क्या ऋण शोधन अक्षमता कार्रवाई के विकल्प का इस्तेमाल कर फंसे ऋण को वसूलना जायज नहीं है?
एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के चेयरमैन और कुछ वरिष्ठ अधिकारी अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के खिलाफ पिछले सप्ताह से बंबई उच्च न्यायालय की शरण में है। इससे कुछ महत्वपूर्ण सवाल पैदा होते हैं, जैसे एक न्यायिक इकाई के तहत किसी एनबीएफसी द्वारा ऋणों की वसूली का प्रयास मानसिक रूप से परेशान करना या आत्महत्या के लिए उकसाने वाला माना जाना चाहिए? क्या ऋण शोधन अक्षमता कार्रवाई के विकल्प का इस्तेमाल कर फंसे ऋण को वसूलना जायज नहीं है?किस्सा वही है ,रायगड पुलिस ने इस महीने के शुरू में भारतीय फिल्म उद्योग के मशहूर कला निर्देशक नितिन देसाई की आत्महत्या के मामले में यह प्राथमिकी दर्ज करना |
सब जानते हैं ,पुलिस ने देसाई को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त समाधान पेशेवर के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की है। कहा जा रहा है कि देसाई ऋण नहीं लौटा पा रहे थे और उन्हें इसके लिए उक्त एनबीएफसी परेशान एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही थी। इससे आजिज होकर देसाई ने आत्महत्या कर ली। पुलिस इस मामले में दर्ज शिकायत के आधार पर कार्रवाई कर रही है और उसे तहकीकात करने का पूरा अधिकार है।भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आत्महत्या के लिए उकसाने या विवश करने के लिए दंड का प्रावधान है। इस धारा के इस्तेमाल का इतिहास सरल नहीं रहा है। अब इसका इस्तेमाल ऋणदाता एवं समाधान पेशेवर के खिलाफ भी हो रहा है।
देसाई मामले में यह स्थापित करना जरूरी है कि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह ने एक खास इरादे से किसी अमुक व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाया या विवश किया या नहीं। एनसीएलटी एक अर्द्ध न्यायिक मध्यस्थता पंचाट है, जिसकी स्थापना केंद्र सरकार ने भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 408 के अंतर्गत की है। इसे कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से जुड़े मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। अगर कोई कर्जधारक ऋण अदा करने में चूक करता है तो बैंकों एवं गैर-वित्तीय कंपनियों के पास एनसीएलटी में अपील करने का विकल्प रहता है।
एनसीएलटी ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी), 2016 के अंतर्गत निगमित ऋण शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया की शुरुआत करता है। आईबीसी के तहत भुगतान में चूक का मतलब किसी देनदारी का भुगतान करने में असफल रहना है। कई लोग जो अपने आवास ऋण की मासिक किस्त नहीं चुका पाते हैं तो बैंक अपनी रकम वसूलने के लिए उनके घरों की नीलामी कर देते हैं। अगर आत्महत्या करना और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप को एक विकल्प के रूप में देखा गया तो ऋण देने एवं इनकी अदायगी के स्थापित ढांचे में विकृति नहीं आएगी?
एनसीएलटी के निर्णय सदैव कर्जदाताओं के पक्ष में नहीं आते हैं। उदाहरण के लिए पिछले सप्ताह एनसीएलटी ने ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड का कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) के साथ विलय को हरी झंडी दे दी।न्यायाधिकरण के मुंबई पीठ ने प्रस्तावित विलय पर सारी आपत्तियां खारिज कर दी। इस विलय के खिलाफ ऐक्सिस फाइनैंस लिमिटेड, जे सी फ्लावर्स ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, जे सी फ्लावर्स ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, आईमैक्स कॉर्पोरेशन और आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेस लिमिटेड ने आपत्ति जताई थी।
दुर्भाग्य से भारत में अब तक व्यक्तिगत ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया कानून पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाया है। दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने से पहले व्यक्तिगत दिवालिया के संबंध में ऋण निपटान के लिए क्या अमेरिका की तरह भारत में भी एक संस्थागत निपटान प्रणाली होनी चाहिए? इस पर गंभीरता से विचार का समय है | असफल कारोबार और असफल कारोबारी यो दो अलग-अलग चीजें हैं। किसी कारोबार के विफल होने के कई कारण हो सकते हैं। उद्यमी इन कारणों का विश्लेषण कर सीखता है और नए तरीके से कारोबार दोबारा शुरू करता है। ऐसे वित्तीय संकट और कारोबारी विफलताओं से निकलना किसी उद्यमी की एक प्रमुख पहचान होती है।