भोपाल: प्रदेश में विकास की परियोजनाओं के लिये वन भूमि देने में अब विलम्ब नहीं होगा। इसके लिये वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णमाल ने सभी क्षेत्रीय वन अधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं।
निर्देश में कहा गया है कि विभिन्न विकास कार्यों के लिये वन भूमि डायवर्सन के प्रकरर्णो की समीक्षा में यह देखा जा रहा है कि भारत सरकार के वन मंत्रालय द्वारा जो समय-सीमा दी गई है, उसका पालन क्षेत्र स्तर पर नहीं हो रहा है। राज्य स्तर पर समीक्षा में जहां यूजर एजेंसी वन विभाग को दोषी ठहराती है, वहीं दूसरी ओर विभाग के अधिकारी एजेंसी को दोषी ठहराते है। दोष चाहे जिसका भी हो, अंतत: विकास परियोजनायें प्रभावित होती हैं और राष्ट्रीय नुकसान होता है। इसलिये अब विकास कार्य हेतु वन भूमि के डायवर्सन प्रकरण की समीक्षा के लिये यह व्यवस्था अपनायी जाय :
एक, सभी क्षेत्र संचालक/वन मण्डलाधिकारी प्रत्येक सोमवार को उनके पास लंबित प्रकरणों की समीक्षा करें तथा जिस स्तर पर कार्यवाही लंबित हैं, उसका समय-सीमा में निराकरण करायें।
दो, जिन प्रकरणों में यूजर एजेंसी से कोई कार्यवाही अपेक्षित है, क्षेत्र संचालक/वन मण्डलाधिकारी इसकी जानकारी मंगलवार को आयोजित संबंधित जिले के कलेक्टर की टाईम लिमिट की बैठक में संबंधित जिला अधिकारी को देंगे।
तीन, मुख्य वन संरक्षक/वन संरक्षक प्रत्येक बुधवार को वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये अपने वृत्त के वन मण्डलाधिकारियों के साथ लंबित प्रकरणों की समीक्षा करेंगे और समय-सीमा का पालन करेंगे।
चार, एसीएस वन द्वारा ली जाने वाली समीक्षा बैठकों में यह प्रश्न विशेषकर पूछा जाएगा कि क्षेत्रीय स्तर पर जिलाधिकारियों के मध्य समन्वय के लिए क्या प्रयास किये गये हैं।