल की चर्चा क्यों नहीं होगी| मोदी वैश्विक नेता है इसलिए विश्व स्तर पर इसकी चर्चा है| खास लोगों की दाढ़ी कुछ ना कुछ संदेश देती है| खास तौर पर नेताओं की दाढ़ी के खास मायने होते हैं| एक समय था जब अमिताभ बच्चन की दाढ़ी को लेकर एक अखबार में एडिटोरियल तक लिखा गया था| मोदी की स्टाइल की सोशल मीडिया पर भी जमकर चर्चा होती है| 6 महीने से यह सब्जेक्ट ट्रेंडिंग में है|
Is Modi's New Extra Long Beard A Style Statement? अब तो प्रधानमंत्री को सलाह भी मिलने लगी है कि वो भीष्म पितामह की तरह दाढ़ी मूछ रखें, तो कोई कह रहा है कि छत्रपति शिवाजी का लुक अपनाएं| मोदी की दाढ़ी मूछें लोगों की कल्पनाओं को पंख दे रही है| दाढ़ी पर भी सियासत हो सकती है| यह इस दौर में पता चला है| मोदी समर्थक उनकी दाढ़ी मूछ को त्याग, बलिदान, तपस्या, सात्विकता,अनुशासन और सोशल डिस्टेंसिंग का प्रतीक बता रहे हैं तो विरोधी उन पर ऊटपटांग कमेन्ट करने से नहीं चूक रहे| बीते दो दशक में मोदी का लुक लगातार बदलता रहा है| 90 के दशक के मोडी और आज के मोदी के लुक में जमीन आसमान का अंतर है|मोदी समय के साथ अपना अंदाज बदलने में माहिर हैं| एक चतुर राजनेता की पहचान यही होती है कि वो हर हाल में जनता का ध्यान आकर्षित करे| मोदी न सिर्फ अपनी बातों से अपने हाव-भाव और लुक से भी लोगों को आकर्षित करते रहें हैं| मोदी को विदेशियों की जमात में भी खुदको गिर के जंगल के शेर की तरह चमकना आता है| उम्र बढ़ने के साथ सफेद हुई दाढ़ी उनकी चमक को बढ़ाती है|
मोदी अपने लुक से ५६ इंच के सीने वाले वाइट टाइगर की तरह दिखने लगे हैं| मोदी अपनी दाढ़ी मूछ के नए लुक से जनता के बीच में क्या संदेश देना चाहते हैं यह तो वही जाने| सबकी अपनी अपनी सोच और दृष्टिकोण है इसी से वो मोदी की दाढ़ी और मूंछ का आकलन करता है| पश्चिम बंगाल के आगामी चुनाव को देखते हुए मोदी का नया लुक आलोचकों को रविंद्र नाथ टैगोर की तरह दिखने का जतन लगता है|
आलोचक तो इसे मोदी का स्वांग कहते हैं| मुद्दों का दिवालिया निकल चुका है इसलिए मोदी की दाढ़ी भी चुनावों में मुद्दा बन गई है| कोई क्या पहनता है, चेहरे पर शेव रखता है या नहीं उसकी खुद की मर्जी होती है| प्रधानमंत्री की वेशभूषा और शेव को लेकर कोई प्रोटोकॉल नहीं है ऐसे में कोई भी वैधानिक सवाल खड़ा नहीं होता| आदिमानव काल से लेकर आधुनिक युग तक पुरुषों की दाढ़ी मूछ बहुत कुछ बताती और जताती रही है| कभी बड़ी हुई मूछ राजा महाराजाओं और जमीदारों की आन बान शान का प्रतीक मानी जाती थी| साधु महात्मा भी अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी मूछ को वैराग्य और सन्यास का प्रतीक मानते रहे हैं| बुद्धिजीवियों ने भी कुछ अलग देखने की चाहत में दाढ़ी मूछ को अलग-अलग रूप देने की कोशिश की है| फिल्मी दुनिया में भी दाढ़ी मूछ की स्टाइल प्रचलित रही हैं| बढ़ी हुई दाढ़ी गुंडई का प्रतीक है तो वैराग्य और संतत्व की छवि भी पेश करता है| मोदी शायद यह भी बताना चाहते हैं कि वे इस संकट की घड़ी में, एक तटस्थ ज्ञानी संत पुरुष की तरह, धैर्य साधना ज्ञान और संघर्ष के दम पर, देश को मुसीबत से बाहर निकालने में जी जान से लगे हुए हैं|
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