रेरा ने बिल्डरों पर कसा शिकंजा: 312 करोड़ की वसूली के लिए 1976 आरआरसी जारी, भोपाल और इंदौर सबसे ऊपर


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स्टोरी हाइलाइट्स

अब तक नहीं मिली जिलों से वसूली की रिपोर्ट, रेरा ने जताई नाराज़गी..!

भोपाल। राज्य में बिल्डरों की मनमानी पर अब रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने सख्त रुख अपना लिया है। मार्च महीने में रेरा ने 20 जिलों के बिल्डरों पर करीब 312 करोड़ रुपए की वसूली के लिए 1976 रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (RRC) जारी किए। इनमें सबसे ज्यादा मामले भोपाल और इंदौर से जुड़े हैं।

रेरा को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि कई प्रोजेक्ट्स तय समय पर पूरे नहीं हो रहे, बिना अनुमति निर्माण कार्य शुरू किया जा रहा है या नियमों की अवहेलना की जा रही है। इन शिकायतों की सुनवाई के बाद रेरा ने बिल्डरों पर पेनल्टी और डिपॉजिट रिफंड के आदेश दिए। जब बिल्डरों ने राशि नहीं लौटाई, तो उनके खिलाफ राजस्व वसूली प्रक्रिया के तहत आरआरसी जारी की गई।

भोपाल में 169 करोड़ की वसूली लंबित: राज्य की राजधानी भोपाल में सबसे ज्यादा 815 मामलों में 169 करोड़ रुपए की वसूली की जानी है। वहीं इंदौर में 769 मामलों में 86 करोड़ रुपए से अधिक की रिकवरी होनी है। रायसेन जिले में भी करीब 14 करोड़ रुपए की राशि वसूली योग्य है।

वसूली का जिम्मा जिलों पर, अब तक प्रगति शून्य: रेरा द्वारा जारी आरआरसी को नगरीय विकास एवं आवास विभाग के जरिए जिलों को भेजा गया था। विभाग ने सभी नगर निगम कमिश्नरों और राजस्व अधिकारियों को मार्च के अंतिम सप्ताह में ही वसूली के निर्देश दे दिए थे। लेकिन अब तक किसी भी जिले से वसूली की रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे रेरा ने नाराज़गी जताई है।

रेरा के प्रभारी सचिव राजेश बहुगुणा ने बताया कि अधिकतर आरआरसी पेनल्टी और डिपॉजिट रिफंड से संबंधित हैं। जिलों को नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस फीडबैक नहीं मिला है। नगरीय विकास आयुक्त सिबि चक्रवर्ती ने कहा कि वसूली को लेकर सभी कलेक्टर्स और निगम अधिकारियों को फिर से निर्देश दिए जा रहे हैं।

प्रशासन जब्त कर सकता है संपत्ति: जिला प्रशासन आरआरसी के तहत पहले संबंधित बिल्डर को नोटिस भेजता है। अगर तय समय में राशि जमा नहीं की जाती तो उसकी चल या अचल संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है। लेकिन फिलहाल इस दिशा में जिलों की धीमी कार्रवाई सवालों के घेरे में है।