MP में 15 सीट जीतेगी कांग्रेस, जानिए पटवारी के दावे में कितना दम?


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स्टोरी हाइलाइट्स

विधानसभा चुनाव परिणाम से कांग्रेस को आशा लेकिन आसान नहीं राह..!! 

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं। भाजपा जहाँ इस बार मिशन 29 के लिए पूरी ताकत लगा रही है वहीं कांग्रेस अपनी एक मात्र लोकसभा सीट बचाने की चुनौती के साथ प्रदेश में अपने प्रदर्शन को सुधारने की रणनीति तैयार कर रही है। 

इस बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर बड़ा दावा किया है। जीतू पटवारी के मुताबिक़ इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कम से कम 15 सीटें जीतने जा रही है। जीतू पटवारी हालांकि ये नहीं बता सके कि जिन 15 सीटों पर वे जीत का दावा कर रहे हैं वो कौन सी होंगी?

अगर 2019 के लोकसभा चुनाव  की बात की जाये तो छिंदवाड़ा को छोड़कर शेष 28 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज़ की थी। इस बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा की निगाह है। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने संकेत दिया है कि इस बार छिंदवाड़ा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी मैदान में उतार सकती है। 

यानी इस बार कांग्रेस के लिए अपने दिग्गज नेता कमलनाथ का गढ़ बचाना भी मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश में 15 सीटें जीतने का दावा सियासी पंडितों को फिलहाल तो बेहद ही मुश्किल दिखाई दे रहा है लेकिन अगर विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखा जाय तो कम से कम 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा को चुनाव में विपरीत हालातों का सामना करना पड़ा है।

इनमें छिंदवाड़ा, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, टीकमगढ़, मंडला, बालाघाट, रतलाम, धार, और खरगोन सीट ऐसी है जहां कांग्रेस ने या तो भाजपा पर लीड ली है या भाजपा को कड़ी चुनौती पेश की है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी सातों विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। इसी तरह मुरैना की पांच, भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।

अगर इन सीटों पर कांग्रेस अपना प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होती है या प्रदर्शन में और सुधार करती है तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव के नतीजे उसके लिए 2019 की तुलना में बेहतर हो सकते हैं। लेकिन जिस तरह कांग्रेस नेताओं में पलायन का दौर शुरू हुआ है और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी सरकार के लिए माहौल दिखाई दे रहा है उसमें कांग्रेस के लिए उम्मीद कम ही नज़र आ रही है।