दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में अघोषित आय के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि छुपाई गई आय अगर 50 लाख रुपए से कम है तो 3 साल बाद टैक्सपेयर्स को एसेसमेंट नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है। यानी ऐसे मामले में इनकम टैक्स का केस दोबारा नहीं खोला जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि इनकम टैक्स एसेसमेंट का एक्सटेंडेड 10 साल का रिव्यू पीरियड सिर्फ तभी लागू होता है जब अनुमानित अघोषित आय 50 लाख रुपए से ज्यादा होती है।
50 रिएसेसमेंट के नोटिस निरस्त किए
जस्टिस राजीव शखधर और गिरीश कठपालिया ने कहा है कि सामान्य मामलों में अगर छुपाई गई इनकम की राशि 50 लाख रुपए से कम है और संबंधति एसेसमेंट ईयर खत्म हुए तीन साल से ज्यादा वक्त हो चुका है तो किसी तरह का नोटिस जारी नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने करीब 50 ऐसे रिएसेसमेंट के नोटिस निरस्त कर दिए, जो एसेसमेंट ईयर 2016-17 और 2017-18 में जारी किए गए थे। इनमें इनकम कंसीलमेंट 50 लाख रुपए से कम था।
क्या है सेक्शन 148?: आयकर अधिनियम के इस सेक्शन के तहत एसेसिंग अफसर को यह लगता है कि किसी एसेसमेंट ईयर में कोई इनकम एसेसमेंट से बच गया है तो वह टैक्सपेयर्स के इनकम टैक्स रिटर्न के दोबारा एसेसमेंट के लिए नोटिस जारी कर सकता है।
टैक्स एक्सपर्ट्स ने किया स्वागत
टैक्स एक्सपर्ट्स ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि कोर्ट इस फैसले से भविष्य में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से जारी होने वाले गैरजरूरी नोटिस को चैलेंज करना आसान हो जाएगा। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म एकेएम ग्लोबल के येशू सहगल ने कहा कि अब सेक्शन 148 के तहत जारी किए ऐसे पुराने नोटिस निरस्त हो जाएंगे, जिनमें इनकम कंसीलमेंट 50 लाख रुपए से कम है।
एसेसिंग अफसर के क्या है अधिकार ?
सेक्शन 148 के तहत एसेसिंग अफसर (एओ) को आइटीआर के दोबारा एसेसमेंट के लिए टैक्सपेयर को नोटिस जारी करने का अधिकार है। लेकिन, आम तौर पर 3 साल बीत जाने के बाद नोटिस जारी नहीं किया जा सकता। अगर कम से कम 50 लाख रुपए की आय छुपाए जाने का सबूत है तो तीन साल के बाद भी नोटिस जारी किया जा सकता है।