सामुदायिक वन संसाधन के अध्ययन हेतु बनी समिति के अध्यक्ष को लेकर विरोधी स्वर उभरे


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स्टोरी हाइलाइट्स

विरोध करने वाले वर्किंग सीनियर ऑफिसर का कहना है कि फील्ड में काम करना और करवाना सेवारत अधिकारियों के हाथ में है तो फिर रिटायर्ड अफसरों को कमेटी में रखना कहां का औचित्य है..!!

भोपाल: पीसीसीएफ वर्किंग प्लान मनोज अग्रवाल एक बार विवादों की सुर्खियों में आ गए हैं। इस बार उनके द्वारा बनाई गई दो समितियों में दो सेवानिवृत पीसीसीएफ को ग्रुप लीडर बनाए जाने को लेकर विरोध शुरू हो गया है। विरोध करने वाले वर्किंग सीनियर ऑफिसर का कहना है कि फील्ड में काम करना और करवाना सेवारत अधिकारियों के हाथ में है तो फिर रिटायर्ड अफसरों को कमेटी में रखना कहां का औचित्य है। 

अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत धारा-2 (क) एवं धारा-(3) (1) (झ) में सामुदायिक वन संसाधन (CFRR) के अधिकारों का प्रावधान है। सामुदायिक वन प्रबंधन की दिशा में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य ने मध्य प्रदेश से कहीं बेहतर कार्य कर रहे हैं। 

इसी मापदंड को दृष्टिगत रखते हुए राज्यपाल मंगू भाई पटेल के निर्देश पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्य आयोजना मनोज अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र  के अन्तर्गत वनों में वितरित वन संसाधनों के अधिकार (CFRR) की प्रगति एवं उनके स्थल निरीक्षण हेतु दो दल राज्यवार गठित किए हैं। छत्तीसगढ़ के लिए गठित दल का नेतृत्व रिटायर्ड पीसीसीएफ रमेश श्रीवास्तव करेंगे। 

इस दल में पद्मप्रिया मुख्य वन संरक्षककार्य-अयोजना आंचलिक इन्दौर गौरव चौधरी वन संरक्ष वन वृत्त, बालाघाट, राजेश कन्ना उप संचालक, संजय टाईगर रिजर्व सीधी विपिन पटेल डीएफओ अनूपपुर को शामिल किया है। दल छत्तीसगढ़ राज्य में सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों (CFRR) के निरीक्षण कर के आगामी कार्य-क्रम से इस कार्यालय को अवगत कराने का कष्ट करें। 

इसी प्रकार महाराष्ट्र मैं हुए कार्यों के निरीक्षण करने के लिए रिटायर्ड पीसीसीएफ चितरंजन त्यागी को ग्रुप लीडर बनाया गया है। इस दल में बासु कनौजिया वन संरक्षक बैतूल, राकेश डामोर डीएफओ खंडवा, प्रदीप मिश्रा डीएफओ इंदौर और सुश्री संध्या डीएफओ वर्किंग प्लान बालाघाट को शामिल किया गया है। कमेटी में ग्रुप लीडर रिटायर्ड अफसर के बनाए जाने पर विरोध केश्वर सुनाई देने लगे हैं। एक पीसीएफ ने तो आईएफएस एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप में ही अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। आदेशों में बैचमेट की सहानुभूति झलकती है। 

एक अन्य पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी की प्रतिक्रिया है कि ये आदेश सेवारत अधिकारियों का मनोबल गिराने वाले और उनके प्रति अपमानजनक हैं। एक ऑफिसर का कहना है कि एपीसीसीएफ रैंक के सेवारत अधिकारियों को टीम लीडर नियुक्त किया जा सकता है, जबकि सेवानिवृत्त अधिकारियों को सलाहकार नियुक्त किया जा सकता है।