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स्पेक्ट्रम आवंटन में देरी क्यों?

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Thu , 27 Jul

सार

इस सेवा से देश के सुदूर स्थानों में बड़ी संख्या में रहने वाले लोगों तक इंटरनेट संपर्क आसानी से उपलब्ध हो जाएगा..!

janmat

विस्तार

यह शुभ लक्षण है कि हमारा देश भारत भी व्यावसायिक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड संचार सुविधा शुरू करने के निकट पहुंच गया है। इस सेवा से देश के सुदूर स्थानों में बड़ी संख्या में रहने वाले लोगों तक इंटरनेट संपर्क आसानी से उपलब्ध हो जाएगा, परंतु, ये सेवाएं शुरू करने के लिए कंपनियों  को स्पेक्ट्रम के लिए प्रतीक्षा करनी होगी।

जैसे भारती समूह समर्थित यूटेलसैट वनवेब ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि उसे व्यावसायिक शुरुआत के लिए सभी आवश्यक मंजूरी (अंतरिक्ष विभाग सहित) मिल गई है। यह निश्चित तौर पर स्वागत योग्य कदम है परंतु, अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए इस कंपनी को भी स्पेक्ट्रम के लिए प्रतीक्षा करनी होगी।

इससे भी बड़ी चिंता की बात है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड या अंतरिक्ष आधारित संचार सेवाएं देने की योजना बनाने वाली वनवेब सहित अन्य निजी कंपनियों को कब स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जाएगा। जो संकेत मिल रहे हैं उनसे तो यही लग रहा है कि स्पेक्ट्रम आवंटन में समय लगेगा क्योंकि वर्तमान में कई विषयों पर तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को ही सबसे पहले यह सिफारिश करनी है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी होनी चाहिए या एक प्रशासित व्यवस्था से इसका आवंटन किया जाए।ट्राई की सिफारिश के बिना विभिन्न सरकारी विभागों से मिली अनुमति का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है। सरकार को ऐसे मामलों में आपसी समन्वय स्थापित कर निर्णय लेना चाहिए ताकि नई तकनीक एवं सेवाओं की शुरुआत से संबंधित नीतियां निर्बाध रूप से क्रियान्वित हो सकें।

इस मामले में कंपनियों(भारतीय  एवं विदेशी दोनों ही) को स्पेक्ट्रम देने के तरीके पर सरकार के भीतर स्थिति स्पष्ट नहीं रही है। इस कारण सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम नीति आगे नहीं बढ़ पाई है। स्पेक्ट्रम की नीलामी या प्रशासित प्रक्रिया के अंतर्गत इसके आवंटन पर सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय एवं सहमति नहीं बन पाई है।कई कंपनियां बोली प्रक्रिया के माध्यम से स्पेक्ट्रम की नीलामी के पक्ष में नहीं हैं। वनवेब सहित दूसरी कई इकाइयों ने अंतरराष्ट्रीय चलन एवं अंतरिक्ष संचार में नीलामी प्रक्रिया की गैर-व्यवहार्यता का उद्धरण दिया है और प्रशासित प्रक्रिया के अंतर्गत स्पेक्ट्रम आवंटन का आग्रह किया है।

वैश्विक स्तर पर सरकारें नीलामी के माध्यम से उपग्रह संचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करने से दूर रही हैं। हालांकि, रिलायंस जियो एवं दूसरी ऐसी कंपनियां भी हैं जो सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा की होड़ में हैं। ये कंपनियां नीलामी के पक्ष में हैं और इसके लिए सभी मंचों एवं सेवाओं में अवसर की समानता का तर्क दे रही हैं।किसी भी स्थिति में वर्तमान में इस विषय पर ट्राई की तरफ से जल्द कोई निर्णय आने की गुंजाइश बहुत कम है। पिछले दो महीनों से ट्राई में चेयरमैन का पद रिक्त है। बिना चेयरमैन के ट्राई कोई सिफारिश करने की स्थिति में नहीं होगा।

ट्राई अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकरण के कार्यों के संपादन में चेयरमैन के पास सामान्य अधीक्षण एवं निर्देश देने का अधिकार है। सरकार ट्राई के चेयरमैन पद के लिए निजी क्षेत्र से उम्मीदवार की खोज कर रही है जिससे नियुक्ति में और देरी हो सकती है। निजी क्षेत्र से उम्मीदवार लाने के लिए संसद के आगामी सत्र में ट्राई अधिनियम में संशोधन करने की आवश्यकता हो सकती है।

एक महत्त्वपूर्ण नियामक में शीर्ष पद का लंबे समय तक रिक्त रहना उचित नहीं माना जा सकता परंतु यह ऐसा पहला मामला नहीं है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) भी हाल तक अध्यक्ष के बिना ही कार्य करता रहा है। इसका परिणाम निर्णय लेने में देरी और बाजार के संचालन में बाधा के रूप में सामने आया है।

भारती एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष एवं यूटेलसैट समूह के निदेशक मंडल के उपाध्यक्ष सुनील भारती मित्तल का कहना है कि देश में सभी लोगों तक इंटरनेट सुविधा पहुंचाने एवं प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा करने के लिए वनवेब को व्यावसायिक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा की अनुमति मिलना इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा। स्पेक्ट्रम आवंटन में देरी से ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे विशेष अभियान प्रभावित होंगे।