इस दीपावली पर कपड़ा बाजार की हालत पतली रह सकती है- दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

इस दीपावली पर कपड़ा बाजार की हालत पतली रह सकती है -प्रस्तुति दिनेश मालवीय दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है. रौशनी के इस त्यौहार पर गरीब से गरीब परिवार भी अन्य चीजों के साथ अपनी सामर्थ्य के अनुसार सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े भी खरीदता ही है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस दीवाली पर कपड़ा बाजार की हालत पतली होती नज़र आ रही है. इसके विपरीत इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के बाजार में उछाल आएगा. इकॉनोमिक टाइम्स में प्रकाशित एक सर्वे के अनुसार इस साल दीवाली के लिए वेंडरों द्वारा दिए जाने वाले ऑर्डर्स में 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है. इसके विपरीत इलेक्ट्रोनिक सामानों के ऑर्डर्स में बढ़ोत्तरी हुयी है. सर्वे के अनुसार इलेक्ट्रोनिक सामान बनाने वाले उद्योग रात-दिन काम में जुटे हैं. इनमें फ्रिज, मोबाइल फोन सहित अन्य गेजेट्स शामिल हैं. देश भर के व्यापारियों को वस्त्रों की सप्लाई करने वाले के वेंडरों का कहना है कि इस बार पिछले साल इस दौरान मिले ऑर्डर्स की तुलना में 30 फीसद गिरावट आयी है. वस्त्रों का उत्पादन करने वाले उद्योगों ने अपना उत्पादन करीब 40 प्रतिशत कम कर लिया है. फुटकर बेचने वाले ऑर्डर्स जो कम दे रहे हैं.लॉकडाउन और शटडाउन की वजह से कपड़ा बाजार की हालत पहले से ही खस्ता हो चुकी है. बिना बिका माल बहुत पड़ा हुआ है, लिहाजा उसीसे काम चलाएंगे. इसके विपरीत स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रोनिक गुड्स बनाने वाले उद्योग धडाधड उत्पादन कर रहे हैं. कई जगह तो दो-दो पारियों में काम हो रहा है. मई से लेकर अब तक स्मार्ट फोन, डिशवाशर्स, टेलीविजन और फ्रिज जैसे चीजों की बिक्री में 40-50 फीसद उछल आया है. इसके अलावा, work from home के चलते लेपटॉप और नोटबुक्स की बिक्री भी बहुत बढ़ गयी है. इंटरनेशनल डेटा कारपोरेशन के अनुसार अप्रैल -जून में लॉकडाउन और शिपमेंट में कमी के बाबजूद कुल नोटबुक शिपमेंट में नोटबुक्स के विक्रय में 17 फीसद से ज्यादा बढ़ोत्तरी हुयी है. हेवी ऑफिस वर्क के लिए उपयोग होने वाले नोटबुक्स की बिक्री 105 प्रतिशत से अधिक बढ़ गयी है. फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है. कपड़ा व्यापारी इस उम्म्मीद में हैं कि शायद दीवाली तक कोरोना का कहर कम हो जाए और जन-सामान्य ऐसी स्थिति में फिर आ जाए कि पूरे परिवार के लिए नये कपड़े खरीद सके.