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संघ का प्रभाव- बीजेपी में बदलाव, चुनावी आहट, नये संगठन मंत्री की जमावट - सरयूसुत मिश्रा 

सार

भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से आनेवाले संगठन महामंत्री की व्यवस्था अपने आप में अनूठी है|  भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले संगठन महामंत्री पार्टी की रीढ़ माने जाते हैं|  पार्टी के संगठन को एकजुट रखने और आगे ले जाने में संगठन महामंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका होती है..!

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विस्तार

यूपी चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में 2023 के इलेक्शन के लिहाज से संघ ने जमावट शुरू की है| निवर्तमान संगठन महामंत्री सुहास भगत को संघ ने वापस बुला लिया है| जिस समय भगत संगठन मंत्री बने थे उस समय 2018 के चुनाव की तैयारियां शुरू हो गयी थी| पार्टी में संगठन की जमावट को उन्होंने बखूवी अंजाम दिया| भले ही पार्टी सत्ता में वापस नहीं आ सकी लेकिन भगत का कार्यकाल संगठन की दृष्टि से बेमिसाल रहा| बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के उनकी संघ में सम्मानजनक वापसी के बाद, उन्ही के सहयोगी हितानंद शर्मा की नए संगठन महामंत्री के तौर पर ताजपोशी के मायने साफ हैं| 

ये कहा जाता है कि संगठन महामंत्री कार्यकर्ताओं से गाँव-गाँव तक संपर्क में होते हैं| कार्यकर्ता उनमें अपना संरक्षक देखते हैं| हितानंद शर्मा की संगठनात्मक काबिलियतों के लिए आरएसएस में उन्हें सम्मान की नजरों से देखा जाता है| वे अपने फ़ैसलों को सख़्ती से लागू करने में यक़ीन रखते हैं| 

संगठन महामंत्री के तौर पर शर्मा का आना कोई आकस्मिक घटना नहीं है, यह एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है| भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की यह खासियत है कि वह किसी भी पद के लिए विकल्प तैयार रखते हैं| हितानंद शर्मा जब सह संगठन मंत्री बने थे तभी साफ हो गया था कि वह आने वाले समय में सुहास भगत का स्थान लेंगे| हितानंद शर्मा का संगठन मंत्री बनना अपने आप में कई अर्थ लिए हुए हैं| उनका व्यक्तित्व मिलनसार है| हितानंद शर्मा को जानने वाले उनकी कार्यशैली, कार्यक्षमता और स्मरण शक्ति के कायल हैं| 

एक वर्ष संघ के नागपुर में हुए तृतीय वर्ष के वर्ग में हितानंद शर्मा ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के कहने पर सभी प्रतिभागियों का व्यक्तिशः नाम बताते हुए हितानन्द शर्मा से परिचय कराया, बाद में हितानन्द ने उन सभी लोगों का नाम एक एक कर दोहरा दिया| कहते हैं सहजता और सौम्यता शर्मा का ख़ास गुण है, उनके बारे में कहा जाता है कि वे बड़े-बड़े दूरदर्शी निर्णय भी बड़े सरलता से ले लेते हैं। वर्ष 1976 में अशोकनगर जिले के नईसराय में शर्मा का जन्म हुआ और पिता के शासकीय सेवा में कार्यरत होने के कारण प्रदेश के अलग-अलग स्थानों में शिक्षा सम्पन्न हुई।

उनके नजदीकी बताते हैं कि बचपन से ही सामाजिक गतिविधियों में रुचि होने के चलते शर्मा संघ के निकट आ गए। संघ से प्राप्त हुए हर दायित्व को शर्मा ने आत्मसात कर उनका समर्पण के साथ निर्वहन किया। साल 1995 में जीवन की उनकी दूसरी पारी शुरू हुई और वे अशोकनगर में विस्तारक बन संघ के लिए पूर्ण रूपेण समर्पित हो गए। अशोकनगर के बाद वे चंदेरी, चांचौड़ा और कुंभराज में संघ प्रचारक रहे।

बीजेपी और संघ में कार्यकर्ताओं से परस्पर संवाद और स्नेह स्थापित करना उनकी खूबी मानी जाती है, इसी के चलते वर्ष 2002 में श्योपुर, शिवपुरी, विदिशा जैसी कई जगहों पर प्रचारक बनाकर भेजे गए और वहां उन्होंने न सिर्फ संगठन की विचारधारा का विस्तार किया बल्कि संघ में एक इंजीनियर के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। शर्मा जहां रहे वहां कार्यकर्ताओं के ऊर्जा के केंद्र के रूप में संघ कार्यालयों के निर्माण सम्पन्न हुए। विदिशा का भव्य मधुकर भवन उनके परिश्रम की कहानी बयान करता है।

वहीं दूसरी ओर 28 विधानसभा के उपचुनाव भी उनके संयोजन में हुए जहां भाजपा ने विजय हासिल की। उन्होंने मात्र 1 वर्ष में प्रदेश के 50% मंडलों का प्रवास कर जमीनी कार्यकर्ताओं से संपर्क साधा। उनका मौन, उनकी स्मरण शक्ति, मुस्कान और ऊर्जाशक्ति उनके व्यक्तित्व से परिचित कराती हैं। हाल ही में उत्तरप्रदेश में सम्पन्न विधानसभा चुनावों में उन्हें अवध क्षेत्र का दायित्व सौंपा गया, वहां भी भाजपा ने अपना विजयी ध्वज फहराया। 3 महीने तक शर्मा ने संपूर्ण अवध क्षेत्र के चप्पे चप्पे का सघन प्रवास किया। गांवों-गलियों-कस्बों में जाकर लोगों तक भाजपा की उपलब्धियां पहुंचाई। बताया जाता है कि उनकी कार्यशैली और व्यक्तित्व किसी भी कार्यकर्ता में नई ऊर्जा का संचार करती है। किसी भी बात को गंभीरतापूर्वक सुनना एवं किसी भी समस्या का समयानुकूल समाधान करना उनके विशिष्ट गुणों में हैं। 
 
बीजेपी में जिसे संघ से भेजा जाता है उसकी संगठन महामंत्री के रूप में नियुक्ति बीजेपी करती है| संगठन मंत्री बीजेपी के संगठन और सरकारों के बीच भी कोआर्डिनेशन बैठाते हैं| पार्टी अध्यक्ष के बाद बीजेपी में संगठन महामंत्री का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। जहां भारतीय जनता पार्टी के मुख्य धारा के नेता जनता के बीच पार्टी की छवि चमकाने का काम करते हैं, पब्लिक से कनेक्ट होते हैं, वही संगठन मंत्री पर्दे के पीछे पार्टी की रणनीति, संघ की विचारधारा के अनुसार तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यह कार्यकर्ताओं को संगठित रखते हैं और संगठन को मजबूत करने के लिए नए तौर-तरीकों पर भी काम करते हैं| 

कुछ समय पहले ही बीजेपी ने संघ प्रचारक हितानंद शर्मा को सह संगठन मंत्री बनाया था। इससे पहले पूर्व प्रदेश सह संगठन महामंत्री और आरएसएस के प्रचारक अतुल राय को बीजेपी से आरएसएस में वापस भेजा गया था| परदे के पीछे काम करने वाले आरएसएस प्रचारक एनडीए की सत्ता का नया चेहरा बनकर उभरे हैं| राजनीति और राजनैतिक सत्ता से दूर रहने वाले ये पदाधिकारी केंद्र और विभिन्न राज्यों में अब सक्रिय योगदान कर रहे हैं| सरकार और संगठन में आरएसएस के प्रचारकों की बढ़ती भूमिका मोदी के नेतृत्व में आए पीढ़ीगत बदलाव का ही प्रतीक है|
 
राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो अपने कॉलेज के दिनों में वीर सावरकर को आदर्श मानने वाले बीएल संतोष अब भारतीय जनता पार्टी में तीसरे सबसे कद्दावर शख़्सियत हैं| राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के तौर पर उनकी नियुक्ति ऐसे शख़्स की कहानी है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक साधारण प्रचारक से पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अमित शाह और अध्यक्ष नियुक्त किए गए जे पी नड्डा के बाद तीसरे सबसे बड़े पद पर पहुंचे| बूथ-स्तर के कार्यकर्ताओं, पन्ना प्रमुखों की फौज तैयार करने में संगठन महामंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है| 

मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां पर सभी मण्डल अध्यक्ष 40 साल से कम उम्र के हैं| महानगरों में युवाओं को ज़िला अध्यक्ष नियुक्त करने में बड़ी भूमिका सुहास भगत की मानी जाती है| संगठनात्मक नियुक्तियों में विधायकों के एकाधिकार को कम करने के साथ सिंधिया गुट के साथ समन्वय बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय जनता पार्टी की रोजमर्रा की राजनीति में सीधे दखल नहीं देता लेकिन संगठन महामंत्री के रूप में बीजेपी में आरएसएस की छाप हमेशा रहती है| संघ के जमीनी कार्यक्रमों, कार्यों और कार्यकर्ताओं का लाभ बीजेपी को हमेशा से मिलता रहा है| आगामी चुनाव नये संगठन महामंत्री के लिए चुनौती हैं| संगठन को पुनर्गठित करते हुए जनभावनाओं के अनुरूप प्रत्याशियों का चयन और सरकार के साथ कोआर्डिनेशन करते हुए चुनाव में विजय उनका मिशन होगा|