भोपाल: प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारों से 5 किमी की परिधि में 31 दिसम्बर 2005 के बाद वन क्षेत्र में हुये अतिक्रमण को हटाया जायेगा। इसके नये निर्देश राज्य सरकार के वन विभाग ने वन बल प्रमुख एवं सभी संबंधित जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों एवं डीएफओ को भेजे हैं।
निर्देश में कहा गया है कि नर्मदा नदी मप्र की जीवनदायनी नदी है जो प्रदेश के करीब 16 जिलों यथा अनूपपुर, डिण्डौरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, नर्मदापुरम, रायसेन, सीहोर, हरदा, देवास, खण्डवा एवं खरगौन से होकर गुजरती है। यह नदी किसी ग्लेशियर से नहीं निकली है अपितु सदानीरा नर्मदा अपने जलग्रहण क्षेत्र में पाये जाने वाले वनों से वर्ष भर जल प्राप्त कर सतत प्रवाहित हो रही है।
नर्मदा नदी को सदानीरा बनाए रखने व संरक्षित करने के लिये अविरल निर्मल नर्मदा अभियान सहित कई अभियान चलाये जा रहे है। वन विभाग द्वारा भी नदी के कटाव को रोकने, जल ग्रहण क्षेत्र संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से नदी के दोनों तटों की ओर पौधरोपण, भू-जल संरक्षण एवं वन संरक्षण कार्य, वन समितियों की भागीदारी से किए जा रहे हैं। इस अभियान को सफल करने हेतु नर्मदा नदी के तट के दोनों तरफ वर्ष 2005 के बाद के वन भूमि के समस्त अतिक्रमणों को रिक्त कराया जाना आनिवार्य है।
निर्देश में आगे कहा गया है कि नर्मदा नदी के तट के दोनों तरफ 5-5 किलोमीटर के दायरे में 31 दिसम्बर 2005 के बाद के वन भूमि के समस्त अवैध अतिक्रमणों को चिन्हित कर प्राथमिकता से अतिक्रमण निरोधी अभियान चलाकर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जाये। उक्त अतिक्रमणों को चिन्हित करने हेतु अन्य माध्यमों के साथ-साथ सेटेलाईट इमेजरी का उपयोग अवश्य किया जाये।
इस अभियान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर मकान निर्माण किया गया हो तो उसे बारिश के बाद हटाकर वनभूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया जाये। अभियान को सफल बनाने हेतु जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से आवश्यक सहयोग भी लिया जाये। अतिक्रमण निरोधी अभियान में की गयी कार्यवाही से प्रतिमाह की 10 तारीख तक अनिवार्य रूप से प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा जावे।