हैवान आफताब के लिए श्रद्धा ने ठुकराई माता-पिता की मिन्नतें, जानिए क्या कह कर छोड़ा घर?


Image Credit : twitter

स्टोरी हाइलाइट्स

श्रद्धा के पिता विकास मदन वॉकर ने कहा, 'बेटी और आफताब के अफेयर के करीब 18 महीने बाद हमें उनके रिश्ते के बारे में पता चला..!

श्रद्धा हत्याकांड पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। वारदात को अंजाम देने वाला आरोपी प्रेमी आफताब पुलिस हिरासत में है। इस मामले में आए दिन बड़े खुलासे हो रहे हैं। पुलिस की जांच के बीच श्रद्धा के पिता विकास मदन वाकर का बयान सामने आया है। उन्होंने बताया कि श्रद्धा के दोस्त ने उन्हें बताया कि श्रद्धा के बारे में उसे ज़्यादा कुछ पता नहीं चल रहा था।

श्रद्धा के पिता ने आगे कहा कि श्रद्धा के दोस्त द्वारा हमें बताए जाने के बाद ही आफताब ने उसके साथ कुछ गलत किया था, यह बात सामने आई। हमने पहले भी श्रद्धा से कहा था कि आफताब के साथ रहना ठीक नहीं है। 

श्रद्धा के पिता विकास मदन वॉकर ने कहा, 'बेटी और आफताब के अफेयर के करीब 18 महीने बाद हमें उनके रिश्ते के बारे में पता चला। बेटी ने 2019 में अपनी मां से कहा था कि वह आफताब के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में है। मैंने और मेरी पत्नी ने इसका विरोध किया।

उन्होंने आगे कहा, 'श्रद्धा ने कहा था कि मैं इस रिश्ते को आगे बढ़ाने से इनकार नहीं कर सकती हूं मैं अब 25 साल की हो गई हूं। मुझे अपने फैसले खुद लेने का पूरा अधिकार है। मैं आफताब के साथ रहना चाहती हूं। आज से मैं तुम्हारी बेटी नहीं हूँ। इतना कहकर वह घर से निकलने लगी, जिसके बाद मेरी पत्नी ने बहुत मिन्नत की। लेकिन, वह नहीं मानी और आफताब के साथ चली गई।

विकास के मुताबिक, 'अपनी बेटी के जाने के बाद उसे अपने दोस्तों से पता चला कि दोनों एक नई जगह चले गए है और फिर पता चला कि वे महाराष्ट्र छोड़कर दिल्ली में बस गए हैं। कभी श्रद्धा अपनी मां को फोन करके कहती थीं कि आफताब उनके साथ मारपीट करता था। इसी बीच उसकी मां की भी मौत हो गई।

श्रद्धा के पिता ने कहा, 'पत्नी की मौत के बाद श्रद्धा ने मुझे एक-दो बार फोन किया। फिर उसने मुझे भी आफताब की हरकतों के बारे में बताया। घर आने के बाद उसने वही कहा। इस पर मैंने उसे आफताब के पास से निकल कर घर लौटने को कहा। लेकिन, आफताब के समझाने पर वह वापस उसके साथ चली गई।

विकास के मुताबिक उनकी बेटी की दोस्तों शिवानी माथरे और लक्ष्मण नादर ने उन्हें बताया कि श्रद्धा और आफताब के रिश्ते अच्छे नहीं थे। आफताब ने उससे पीटाता था, मैंने उसे कई बार समझाया, लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी, इसलिए मैंने उससे बात नहीं की। इसी बीच 14 सितंबर को श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण ने मेरे बेटे श्रीजय को फोन कर कहा कि उनकी बहन का फोन दो महीने से बंद है।

श्रद्धा के पिता ने कहा कि उन्होंने अगले दिन अपने बेटे से बात की। जब उसने इस बारे में उसे बताया तो उसने लक्ष्मण से बात की और महाराष्ट्र के मानिकपुर थाने में श्रद्धा की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पता चला कि श्रद्धा आफताब के साथ दिल्ली में रहती है। इस पर वे दिल्ली के महरौली थाने पहुंचे और आफताब के खिलाफ बेटी के अपहरण का मामला दर्ज कराया।

जांच शुरू हुई तो घटना के परदे परत दर परत खुलने लगे। पकड़े जाने के बाद आफताब ने पुलिस को बताया कि 18 मई को दोनों के बीच शादी को लेकर कहासुनी हुई थी। इसके बाद उसने पहले श्रद्धा को फ्लैट के अंदर धारदार हथियार से मार डाला। फिर उसके हाथ को आरी से 3 टुकड़ों में काट दिया। इसके बाद पैरों को भी 3 टुकड़ों में काट दिया। इसी तरह पूरे शरीर के 35 टुकड़े कर दिए गए। आरोपी रोजाना शहर के अलग-अलग इलाकों व जंगल में जाकर शव के टुकड़ों को बोरों में भरकर ठिकाने लगाता था। उसे लगा था कि कोई उस तक नहीं पहुंच पाएगा।