छिंदवाड़ा में ज़हरीली कफ सिरप से बच्चों की मौतों ने मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि राज्य में सरकार की लापरवाही के कारण बच्चों की जान खतरे में है। उन्होंने इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से नवजात शिशुओं की मौत और छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से बैतूल में बच्चों की मौत का ज़िक्र किया और कहा कि ऐसी लापरवाही सिर्फ़ मध्य प्रदेश में ही संभव है।
दरअसल बैतूल में 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप पीने से दो बच्चों की मौत हो गई है। इससे पहले छिंदवाड़ा ज़िले में इसी कफ सिरप के सेवन से 14 बच्चों की मौत हो गई थी। राज्य में इस सिरप से मरने वाले बच्चों की संख्या 16 हो गई है। इस सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल नामक एक ज़हरीला औद्योगिक रसायन पाया गया था। घटना के बाद सरकार ने मध्य प्रदेश में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मध्य प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उमंग सिंघार ने कहा कि सरकारी लापरवाही के कारण बच्चों की जान खतरे में है। उन्होंने कहा कि इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से नवजात शिशुओं की मौत हुई है, जबकि छिंदवाड़ा और बैतूल ज़िलों में ज़हरीली कफ सिरप पीने से कुल 16 बच्चों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि छिंदवाड़ा ज़िले में 14 बच्चों की मौत के बाद, बैतूल ज़िले में कोल्ड्रिफ़ कफ सिरप से दो और बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है। छिंदवाड़ा के आठ बच्चे अभी भी नागपुर के एक अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं कफ सिरप मामले में डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर का विरोध करते हुए, मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी, “अगर ऐसा है, तो हम दवा लिखना बंद कर देंगे।”
स्वास्थ्य विभाग ने जबलपुर स्थित वितरक कटारिया फार्मास्युटिकल्स के गोदाम को सील कर दिया है। हालांकि, उमंग सिंघार ने इस कार्रवाई में हुई देरी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के उस बयान को भी गैरजिम्मेदाराना बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 12 दवाओं के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें से तीन दवाओं की जांच रिपोर्ट में कोई हानिकारक तत्व नहीं पाए गए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बेहतर होता कि वह तीन दवाओं में हानिकारक तत्वों की मौजूदगी पर ज़ोर देने के बजाय यह कहते कि सभी 12 नमूने खराब गुणवत्ता के पाए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ने ही इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण मौतों का आंकड़ा इतना बढ़ गया है।