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कमलचाल कर ना दे कांग्रेस का यूपी जैसा हाल?

सार

इतिहास के नशे पर सवार कांग्रेस इतिहास से शायद सबक नहीं लेती है. बीजेपी और कांग्रेस के सीधे मुकाबले वाले राज्यों को छोड़कर देश के दूसरे राज्यों में मुसलमान कांग्रेस पर भरोसा नहीं करते. सेक्युलर और हिंदुत्व की विचारधारा के बीच झूलती कांग्रेस चुनावी सुविधा के हिसाब से अपनी विचारधारा को सजाती है. बाबरी विध्वंस के समय दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. तब उसे बचाने का दिखावा मुसलमानों के दिलों को आहत कर गया था. यूपी में आज कांग्रेस के हालात विचारधारा के मोर्चे पर कांग्रेस की ऐतिहासिक गलतियों का ही नतीजा हैं..!

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विस्तार

एमपी में कांग्रेस बीजेपी के साथ तगड़े मुकाबले में है लेकिन इस राज्य में भी कांग्रेस के हिंदुत्व की कमलचाल मुसलमानों के मन में तूफान पैदा कर रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ मुस्लिम नेता और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने कांग्रेस की विचारधारा पर ढुलमुल नीतियों के कारण मुस्लिम समाज में बढ़ती नाराजगी को उजागर किया है. 

अजीज कुरैशी कहते हैं कि कांग्रेस के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व डूब मरने की बात है. नेहरू के वारिस कांग्रेसी आज धार्मिक यात्रा निकालते हैं. गंगा-नर्मदा की जय बोलते हैं. पीसीसी में मूर्तियां बिठाते हैं और हिंदूवादी होने पर गर्व बताते हैं. अजीज कुरैशी से पहले कांग्रेस के सीनियर लीडर प्रमोद कृष्णन भी हिंदू राष्ट्र समर्थक कथावाचक की आरती उतारने को लेकर कमलनाथ की तीखी आलोचना कर चुके हैं.

विचारधारा के प्रति कांग्रेस की बेईमानी और ढुलमुल रवैये के कारण देश में नए राजनीतिक विचार को नेतृत्व का मौका मिला है. सत्ता की राजनीति में पिछड़ने के बाद कांग्रेस शायद अब यह मानने लगी है कि सेकुलर राजनीति की विचारधारा भारतीय विचारधारा नहीं हो सकती. इसीलिए तो प्रियंका गांधी नर्मदा पूजन करती हैं. कमलनाथ हिंदू राष्ट्र समर्थक कथावाचकों की अपने गृहनगर में न केवल कथाएं कराते हैं बल्कि देश की आबादी के आधार पर देश को हिंदू राष्ट्र होने का स्वाभाविक दावा करते हैं. 

किसी भी पॉलीटिकल पार्टी के राजनीतिक विचार बदलने की प्रक्रिया स्वाभाविक है. कांग्रेस अगर अपना सेक्युलर विचार बदल कर हिंदुत्व के राजनीतिक विचार के साथ बढ़ना चाहती है तो इसमें कोई बुराई नहीं देखना चाहिए. बुराई इस बात में है कि विचारधारा सेक्युलर होने का नारा-दिखावा और राजनीतिक आचरण हिंदुत्व की आधारशिला पर खड़ा किया जाए.

एमपी के मुसलमानों के मन में कांग्रेस को लेकर तूफान शायद इसीलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि बातें सेक्युलर और काम हिंदुत्व की राजनीति का. राजनीति में आज सबसे बड़ी समस्या है कि चेहरे पर चेहरे लगा मूल तत्वों को छिपाकर जनता को भ्रमित किया जाता है. कांग्रेस भारत माता की जय भी बोलने लगी है और विरोधी के खिलाफ भारत माता की हत्या के आरोप से भी कांग्रेस को कोई असुविधा नहीं है.

राजनीति में दंगों को भी चुनावी रेसिपी के रूप में उपयोग किया जाना सामान्य बात हो गई है. कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ दंगों की राजनीति का आरोप लगाती रही है. एमपी में कांग्रेस के बड़े नेता सार्वजनिक रूप से बयान देते हैं कि बीजेपी चुनाव के पहले राज्य में दंगे कराना चाहती है. ऐसे बयान मुस्लिम हितैषी होने का दिखावा कर मुसलमानों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट कर कांग्रेस के पक्ष में मतदान वाली वोट बैंक पॉलिटिक्स के अलावा कुछ नहीं कहे जा सकते हैं . 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुष्टिकरण की राजनीति को कांग्रेस के खिलाफ बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में खड़ा किया है. पसमांदा मुसलमानों के हक में खड़े होकर बीजेपी ने मुस्लिमों तक भी अपनी विचारधारा को पहुंचाने की कोशिश की है.

कांग्रेस की कमलचाल के विरुद्ध अजीज कुरैशी के आक्रोश को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. यूपी में मुस्लिम कांग्रेस से छिटक गए हैं. दक्षिण भारत के राज्यों में पश्चिम बंगाल समेत ऐसे सभी राज्यों में जहां तीसरे दल के रूप में सेक्युलर विचारधारा के राजनीतिक दल सक्रिय हैं वहां मुसलमान कांग्रेस को समर्थन करते हुए अब नहीं दिखाई पड़ते हैं. अब केवल छत्तीसगढ़, एमपी और राजस्थान जैसे राज्य ही बचे हैं जहां मुस्लिम कांग्रेस का समर्थन करते हैं. गुजरात में प्रगतिशील मुस्लिम बीजेपी के साथ अपने को जोड़ने में परहेज नहीं करते.

एमपी में कांग्रेस की कमलचाल ने मुसलमानों के सामने राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है. हिंदुत्व की विचारधारा के साथ उनको जाना है तो बीजेपी की सरकार में भी उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार नहीं देखा जाता है. एमपी कांग्रेस की कमलचाल ने मध्यप्रदेश में तीसरी राजनीतिक पार्टी के लिए संभावनाओं के दरवाजे खोले हैं. केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी मुस्लिम मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी मध्यप्रदेश में चुनावी मैदान में उतरेंगी.

सिद्धांत-विचारों और आचरण में अंतर से किसी भी समर्थक के मन में चोट करना सबसे बड़ा राजनीतिक धोखा माना जाता है. जब कोई व्यक्ति ऐसा मानता है कि उसके साथ धोखा हो रहा है तो फिर उसे भी ऐसे व्यक्ति,संगठन या पार्टी को धोखा देने का नैतिक अधिकार प्राप्त हो जाता है. मुस्लिम मतदाताओं को मध्यप्रदेश में बीजेपी कितना अपने साथ जोड़ पाएगी यह तो कहना मुश्किल है लेकिन तीसरे दल जरूर मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित करने में कुछ हद तक सफल हो सकते हैं. 

कांग्रेस की हिंदुत्व कमलचाल से पार्टी को राजनीतिक लाभ किस सीमा तक मिलेगा यह तो वक्त पर पता चलेगा लेकिन मुसलमानों के मनों को आहत कर राजनीतिक स्वार्थ भी सुख की अनुभूति नहीं दे सकेगा. कांग्रेस की हिंदुत्व कमलचाल, धर्मनिरपेक्ष ताकतों और व्यक्तियों के गाल पर करारा निशान छोड़ रही है. इस निशान का दर्द कांग्रेस को लंबे समय तक भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए.