भोपाल। मप्र में वन्यप्राणी के हमलों में होने वाली जनहानि में मुआवजा राशि महाराष्ट्र राज्य के मुकाबले कई गुना कम है। जहां मप्र में यह राशि 8 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है वहीं महाराष्ट्र में यह राशि 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है। मप्र में यह राशि बढ़ाये जाने के लिये वन विभाग में कवायद चल रही है परन्तु चूंकि नौ माह पहले ही यह मुआवजा राशि 4 लाख रुपये से बढ़ाकर आठ लाख रुपये की गई है, इसलिये वन विभाग फिलहाल यह राशि नहीं बढ़ाना चाहता है।
भोपाल स्थित वन मुख्यालय ने राज्य शासन के समक्ष प्रस्ताव पेश किया था कि विगत समय में घटित जनहानि के प्रकरणों में स्थानीय ग्रामीणों दवारा क्षतिपूर्ति राशि को बढ़ाये जाने की मांग की गई है। वर्ष 2023 पेंच टाइगर रिज़र्व के बफर जोन में बाघ द्वारा 3 एवं दक्षिण सिवनी वनमंडल में 1 जनहानि की गई थी। प्रकरण में ग्रामीणों द्वारा भारी असंतोष व्यक्त किया गया एवं क्षतिपूर्ति राशि रु. 8 लाख से बढ़ाकर महाराष्ट्र राज्य में दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की राशि 25 लाख रुपये दिये जाने की मांग की गई है।
क्षतिपूर्ति की राशि कम होने के कारण जनहानि से प्रभावित ग्रामीणों द्वारा वन्यप्राणियों को जहर देकर मारने एवं उन्हें नुकसान पहुंचाने की संभावना बनी रहती है। वन मुख्यालय ने यह भी बताया है कि जनहानि पर मप्र में मुआवजा राशि 8 लाख रुपये और उपचार पर हुआ व्यय तथा स्थाई अपंगता पर 2 लाख रुपये है, तो छत्तीसगढ़ में जनहानि पर सिर्फ 6 लाख रुपये है व स्थाई अपंगता पर कोई राशि देय नहीं है। इसी प्रकार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात में जनहानि पर यह राशि 5-5 लाख रुपये है जबकि उप्र स्थाई अपंगता पर 4 लाख रुपये, राजस्थान में 3 लाख रुपये एवं गुजरात में 2 लाख रुपये दिये जाते हैं। महाराष्ट्र में जनहानि पर 25 लाख रुपये दिये जाते हैं एवं स्थाई अपंगता पर साढ़े सात लाख रुपये देते हैं।
वन मुख्यालय का कहना है कि मप्र के अधिकांश बाघ एवं तेन्दुआ बाहुल्य जिले मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर स्थित हैं। इस कारण महाराष्ट्र में भुगतान की जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि की तुलना प्रदेश में दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि से होना स्वाभाविक है और कम क्षतिपूर्ति राशि मिलने पर मृतकों के परिजनों में वन्यप्राणियों के प्रति रोष उत्पन्न होना भी स्वाभाविक है। इसलिये मप्र में जनहानि पर 12 लाख रुपये एवं व्यक्ति की मृत्यु यदि घायल किये जाने के पश्चात इलाज के दौरान हुई हो तो इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय तथा मृतक के उत्तराधिकारी को 5 हजार रुपये प्रतिमाह मृत्यु दिनांक से आगामी 5 वर्षों तक दिया जाना चाहिये।
इसके अलावा, स्थायी अपंगता होने पर 5 लाख रुपये एवं इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय तथा 1 हजार रुपये प्रतिदिन अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि हेतु (अधिकतम सीमा 1 लाख रुपये) दिया जाना चाहिये। यदि वन्यप्राणी के हमले में कोई व्यक्ति घायल हुआ है तो घायल व्यक्ति के इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय तथा 1 हजार रुपये प्रतिदिन अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि हेतु (अधिकतम सीमा 1 लाख रुपये) दिया जाना चाहिये।
विगत 3 वर्षों में उपरोक्त प्रकरणों में क्षतिपूर्ति दिये जाने पर औसतन प्रतिवर्ष 15 करोड़ 90 लाख रुपये व्यय हुये हैं। वर्ष 2023-24 में अब तक जनहानि, जनघायल तथा पशु हानि प्रकरणों में 15 करोड़ 3 लाख रुपये की राशि पीडि़त परिवारों को भुगतान की जा चुकी है। नवीन दरें लागू होने पर प्रतिवर्ष बजट मद 3896- वन्यप्राणियों द्वारा क्षतिपूर्ति में मुआवजे में अधिकतम रु. 23 करोड़ 70 लाख रुपये का व्यय संभावित है।