एक सामान्य सा नाम है-यशोदा लोधी और पता कौशांबी का गांव सिराथू । मगर इस नाम ने सोशल मीडिया पर न सिर्फ धूम मचा दी, बल्कि इसने यशोदा की माली हालत को भी संवार दिया है। यह विपरीत हालातो में हिम्मत नहीं हारने वाली युवा महिला की कहानी है। जो 'देहाती मैडम' के नाम से चर्चित हो गई हैं। यूट्यूब पर अंग्रेजी बोलना सिखाने वाले अपने 368 वीडियो की बदौलत उन्होंने आर्थिक मोर्चे पर अपने परिवार को संभाल लिया। घूंघट में अंग्रेजी सिखाने वाली देहाती मैडम यशोदा लोधी के हजारों वफादार फॉलोवर हैं। हालांकि, वह सोशल प्लैटफॉर्म पर अपेक्षाकृत नौसिखिया हैं।
पिछले साल मई में उन्होंने अपने चैनल की शुरुआत की थी और फिलहाल, वह इसके जरिए अपने परिवार के लिए हर महीने लगभग 25,000 रुपये कमा लेती हैं। यह राशि शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में काफी ज्यादा है। अपनी सामाजिक स्थिति को स्वीकार करते हुए उन्होंने इसे अपनी ब्रांडिंग का सबसे सशक्त जरिया बनाया व यूट्यूब चैनल को 'इंग्लिश विद देहाती मैडम' का नाम दे दिया। देहाती मैडम को इंग्लिश स्पीकिंग की शैक्षणिक बुनियादी बातों की गहरी समझ है। उनके वीडियो में 'How to create an English-speaking environment', 'Is grammar important ?", 'Idiom...cut to the chase', 'Mistakes. Have a fear of making mistakes' जैसे टाइटल हैं।
ढाई करोड़ व्यूअर, तीन लाख सब्सक्राइबर !
29 साल की यशोदा लोधी के 2.9 लाख सब्सक्राइबर हैं और उनके बनाए वीडियो को तकरीबन 2.6 करोड़ लोगों ने अभी तक देखा है। उन्हें अंग्रेजी बोलने के अपने देहाती अंदाज पर गर्व है और वह इसे ही अपनी पहचान बना चुकी हैं। परिवार ने उनकी पढ़ाई- लिखाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली बल्कि जब वह छोटी थीं तो उनके माता-पिता ने उन्हें एक रिश्तेदार को सौंप दिया था। 12वीं तक की उनकी स्कूली शिक्षा भी काफी अनियमित रही। इसके बाद एक दिहाड़ी मजदूर से उनकी शादी करा दी गई। उनके पति बाद में एक हादसे का शिकार हो गए। इससे उनकी काम करने की क्षमता पर असर पड़ा और आय सीमित हो गई।
अंग्रेजी में सोचें तभी बोल पाएंगे
एक वीडियो 'हाउ टू थिंक इन इंग्लिश' में लोधी बताती हैं कि कई लोगों के लिए समस्या ये है कि वे अंग्रेजी बोलने से पहले अंग्रेजी में सोचते नहीं हैं। | अनुवाद के चक्कर में इंग्लिश की फ्लुएंसी खो जाती है। लोधी अपने 'छात्रों' से कहती हैं, आपको किताबें पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए। अक्सर, देहाती मैडम के सबक अपने आसपास के जीवन का एक हिस्सा होते हैं। हालांकि पहले उन्होंने देसी खाना पकाने, कढ़ाई और सजावट को लेकर चैनलों शुरू किया था मगर इनमें से कोई चैनल नहीं चला। फिर उन्होंने कंटेंस क्रिएशन, वीडियो एडिटिंग और ऑनलाइन ट्रैक्शन हासिल करने के तरीकों के बारे में सीखने के लिए इंटरनेट पर घंटों बिताए ।