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ये बैंक हमेशा मुनाफे में रहेंगे? 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Fri , 23 Jan

सार

जहां भारत के उद्योगपतियों के लिए पैसा लेकर भाग जाना,और घाटा दिखाना व घाटा खाना आम बात है, वही अब भारतीय बैंकों के लिए दमदार मुनाफा कमाना कोई नई बात नहीं रह गई हैं, सब आंकड़ों का खेल है।

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विस्तार

-राकेश दुबे 

जहां भारत के उद्योगपतियों के लिए पैसा लेकर भाग जाना,और घाटा दिखाना व घाटा खाना आम बात है, वही अब भारतीय बैंकों के लिए दमदार मुनाफा कमाना कोई नई बात नहीं रह गई हैं, सब आंकड़ों का खेल है। हरेक तिमाही में उनका प्रदर्शन निखरता ही जा रहा है। 

निजी क्षेत्र के केवल दो बैंकों- यस बैंक और बंधन बैंक लिमिटेड और सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को छोड़कर सभी सूचीबद्ध बैंकों ने दिसंबर तिमाही में शानदार मुनाफा अर्जित किया है और तो और देश के सबसे बड़े, दरियादिल कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को भी दिसंबर तिमाही में 14,205 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। 

एसबीआई के लिए किसी भी तिमाही में अर्जित यह सर्वाधिक मुनाफा है। यह बढ़त हमेशा ऐसी ही रहेगी, संदेह है, मार्च तिमाही में भी बैंक मुनाफे में रहेंगे मगर शायद इसके बाद यह सिलसिला थम सकता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंकों- बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक- का मुनाफा पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में दोगुना हो गया है। तुलनात्मक रूप से बड़े बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक का मुनाफा भी क्रमशः 75 प्रतिशत और 92 प्रतिशत तक बढ़ गया है। निजी क्षेत्रों के बैंकों ने भी दिसंबर तिमाही में मजबूत आंकड़े दर्ज किए हैं।

20 सूचीबद्ध निजी बैंकों का कुल शुद्ध मुनाफा 36,357 करोड़ रुपये रहा है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों के मामले में यह आंकड़ा 29,175 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। इस तरह, दिसंबर तिमाही में सभी बैंकों का शुद्ध मुनाफा 65,532 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। दिसंबर 2021 तिमाही में सभी बैंकों का संयुक्त शुद्ध मुनाफा 44,915 करोड़ रुपये और सितंबर 2022 तिमाही में 58,113 करोड़ रुपये रहा था।

निजी क्षेत्र के चार बैंकों- बंधन बैंक, डीसीबी बैंक लिमिटेड, आरबीएल बैंक लिमिटेड और साउथ इंडियन बैंक को छोड़कर सभी का कामकाजी मुनाफा बढ़ा है। निजी क्षेत्र के बैंकों का कामकाजी मुनाफा 30.45 प्रतिशत बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

बैंकों के मुनाफे में शानदार बढ़ोतरी दो कारणों से हुई है। इनमें पहला है शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में इजाफा और दूसरा कारण है फंसे ऋणों के लिए प्रावधानों में कमी। शुद्ध ब्याज आय की तुलना में अन्य आय में बढ़ोतरी थोड़ी कमजोर रही है। अन्य आय में ट्रेजरी आय शामिल होती है। कुछ बैंकों की अन्य आय में तो कमी दर्ज की गई है।

नई गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में कमी और फंसे कर्ज का अंबार कम होने से इनके लिए प्रावधानों में इजाफा भी अब कम होकर एक अंक में रह गया है। एसबीआई सहित कुछ बैंकों में फंसे कर्ज के लिए प्रावधानों में कमी दर्ज हुई है। कुल मिलाकर दिसंबर तिमाही में निजी बैंकों में फंसे कर्ज के लिए प्रावधान 7.67 प्रतिशत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10.37 प्रतिशत बढ़ गया। 

एचडीएफसी बैंक को छोड़कर सभी बैंकों के सकल एनपीए में कमी आई है। निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए दिसंबर तिमाही में 1.46 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो एक वर्ष पहले की तुलना में 1.46 लाख करोड़ रुपये कम है। इनकी तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 18 प्रतिशत कमी के साथ 4.85 लाख करोड़ रुपये रहा है।

प्रतिशत में बात करें तो दिसंबर तिमाही में लगभग सभी बैंकों के सकल और शुद्ध एनपीए में कमी आई है। एचडीएफसी बैंक और तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक जरूर अपवाद हैं। सितंबर और दिसंबर तिमाहियों के बीच आंकड़े अपरिवर्तित रहे। येस बैंक का सकल एनपीए सितंबर के 12.89 प्रतिशत से कम होकर दिसंबर में 2.02 प्रतिशत रह गया। 

एक साल पहले यह आंकड़ा 14.65 प्रतिशत था।निजी बैंकों में आईडीबीआई बैंक लिमिटेड का एनपीए सबसे अधिक (13.82 प्रतिशत) है। इसके बाद बंधन बैंक (7.15 प्रतिशत) में एनपीए सबसे अधिक है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में पीएनबी का सकल एनपीए 9.76 प्रतिशत के साथ सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र का एनपीए (2.94 प्रतिशत) सबसे कम है और इसके बाद एसबीआई (3.14 प्रतिशत) का नाम है।

जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक लिमिटेड, साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड और सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड को छोड़कर सभी सूचीबद्ध निजी बैंकों में एनपीए 2 प्रतिशत से कम है। निजी बैंकों में ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक का शुद्ध एनपीए 1 प्रतिशत से कम रहा है। 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शुद्ध एनपीए 1 प्रतिशत से कम है। पीएनबी का शुद्ध एनपीए 3.3 प्रतिशत के साथ सर्वाधिक है।

अधिकांश बैंकों ने अपना बहीखाता मजबूत करने के लिए प्रोविजन कवरेज रेश्यो (पीसीआर) में इजाफा करना शुरू कर दिया है। यस बैंक (49.4 प्रतिशत) को छोड़कर ज्यादातर बैंकों में पीसीआर कम से कम 70 प्रतिशत या इससे भी अधिक है। 

ज्यादातर बैंकों में ऋण आवंटन की सालाना दर दोहरे अंक में रही है मगर जमा में वृद्धि की दर कम हो रही है। मगर बैंकों में अधिक से अधिक जमा रकम हासिल करने की होड़ शुरू होने के बीच उनका शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) दबाव में रहेगा।

बैंक ऋणों और जमा पर ब्याज दरें बढ़ाते आ रहे हैं। चूंकि, नई दरें सभी ऋणों पर लागू है इसलिए उनकी आय तत्काल बढ़ रही है मगर जमा रकम हासिल करने के लिए उन्हें अधिक ब्याज देना पड़ रहा है। 

जमा खाते में आई रकम के एक बड़े हिस्से पर ब्याज बढ़ने के बाद बैंकों पर दबाव बढ़ जाएगा। वैसे मार्च तिमाही में भी बैंक मुनाफे में रहेंगे मगर शायद इसके बाद यह सिलसिला थम सकता है। जून तिमाही में एनआईएम में कमी से दमदार एवं कमजोर बैंकों में अंतर दिखना शुरू हो जाएगा।