प्रदेश में सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस की बड़ी सर्जरी, ऐसे नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया जिन्होंने आवेदन ही नहीं दिया


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स्टोरी हाइलाइट्स

इसमें पूर्व मंत्री और विधायक शामिल, कमलनाथ, दिग्विजय और पटवारी का दबदबा रहा कायम, CWC मेंबर कमलेश्वर पटेल की हुई अपेक्षा, नेता प्रत्यक्ष उमंग सिंगार के खाते में आई धार, भोपाल में रिपीट हुए प्रवीण और पटेल, विरोध के स्वर भी हुए तेज..!!

कांग्रेस ने आखिरकार जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया है। करीब 2 महीने चली मशक्कत के बाद संगठन साजन के नाम पर केवल एडजस्टमेंट की तस्वीर नजर आती है। मसलन महाकौशल में कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्य भारत में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समर्थकों को तरजीह दी गई है। बिना में सतना और रेवा को छोड़कर सीधी से लेकर सिंगरौली अनूपपुर से लेकर शहडोल तक पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह समर्थक को जिला अध्यक्ष बनाया गया।

एआईसीसी ने 71 जिलाध्यक्ष घोषित कर दिए हैं, जिनमें वो नाम भी हैं जो कभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के दावेदार थे, यानी कांग्रेस के बड़े चेहरे। पार्टी ने दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और भतीजे प्रियव्रत सिंह समेत तमाम दिग्गजों को जिलाध्यक्ष बनाकर सबको हैरत में डाल दिया है। यही नहीं सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के मेंबर ओमकार सिंह मरकाम और 6 मौजूदा विधायकों को भी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर भीतर और बाहर वालों को पार्टी ने चौंका दिया है। 

मरकाम कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (सीईसी) के मध्य प्रदेश से एकमात्र सदस्य भी हैं। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश ने जिलाध्यक्ष बनने के लिए प्रयास भी नहीं किए थे। फिलहाल कांग्रेस ने 71 जिलाध्यक्षों की लिस्ट में 4 महिलाओं, 2 अल्पसंख्यक नेताओं, 6 मौजूदा विधायकों, 10 पूर्व विधायकों बतौर जिलाध्यक्ष काम करने का मौका दिया है। इधर, जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ ही कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी सामने आने लगी है। कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर नियुक्तियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

क्षत्रपों का दबदबा कायम

जिलाध्यक्षों की सूची जारी होने के साथ ही क्षेत्रीय क्षत्रपों का दबदबा भी देखने को मिला। कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अरूण यादव, कांतिलाल भूरिया, जैसे दिग्ग्ज नेता अपने जिलों में समर्थकों को अध्यक्ष बनवाने में सफल रहे। लेकिन पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह अपने ही जिले में किसी को भी जिला अध्यक्ष नहीं बनवा सके। सबसे अधिक समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने में कमलनाथ सबसे आगे रहे। इसके बाद दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी का नाम है। पार्टी ने चौकाने वाले निर्णय के साथ ही साफ  संकेत दिया है कि पूरी जमावट वर्ष 2028 के विधानसभा चुनाव और 2029 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की दृष्टि से की गई है। यही कारण है कि बड़े नेताओं को भी जिलाध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी ने छह वर्तमान और 21 पूर्व विधायकों को भी जिम्मेदारी दी है।

दो अल्पसंख्यक नेताओं को मौका, 18 को किया रिपीट

कांग्रेस ने दो अल्पसंख्यक नेताओं को भी जिलाध्यक्ष बनाया है। सतना शहर से आरिफ इकबाल सिद्दिकी और पन्ना से अनीस खान को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं कांग्रेस ने 71 जिलाध्यक्षों में से भोपाल, इंदौर, जबलपुर, विदिशा, मुरैना ग्रामीण, टीकमगढ़, छिंदवाड़ा, सीहोर, विदिशा, झाबुआ, शाजापुर, मैहर, सीधी, अशोकनगर समेत 18 जिलाध्यक्षों को रिपीट किया है।

जातीय संतुलन बनाने की भी कोशिश

कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान के जरिए जातीय संतुलन बनाने की भी कोशिश की है। कांग्रेस ने 71 जिलाध्यक्षों में से 28 सवर्ण नेताओं को जिम्मेदारी दी है। जबकि 23 ओबीसी, 8 एससी, 9 एसटी और एक जैन समाज के नेता को मिलाकर 3 माइनॉरिटी वर्ग के नेताओं को कांग्रेस ने जिलाध्यक्ष बनाया है। जीतू पटवारी की नयी टीम में तकरीबन 95 फीसदी जिलाध्यक्ष 50 बरस के आस-पास के हैं।

एक सवाल यह भी

जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने अपने तेवर साफ कर दिए हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी सत्ता परिवर्तन करके ही दम लेगी, लेकिन एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि क्या जीतू पटवारी के बराबर राजनीतिक कद और अनुभव रखने वाले जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, ओमकार सिंह मरकाम सरीखे दिग्गज पटवारी की लीडरशिप में काम कर पाएंगे भी या नहीं।

महापौर, विधानसभा और लोकसभा के बाद जिलाध्यक्ष का पद  

कांग्रेस के सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को सतना ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है। कुशवाह एकमात्र ऐसे नेता है, जो कांग्रेस की तरफ से महापौर, लोकसभा का चुनाव तक लड़ चुके हैं। यही नहीं वे फिलहाल एमपी कांग्रेस ओबीसी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यानी बिना प्रदेश में पिछड़े वर्ग के नाम पर सिद्धार्थ कुशवाहा को प्रोजेक्ट करने की कोशिश की जा रही है इसकी वजह से पिछड़ा वर्ग के अन्य का डाबर नेता नाराज दिखाई दे रहे हैं। यही वजह है कि जमीनी कार्यकर्ताओं और युवाओं को अवसर देने के पार्टी के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इन पूर्व विधायकों को भी मौका

कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों के लिए पूर्व विधायकों को भी मौका दिया है। इसमें मुकेश पटेल को अलीराजपुर, निलय डागा को बैतूल, रवींद्र महाजन को बुरहानपुर ग्रामीण, विपिन वानखेड़े को इंदौर ग्रामीण, संजय यादव को जबलपुर ग्रामीण, डॉ. अशोक मर्सकोले को मंडला, सुनीता पटेल को नरसिंहपुर, जतिन उईके को पांढुर्णा, प्रियव्रत सिंह को राजगढ़, हर्ष विजय को रतलाम ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है।

आगामी चुनावों पर पड़ेगा असर

राजनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि इन नियुक्तियों का सीधा असर 2028 के विधानसभा चुनावों और उसके पहले होने वाले नगरीय निकाय व पंचायत चुनावों पर पड़ेगा। मजबूत जिलाध्यक्ष पार्टी के लिए वोटों की जमीनी लड़ाई को आसान बना सकते हैं। लेकिन अगर युवाओं और नए कार्यकर्ताओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिला, तो अंदरूनी असंतोष भी पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है।

इधर पार्टी में छिड़ा घमासान

जिला अध्यक्षों की सूची जारी होते ही पार्टी के भीतर घमासान और गुटबाजी तेज हो गई है। कई जिलों में नवनियुक्त अध्यक्षों को लेकर विरोध और नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। भोपाल शहर की कमान एक बार फिर प्रवीण सक्सेना को सौंपे जाने पर पूर्व अध्यक्ष मोनू सक्सेना और उनके समर्थक खासे नाराज हैं। सक्सेना के समर्थकों ने फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर इस नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। खातेगांव विधानसभा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और जीतू पटवारी के करीबी माने जाने वाले गौतम बंटू गुर्जर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बंटू गुर्जर ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है। गुर्जर ने प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी पर संगठन विसर्जन करने का आरोप लगाया है। बुरहानपुर में कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारी जताने वाले लोनी के कांग्रेस नेता हेमंत पाटिल ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा मैं कार्यकर्ता हूं और कार्यकर्ता रहूंगा।

छह विधायकों को मौका

कांग्रेस ने 6 विधायकों को जिलाध्यक्ष बनाया है। उनमें सिलवानी से विधायक देवेंद्र पटेल को रायसेन,ओमकार सिंह मरकाम को डिंडौरी, सिद्धार्थ कुशावाहा को सतना ग्रामीण, राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह को गुना, तराना विधायक महेश परमार को उज्जैन ग्रामीण और बैहर विधायक संजय उईके को बालाघाट की जिम्मेदारी दी है।