भोपाल: भारत की सनातन परंपरा और अखाड़ा संस्कृति पर उस समय गंभीर सवाल खड़े हो गए जब महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने महामंडलेश्वर परमानंद गिरि महाराज और उनके उत्तराधिकारी माने जा रहे ज्योतिर्मयानंद गिरि पर साध्वी ऋतंभरा और साध्वी निरंजन ज्योति की सह से संतों और 'संन्यास की मर्यादा का हत्यारा' करार दिया है।
इन आरोपों के अनुसार, परमानंद गिरि महाराज जिन्होंने प्रारंभिक जीवन में गरीबी और संघर्ष देखा था, आगे चलकर वैराग्य का मुखौटा ओढ़कर संस्था और समाज की आस्था को निजी स्वार्थ का साधन बना लिया। उनके द्वारा अपने गुरु अखंडानंद जी का नाम किसी भी सरकारी दस्तावेज़ में न दर्शाना, स्वयं के पिता का नाम संन्यास परंपरा में लिखाना, और अपने परिजनों को धार्मिक पदों पर बैठाना, यह सब अब खुलकर चर्चा में आ गया है।
महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने आरोप लगाया कि महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरि, जिन्हें परमानंद महाराज का कृपापात्र उत्तराधिकारी कहा जा रहा है, उनका आपराधिक इतिहास केवल उनके कथित अतीत तक सीमित नहीं है। स्वामी नित्यानंद (फतेहपुर), अनुभूतानंद (दिल्ली), सच्चिदानंद (उज्जैन), जगत प्रकाश (चित्रकूट), हरिहरानंद (उज्जैन) जैसे अनेक संतों की रहस्यमयी मृत्यु के बाद संबंधित संस्थाओं और आश्रमों पर कथित रूप से उनका कब्ज़ा हो गया। वहीं हरिद्वार, इंदौर, नोएडा और ओंकारेश्वर से जुड़ी घटनाएं भी इसी कथित षड्यंत्र श्रृंखला का हिस्सा बताई जा रही हैं। महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने आरोप लगाया कि इन घटनाओं में तांत्रिक क्रियाएं, मारण प्रयोग, संपत्ति हड़पने की योजनाएं और झूठे केस दर्ज कराना भी शामिल है।
आश्रमों की संपत्ति हड़पने परिवारवालों को बनाया संत :
महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने आरोप लगाया कि संन्यास धर्म का अपमान करते हुए ज्योतिर्मयानंद का पूरा परिवार, भाई, साले, साढू, मामा, पत्नी, आश्रमों और संस्थानों के संचालन में शामिल हैं। एक साध्वी से डीएनए आधारित संतान उत्पन्न करने का आरोप भी उन पर लगाया गया है, जिससे सन्यास धर्म के मूल सिद्धांतों पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद पर निजी जीवन में अनाचार और संत समाज की मर्यादा को तार-तार करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने बताया कि ज्योतिर्मयानंद एक शादीशुदा व्यक्ति हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों में बने आश्रमों को होटल, शराबखानों और वेश्यावृत्ति जैसे कृत्यों का अड्डा बनाया जा रहा है, जिससे न केवल धर्म की मर्यादा को ठेस पहुंच रही है, बल्कि आस्था रखने वाले लोगों का विश्वास भी टूट रहा है। महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने आरोप लगाया कि स्वामी सच्चिदानंद, परम प्रकाश गिरि, जगत प्रकाश गिरि, और अन्य संतों की मृत्यु के बाद उनकी संपत्तियाँ कथित रूप से ज्योतिर्मयानंद के नियंत्रण में आ गईं। उन्होंने परमानंद अस्पताल (इंदौर) में 20 विशेष बच्चों की मृत्यु और ओंकारेश्वर में नाबालिग लड़कियों की नजर में डूबने की घटनाओं की भी सीबीआई जांच की मांग की है।
खुद को बताया धमकियों का शिकार :
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने यह भी बताया कि जब उन्होंने परमानंद गिरि द्वारा दिए गए उस बयान का विरोध किया जिसमें संतों की तुलना कुत्तों से की गई थी, तब उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। उनका कहना है कि ज्योतिर्मयानंद ने उन्हें डराने के लिए कई गुंडों से फोन करवाया। उन्होंने यह आशंका जताई कि उनके साथ भी किसी भी समय हमला या दुर्घटना हो सकती है और इसके लिए सीधे तौर पर योगपुरुष परमानंद गिरि, साध्वी ऋतंभरा और साध्वी निरंजन ज्योति और ज्योतिर्मयानंद जिम्मेदार होंगे।
स्वामी वैराग्यानंद गिरि ने भारत के प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इन रहस्यमयी हत्याओं की सीबीआई से जांच कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि देश में सनातन धर्म की रक्षा और संतों की सुरक्षा अब अत्यंत आवश्यक हो गई है, अन्यथा धर्म की जड़ें कमजोर होती जाएंगी।
तत्काल सभी धार्मिक पदों से हटाने की मांग :
महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरि महाराज ने 13 अखाड़ों के अध्यक्ष रवींद्रपुरी महाराज और जूना अखाड़े के सचिव हरिगिरी महाराज से निवेदन किया कि ऐसे ग्रस्तियों को जो आश्रमों और संत परंपरा को कलंकित कर रहे हैं, तत्काल प्रभाव से अखाड़ों से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। संत समाज की गरिमा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह कदम अनिवार्य है।संतों की रहस्यमयी मौतों और आश्रमों पर कब्ज़ों की तत्काल सीबीआई जांच कराई जाए।
संन्यास धर्म को अपमानित करने वालों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित हो।वैराग्यानंद गिरि द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद संत समाज में चर्चा और चिंता का माहौल बन गया है। यह समूचे धार्मिक परिदृश्य के लिए गहरी चिंता का विषय है। स्वामी वैराग्यानंद गिरि महराज के इस खुलासे से एक बार फिर आश्रमों और अखाड़ों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।