स्टोरी हाइलाइट्स
टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में जनवरी से अगस्त तक 28 बाघों की मौत हो चुकी है. सबसे अधिक मौतें बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हुई. टाइगर की हो रही.....
हर महीने हो रही हैं तीन से चार बाघों की मौत
बांधवगढ़ में सबसे अधिक मौतें, पार्क प्रबंधन किंकर्तव्यविमूढ़
गणेश पाण्डेय
भोपाल. टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में जनवरी से अगस्त तक 28 बाघों की मौत हो चुकी है. सबसे अधिक मौतें बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हुई. टाइगर की हो रही मौत पर पाठ प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. इतनी बड़ी संख्या में बाघों की मौत को जंगल महकमा गंभीर नहीं है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रीत्व कार्यकाल मैं बांधवगढ़ में एक एक्सीडेंट में बाघ की मौत पर तत्कालीन पीसीसीएफ बने प्राणी रवि श्रीवास्तव और तत्कालीन बांधवगढ़ पार्क के संचालक सीके पाटिल को हटा दिया था. वर्तमान में बांधवगढ़ में लगातार हो रही मौत पर अब तक किसी बड़े अफसरों पर कार्रवाई नहीं की गई.
टाइगर की मौत को गंभीरता से नहीं लेते अफसर
टाइगर की मौत पर अफसरों की डायरी में एक ही बात लिख दी जाती है कि टेरिटरी की फाइट में कमजोर टाइगर की मौत हो गई. वे इस मौतों स्वाभाविक मानते हैं. यही कारण है कि फाइट को रोकने की दिशा में अब तक कोई प्रयास नहीं किए गए. वन मंत्री विजय शाह ने बुंदेलखंड में नई सेंचरी घोषित कर यह संकेत यह संकेत दिया है कि टाइगर की आपसी फाइट को रोकने के लिए राज्य में नई सेंचुरियां बनाने की आवश्यकता है.
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टाइगर स्टेट में मध्यप्रदेश में जनवरी से अगस्त तक 8 महीने में 28 लोगों की मौत हर महीने हो रही है तीन से चार बाघों की मौत. सबसे अधिक मौतें बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क में हुई. पेंच और पन्ना नेशनल पार्क में क्रमशः 3-2 टाइगर मरे.
पिछले 5 सालों में 135 टाइगर की मौत
2020 -30
2019- 29
2018- 29
2017 -25
2016 - 32 ( इसमें शावकों की मौत की संख्या शामिल नहीं है)
बढ़ते बाघ सिकुड़ती टेरिटरी
नेशनल पार्क क्षेत्रफल संख्या
कान्हा 2117 108
बांधवगढ़ 1530 124
पेंच 1179 87
पन्ना 1597 31
सतपुड़ा 2133 47
संजय 1644 06
(2018 में हुई गणना के अनुसार टाइगर की संख्या. * एक टाइगर की टेरिटरी 25 वर्ग किलोमीटर तक होती है.)
नई सेंचुरी बनाने से रुक सकती है टाइगर की टेरिटरी फाइट
टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में बाघों के मरने की 70% वजह टेरिटरी फाइट को बताया जाता है. इस फाइट रोकने की अब तक पहल नहीं हुई है. विशेषज्ञों की मानें तो नई सेंचुरियां और कॉरिडोर बनाकर इस फाइट को रोका जा सकता है. पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार ने 11 सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था. इसमें से बुंदेलखंड के सागर में डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम से 6 सेंचुरी बनाने के लिए वन मंत्री विजय शाह ने घोषणा की है.
यह है प्रस्तावित
*डॉ.भीमराव अम्बेडकर सागर, *सरदार वल्लभ भाई पटेल सीहोर, *माधव राव सिंधिया शिवपुरी, *महात्मा गांधी अभयारण्य बुरहानपुर, *राजा दलपत शाह अभयारण्य मंडला, *राजेन्द्र प्रसाद अभयारण्य, *अहिल्याबाई होल्कर अभयारण्य इंदौर, *जमुना देवी अभयारण्य धार, *इंदिरा गांधी नरसिंहपुर और मांधाता सेंचुरी.
- नई सेंचूरियां बनने से होंगे कई फायदे भी
* जल संरक्षण होगा.
* हरियाली बढ़ेगी.
* ग्रीन हाऊस गैसेस का प्रभाव कम होगा.
* वनों का पुनर्जीवन होगा.
* जंगल से बाहर आने वाले वन्यप्राणियों को वैकल्पिक रहवास मिलेगा.
* ग्रामीण क्षेत्रों में जनहानि और पशुहानि में कमी आएगी.
* जंगलों की सुरक्षा होगी और वनाच्छादन बढ़ेगा.