समोसा और जलेबी खाने का शौक तो सभी रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि आस-पास के स्टॉल्स और होटलों में मिलने वाला समोसा और जलेबी भी आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकते हैं।
जी हां अब जलेबी और समोसे जैसे स्नैक्स पर स्वास्थ्य चेतावनी दिखाई देगी, ताकि लोगों को पता चल सके कि वे जो खाना खा रहे हैं उसका उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। ये चेतावनी एक बार को तो आपको भी सोचने पर मजबूर कर देगी कि जो फूड आप खा रहे हैं, वो आपके लिए कितना हानिकारक है।
रिपोर्ट की माने तो भारतीय एक साल में 21000 करोड़ समोसे और करीब 34 करोड़ किलो जलेबी खा जाते है! ये आंकड़े वाकई में चौकाने वाले हैं। यह कदम जंक फूड को सिगरेट जितना खतरनाक घोषित करने की शुरुआत है। अब जलेबी की मिठास और समोसे के तीखेपन के साथ स्वास्थ्य चेतावनी भी आएगी।
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर के केंद्रीय संस्थानों को "तेल और चीनी बोर्ड" लगाने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि अब विक्रेताओं को यह बताना होगा कि वे जो स्नैक परोस रहे हैं उसका स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर है या उसमें कितनी चीनी या कोई अन्य पदार्थ है।
यह कदम जंक फूड को सिगरेट जितना खतरनाक घोषित करने की शुरुआत है। जल्द ही, लड्डू, वड़ा पान और पकौड़े जैसे स्वादिष्ट स्नैक्स पर चेतावनी बोर्ड लगे होंगे जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपको पता है कि एक समोसे में कितना तेल है, तो क्या आप दूसरा समोसा खाने से पहले दो बार नहीं सोचेंगे?
एक रिपोर्ट के अनुसार, एम्स नागपुर ने इस आदेश की पुष्टि की है। जल्द ही, ये चेतावनी बोर्ड कैंटीन और सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएँगे।
कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के नागपुर चैप्टर के अध्यक्ष अमर आमले ने कहा, “खाने की चीज़ों पर लेबल लगाने को सिगरेट की चेतावनी जितना ही गंभीर बनाने की दिशा में यह पहला कदम है। चीनी और ट्रांस फैट अब नए 'तंबाकू' हैं। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं।”
माना जा रहा है कि फास्ट फूड पर प्रतिबंध लगाने के बजाय, सरकार चेतावनी बोर्ड के ज़रिए लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह देगी। इसका मतलब है कि अब हर स्वादिष्ट नाश्ते पर एक बोर्ड लगा होगा जिस पर लिखा होगा, “खाएँ, लेकिन सावधानी से।”
भारत में मोटापे की समस्या और बीमारी तेज़ी से फैल रही है। एक अनुमान के अनुसार, 2050 तक 44.9 करोड़ भारतीय मोटापे से ग्रस्त होंगे। इसके बाद, भारत इस मामले में केवल अमेरिका से पीछे रह जाएगा।
वर्तमान में, शहरी क्षेत्रों में हर पाँचवाँ वयस्क मोटापे से जूझ रहा है। गलत खान-पान और कम शारीरिक गतिविधि के कारण बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है। ये आँकड़े आपको चिंता मेंडाल सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम खान-पान की आदतों पर नज़र रखने का एक प्रयास है। यह बोर्ड न केवल चेतावनी देगा, बल्कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने का अवसर भी देगा।
तो फिर खाएं, लेकिन सोच-समझकर।