नबाब की बुरी नियत से बचने, रानी कमलावती ने ली जल समाधि


स्टोरी हाइलाइट्स

यहाँ हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलावती हुआ और वहाँ इन्टरनेट पर लोग इनके के बारे में सर्च करते नही थम रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल में इस रानी कमलावती रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। रानी कमलापति के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। आइये आपको बताते है स्वाभिमानी रानी की अनूठी कहानी.....

कौन थी रानी कमलापति?

रानी कमलापति 18वीं सदी की गोंड रानी थीं। उस समय गिन्नौरगढ़ का मुखिया निजाम शाह था, जिसकी 7 पत्नियाँ थीं। सुंदर और बहादुर रानी कमलापति उनमें से एक थी और वह राजा को सबसे प्रिय थी। उस समय बाड़ी पर निजाम शाह के भतीजे आलम शाह का शासन था। आलम की नजर निजाम शाह की दौलत और संपत्ति पर थी। कमलापति की सुंदरता से प्रभावित होकर, उन्होंने रानी के लिए अपने प्यार का इजहार भी किया, लेकिन रानी ने उन्हें अस्वीकार कर दिया।

पति की हत्या के बाद बदला लेने का फैसला

निजाम शाह का भतीजा आलम शाह लगातार अपने चाचा निजाम की हत्या की साजिश रच रहा था। मौका मिला तो राजा के खाने में जहर मिलाकर उसकी हत्या कर दी। रानी और उनके बेटे को भी खतरा था। ऐसे में रानी अपने बेटे नवल शाह को गिन्नौरगढ़ से भोपाल के रानी कमलापति महल ले आईं। रानी अपने पति की मौत का बदला लेना चाहती थीं। लेकिन बिडम्बना कि ना तो खजाने में पर्याप्त धन था और ना ही सेना बल।

एक लाख रुपए पर मदद को तैयार हुआ था दोस्त मोहम्मद खान

प्रतिशोध की आग में जल रही रानी किसी भी हाल में अपने पति की मौत का बदला चाहती थी इतिहासकारों के मुताबिक, रानी ने दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी और वह मदद के लिए तैयार भी हो गया, लेकिन बदले में उसने रानी से एक लाख रुपये की मांग कर दी। रानी बदला लेना चाहती थी, इसलिए पैसे ना होने पर भी उन्होंने दोस्त मोहम्मद खान के प्रस्ताव पर हामी भर। मुग़ल सेना का हिस्सा रहे दोस्त मोहम्मद खान को लूटी हुई सम्पतियों में हेरफेर करने के कारण सेना से बाहर कर दिया गया था, जिसके बाद उसने भोपाल के पास जगदीशपुर में अपना शासन स्थापित कर लिया।

आखिरकार, रानी ने अपने पति की हत्या का बदला ले ही लिया

रानी ने दोस्त मोहम्मद के साथ मिलकर बारी राजा आलम शाह पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी। इस तरह कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला लिया। हालांकि, समझौते के मुताबिक रानी के पास दोस्त मोहम्मद को देने के लिए एक लाख रुपए नहीं थे। उस समय एक लाख रुपये बहुत होता था। ऐसे में रानी ने उन्हें भोपाल का हिस्सा दे दिया। लेकिन यह बात रानी कमलापति के बेटे नवल शाह को पसंद नहीं आई। ऐसे में नवल शाह और दोस्त मोहम्मद के बीच लड़ाई छिड़ गई। कहा जाता है कि दोस्त मोहम्मद ने नवल शाह को धोखे से जहर देकर मार डाला और भोपाल की रियासत पर कब्ज़ा किया।

रानी की कहानी को बताते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि, हम सभी बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं कि - तालों में ताल भोपाल ताल, बाकी सब तलैया, रानी तो कमलापति, बाकी सब रनैया।। यशस्वी रानी कमलापति ने जल प्रबंधन के क्षेत्र में बहुत उत्कृष्ट कार्य किया था। उद्यान और मंदिरों की स्थापना कराई थी।

उन्होंने आगे लिखा कि, रानी कमलापति के राज्य को दोस्त मोहम्मद खान द्वारा हड़पने का षड्यंत्र किया गया था। उनके पुत्र की हत्या कर दी गई और जब रानी को लगा कि राज्य का अब वह संरक्षण नहीं कर पायेंगी, तो उन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जल समाधि ले ली थी। भोपाल की वो अंतिम हिंदू रानी थीं। उनके नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम 'रानी कमलापति' कर दिया गया है। यह मेरे लिए बहुत संतोष और आनंद का विषय है। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हृदय से धन्यवाद देता हूं।