मध्यप्रदेश में एक सिपाही को स्टाइलिश मूछें रखने के कारण सस्पेंड किया जाना चर्चा का विषय बन गया है| हालांकि सिपाही को बहाल भी कर दिया गया है, क्योंकि भाई साहब अपनी मूंछों के लिए नौकरी तक दांव पर लगाने को तैयार थे| लेकिन इन महाशय ने मूछों को चर्चा में ला दिया है|
कैबिनेट और मूंछें: पुलिस ही नहीं सियासत की मूछों को भी देखो| क्या मूंछ से बढ़ता है पूछ और प्रभाव?
पुलिस और सेना में मूछें अलग महत्व रखती हैं लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति में भी समय के साथ मूंछों ने अपने रंग और तेवर बदले हैं| ये अलग बात है कि सियासी मूंछों को पुलिसिया मूंछों की तरह कभी निशाने पर नहीं लिया गया|
मूंछें मर्दों की शान होती है लेकिन राजनीति में अब मूछें शान का सबब नहीं रही| मूंछ कटाने की बात पर इतिहास में जिंदगी तक दांव पर लगा दी गई, लेकिन अब मूछें सिर्फ स्टाइल का सबब रह गई है|
मध्य प्रदेश की कैबिनेट की बात करें तो प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कभी लंबी और घनी मूछें रखते थे| धीरे-धीरे मुख्यमंत्री की मूछें छोटी होने लगी| शिवराज जी की पूछ बढ़ने लगी लेकिन मूंछ घटने लगी| हालांकि ये व्यक्तिगत मामला है कि वह अपने चेहरे पर किस तरह की मूछें रखें|
शिवराज सिंह चौहान अब बेहद बारीक मूंछें रखते हैं| आज वो राजनीति के शिखर पर है भले ही मूंछ हो ना हो| साफ़ है राजनितिक सफलता में उनकी मूंछें कोई मायने नहीं रखती|
डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश सरकार में दूसरे नंबर पर माने जाते हैं| डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा घनी और बड़ी मूछें रखते हैं|
- मध्य प्रदेश सरकार के एक और मंत्री गोपाल भार्गव मूंछों के साथ दाढ़ी भी रखते हैं|
- तुलसीराम सिलावट घनी मूंछें रखते हैं उनकी मूछों का अंदाज शुरू से एक सा ही रहा है|
- वन मंत्री कुंवर विजय शाह शुरू से ही मूंछें रखते आए हैं|
- जगदीश देवड़ा क्लीन शेव रहते हैं|
- मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री बिसाहूलाल सिंह बारीक मूंछें रखते हैं|
- भूपेन्द्र सिंह, कमल पटेल और गोविंद सिंह राजपूत घनी मूंछें रखना पसंद करते हैं|
- विजेंद्र सिंह भी बृजेंद्र प्रताप सिंह बड़ी मूछे रखना पसंद करते हैं|
- विश्वास सारंग मध्य प्रदेश सरकार में अच्छा मुकाम रखते हैं लेकिन वह क्लीन शेव रहते हैं|
प्रभु राम चौधरी क्लीन शेव रहते हैं|
- महेंद्र सिंह सिसोदिया घनी मूछे रखना पसंद करते हैं|
- प्रद्युम्न सिंह तोमर भी घनी और बड़ी मूछे रखना पसंद करते हैं|
- प्रेम सिंह पटेल साधारण मूंछें रखना पसंद करते हैं|
- ओमप्रकाश सकलेचा साधारण मूंछें पसंद करते हैं|
- रविंद भदौरिया हल्की मूंछें रखना पसंद करते हैं} मोहन यादव घनी मूंछें रखना पसंद करते हैं|
- हरदीप सिंह डंग सिख परंपरा का पालन करते हुए घनी मूंछ और दाढ़ी रखते हैं|
- राजवर्धन सिंह दत्तीगांव क्लीन शेव रहना पसंद करते हैं|
- भारत सिंह कुशवाहा, इंदर सिंह परमार,रामखेलावन पटेल मूछें रखते हैं|
- रामकिशोर कावरे क्लीन शेव रहना पसंद करते हैं|
- बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, ओ पी एस भदौरिया मूंछें रखते हैं|
इससे पहले की कमलनाथ कैबिनेट को देखें तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ, सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह, लाखन सिंह यादव, जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, पीसी शर्मा, सचिन यादव और सुरेंद्र सिंह बघेल को छोड़कर सभी लोग घनी मूछें रखना पसंद करते थे|
हालांकि मध्य प्रदेश के बड़े नेताओं को देखें तो दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया क्लीन शेव रहते हैं| शिवराज सिंह चौहान हल्की तो नरेंद्र सिंह तोमर घनी मूंछें रखते हैं| कैलाश विजयवर्गीय और VD शर्मा भी घनी और बड़ी मूछे रखना पसंद करते हैं|
राजनीति में सक्सेस का मूंछों से कोई गहरा ताल्लुक दिखाई नहीं देता| इतना जरूर है कि मूंछें पहले न सिर्फ मर्दानगी का सबूत हुआ करती थी, बल्कि पिता के रहते इन्हें कटाना परंपराओं के खिलाफ था|
विभिन्न संस्कृतियों ने मूंछों के साथ अलग-अलग संबंध विकसित किए हैं। उदाहरण के लिए, 20वीं सदी के कई अरब देशों में, मूंछें शक्ति से जुड़ी हैं, दाढ़ी इस्लामी परंपरावाद से जुड़ी हैं, और क्लीन शेव या चेहरे के बालों की कमी अधिक उदार, धर्मनिरपेक्ष प्रवृत्तियों से जुड़ी है।
इस्लाम में, मूंछों को ट्रिम करना सुन्नत और मुस्तहब माना जाता है, यानी जीवन का एक तरीका जिसकी सिफारिश की जाती है, खासकर सुन्नी मुसलमानों के बीच, मूंछें किसी धर्म के पुरुष अनुयायियों के लिए एक धार्मिक प्रतीक भी हैं।
विभिन्न संस्कृतियों के अलावा, मूंछों की धारणा को धर्म द्वारा भी बदल दिया जाता है क्योंकि कुछ धर्म सामान्य रूप से मूंछों या चेहरे के बालों के विकास का समर्थन करते हैं, जबकि अन्य मूंछों वाले लोगों को अस्वीकार करते हैं, जबकि कई चर्च इस विषय पर कुछ हद तक अस्पष्ट रहते हैं।