मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान, मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों में क्या खास है देखें और जाने कैसे पहुंचे?
माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी:

लगभग 375.230 वर्ग किलोमीटर में स्थापित माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1950 में हुई थी। इस उद्यान में बाघ, तेंदुआ, चीतल, काला हिरण, चिंकारा जैसे अनेक वन्य जीवों का निवास है। यह राष्ट्रीय वन उद्यान शिवपुरी जिले के तहत आता है।
स्वतंत्रता पूर्व सिंधिया राज्य की राजधानी रही शिवपुरी में आज भी उसके अतीत के दर्शन होते हैं। एक जमाने में यह इलाका अपने घने जंगलों के लिए जाना जाता था, आज यहां पर्यटकों के देखने लायक अनेक स्थान हैं। इनमें माधव राव सिंधिया की छत्री, माधव नेशनल पार्क, नरवर का किला, करेरा पक्षी अभयारण्य आदि हैं। शिवपुरी ग्वालियर से 112 किमी. दूर है। सीमावर्ती रेलवे स्टेशन झांसी है जो शिवपुरी से 101 किमी. दूर है। वर्ष 2018 में शिवपुरी 54 लाख 52 हजार 734 पर्यटक पहुंचे थे। इनमें 837 विदेशी पर्यटक थे।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान:

सिवनी और छिंदवाड़ा जिले की सीमाओं पँच में स्थित राष्ट्रीय उद्यान अपने वनों और वन्य जीवों के कारण सदैव ही पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली भालू, नीलगाय, आदि वन्य जीव पाये जाते हैं। इस उद्यान का क्षेत्रफल 292.852 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 2018 में 82 हजार 232 पर्यटक पेंच पहुंचे। इनमें 8671 विदेशी पर्यटक थे।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान:

पन्ना और छतरपुर जिले के भौगोलिक क्षेत्र में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया। इस उद्यान में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, चिंकारा पाए जाते हैं। यहाँ दक्षिण उष्ण देशीय सूखे पतझड़ वाले सागौन के वन और दक्षिण उष्ण देशीय सूखे पतझड़ वाले वन है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान कुल 542.662 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। वर्ष 2018 में 8 लाख 9 हजार 427 पर्यटक पन्ना पहुंचे। इनमें 15 हजार 633 विदेशी पर्यटक थे।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान:

होशंगाबाद जिले के पिपरिया से 10 किलोमीटर दूर यह राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। इसे वर्ष 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। इस उद्यान में दक्षिण उष्ण देशीय मिश्रित पतझड़ वाले वन, उत्तरी उष्ण देशीय सूखे साल वाले वन और मध्य भारत पर्वतीय वन पाए जाते हैं। यह 528.729 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला है। इस उद्यान में बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ते, हिरण आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
संजय राष्ट्रीय उद्यान:

सीधी जिले के डुबरी क्षेत्र में स्थित संजय राष्ट्रीय उद्यान 1,47,159 किलोमीटर क्षेत्र में विस्तारित है। इस उद्यान को 1983-84 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था। बाघों की आबादी के कारण बाद में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत शामिल किया गया। सीधी से मात्र 25 किलोमीटर दूर इस उद्यान में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, हिरण, जंगली भैंसा आदि वन्य प्राणी पाए जाते हैं। संजय राष्ट्रीय उद्यान कुल 466.657 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है।
वन विहार भोपाल:

यह राष्ट्रीय उद्यान राजधानी भोपाल की श्यामला पहाड़ी के पीछे बड़े तालाब के पास में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान 445 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसमें विभिन्न प्रजातियों के वन्य पशु प्राकृतिक परिवेश में निवास करते हैं। यहां सफेद शेर, रीछ, हिरण, तेंदुआ, नीलगाय, चिंकारा, सांभर, काला हिरण, जंगली सूअर आदि को रखा गया है।
फासिल्स पार्क:

डिंडौरी जिले में स्थित यह उद्यान जबलपुर से 100 किलोमीटर दूर है। इसे वर्ष 1983 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न किस्म के जीवाश्म संग्रहित है। इनमें नारियल के पेड़ों, सुपाड़ी, मछली आदि के जीवाश्म भी हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि कभी यह इलाका समुद्र के करीब रहा होगा। फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान 0.270 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है।
पुराण डेस्क