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कांग्रेस का अजब गजब, नेता कब सीखेंगे सबक ? सरयुसुत मिश्र

सार

मध्य प्रदेश की राजनीति का बदलता चेहरा. वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच की रस्साकशी से उठते सवाल. सियासत की अजब-गजब दास्तां, मध्य प्रदेश की राजनीतिक परिपाटी के बदलते मायने पर विश्लेषण

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विस्तार

मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में अजब गजब घटनाक्रम दिखाई पड़ रहे हैं| पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री निवास के सामने किसानों के मुद्दे पर धरने पर बैठते हैं| धरना राजनीति का हथियार है| लेकिन धरना किस कारण दिया जा रहा है, यह भी महत्वपूर्ण होता है? दिग्विजय सिंह को धरना इसलिए देना पड़ा क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री उन्हें किसानों की समस्याएं रखने के लिए मिलने का समय नहीं दे रहे हैं यह बात हज़म नही हो रही है।

वैसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मेल मुलाकात में बहुत सहज और संवेदनशील हैं| आम लोगों से मिलने में उन्हें जब कोई परहेज नहीं होता, तो कांग्रेस के इतने बड़े नेता से मिलने में क्या परहेज हो सकता है? इसमें क्या राजनीति है इसको समझना पड़ेगा| इस पूरे घटनाक्रम में अजब गजब मामला सामने आया, मुख्यमंत्री जब जिले के दौरे पर जाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री से बिना मिले एयरपोर्ट पहुंचते हैं, तब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ से उनकी संयोगवश मुलाकात हो जाती है| सोशल मीडिया पर तो यह प्रचारित होता रहा कि आधे घंटे तक दोनों नेताओं में चर्चा हुई| सच क्या है यह तो दोनों नेता ही बता सकते हैं| कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का यह बयान भी सामने आया है कि उन्हें पता ही नहीं था कि दिग्विजय सिंह का कोई धरना है|

जब सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री और कमलनाथ की एयरपोर्ट पर मुलाकात के वीडियो चलने लगे, तब उन्हें किसी करीबी ने कहा कि अब उन्हें किसी भी स्थिति में दिग्विजय के धरने पर जाना चाहिए, क्योंकि भाजपा इसे तूल दे रही है| कमलनाथ दिग्विजय सिंह के धरने पर पहुंचते हैं और थोड़े समय बाद चले जाते हैं| इसमें अजब गजब यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष को यह पता नहीं था कि उनकी पार्टी के राज्य के सबसे बड़े नेता, पूर्व मुख्यमंत्री धरने पर बैठे हैं| जबकि टीवी और अखबारों में लगातार छप रहा था|

दिग्विजय का ये बयान मीडिया में आया था कि मुख्यमंत्री मिलने का समय नहीं देंगे तो वह मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना देंगे| धरने के दिन तो सुबह के अखबारों में बड़ी बड़ी खबरें छपी| कमलनाथ जैसे बड़े नेता कम से कम कांग्रेस से जुड़ी खबरों से तो कनेक्ट रहते ही होंगे  ऐसा माना जाएगा| कांग्रेस की इतनी बड़ी फौज भोपाल में बैठी हुई है, उसके पूर्व मुख्यमंत्री धरने पर बैठ रहे हैं, और यह जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं दी जाए! तो फिर कांग्रेस पार्टी के कामकाज के बारे में और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है| 

क्या कांग्रेस पार्टी अंतर्द्वंद के दौर से गुजर रही है ?

कमलनाथ राज्य के वरिष्ठ नेता हैं| उनके सभी दलों में और सरकारों में सौहार्दपूर्ण संबंध हमेशा रहे हैं|  वह हमेशा टकराहट की राजनीति से बचते रहे हैं| छिंदवाड़ा जिले को बचाए रखना उनका लक्ष्य होता है, जिसमें वह हमेशा सफल रहे हैं| मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद राज्य स्तर पर उनकी भूमिका सामने आई| कांग्रेस की सरकार 15 महीने में, कांग्रेस के अंतर्द्वंद से ही चली गई| इसके बावजूद भी क्या पार्टी अंतर्द्वंद से बाहर निकलने को तैयार नहीं है?

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में सामान्य अवधारणा यह है कि  कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच में अच्छे संबंध हैं| जब जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे तब तो यह रिश्ता बड़े भाई और छोटे भाई जैसा था| 15 महीने की कमलनाथ की सरकार में भी दिग्विजय सिंह की नहीं चल रही हो ऐसा परसेप्शन नहीं था| सरकार जाने के बाद पहली बार धरने की इस घटना ने अंतर्द्वंद को उजागर कर दिया है| अभी हाल ही में कांग्रेस की ओर से एक वीडियो जारी किया गया था, जिसमें कमलनाथ रिटर्न्स के स्लोगन से अगले चुनाव में उनके मुख्यमंत्री बनने का कमिटमेंट दिखाया गया था|

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों 75 साल के नेता हैं और अगले चुनाव तक उनकी उम्र 77 साल हो जाएगी| आज जब राजनीति में युवाओं का बोलबाला है, भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व युवाओं को दे रही है| भाजपा के महत्वपूर्ण वरिष्ठ नेताओं, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में रखा गया है| भाजपा का राज्य संगठन भी युवा के हाथ में है, ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश कांग्रेस क्या उम्रदराज और युवा नेताओं के बीच झूल रही है? एक बार सरकार आने के बाद कांग्रेसी नेताओं के आपसी विवाद और द्वन्द के कारण सरकार के पतन से, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और युवा नेताओं में भी, निराशा का भाव उपजा है| अगले चुनाव की तैयारियों में लगी कांग्रेस पार्टी, भाजपा के मजबूत संगठन का मुकाबला, बिना संघर्ष और जनता के मुद्दों पर लड़ाई लड़े, सत्ता तक पहुंचने का सपना कैसे देख सकती है|

मध्य प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक सौजन्यता और सहिष्णुता बाकी राज्यों से अच्छी रही है| दिग्विजय सिंह जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भोपाल में हुई थी, जिसमें अटल बिहारी बाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी और सभी वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे, इसमें संघ पदाधिकारी भी रहे ही होंगे, दिग्विजय सिंह की सौजन्यता का इससे बेमिसाल उदाहरण क्या हो सकता है कि उन्होंने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को मुख्यमंत्री निवास पर भोज दिया था| उसी मुख्यमंत्री निवास  के सामने उन्हें धरना देना पड़ा, जिसमें आज भाजपा के मुख्यमंत्री निवास करते हैं| दिग्विजय सिंह से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनके मुख्यमंत्री रहते जब भी कोई पूर्व मुख्यमंत्री मिलने का समय मांगते, तो दिग्विजय सिंह उनसे मिलने उनके निवास पहुंच जाते थे।

कमलनाथ की राजनीतिक सौजन्यता का भी कोई जवाब नहीं हो सकता| जिस नेता ने और पार्टी ने कमलनाथ की सरकार गिराई, उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया, उस नेता को मुख्यमंत्री बनने के बाद बधाई देने वे मुख्यमंत्री निवास पहुंच जाते हैं| धरने की इस घटना ने मध्य प्रदेश की राजनीतिक सौजन्यता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं| दलगत राजनीति अलग बात है राजनीति में एक दूसरे का सम्मान तो होना ही चाहिए| “वक्त है बदलाव का” कोई भी हमेशा पद पर नहीं रहता| आज समाज में पद को ही सम्मान देने की जो गलत परंपरा बन रही है, उसे तोड़ने की जरूरत है, इस दिशा में राजनेताओं  को पहल करना ही चाहिए|