भोपाल. जंगल महकमे में प्रशासनिक अराजकता का माहौल बनता जा रहा है.आईएफएस अफसर में टकराहट की स्थिति बन गई है.आलम यह है कि अब आईएफएस अधिकारी पदस्थापनाओं का खुलकर विरोध करने लगे हैं. ताजा मामला पीसीसीएफ पद पर पदोन्नति के बाद कैम्पा पीसीसीएफ के पद पर महेंद्र सिंह धाकड़ की पोस्टिंग को लेकर है. इस पद के प्रमुख दावेदार एवं आईएफएस एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अतुल श्रीवास्तव मैं अपने मुखिया के समक्ष एतराज बताया है.
पिछले दिनों 1989 बैच के महेंद्र सिंह धाकड़ और एचयू खान को एपीसीसीएफ से पीसीसीएफ के लिए प्रमोट हुए. विभाग में राजनीतिक गुणा-भाग से एपीसीसीएफ से पीसीसीएफ बने महेंद्र सिंह धाकड़ 600 से लेकर 700 करोड़ वाले बजट शाखा केंपा में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी और प्रमोशन के बाद भी वहीं बने रहे. जबकि विभाग की परंपरा रही है कि कैंपा पीसीसीएफ के पद पर सीनियर अधिकारी की पोस्टिंग होती रही है.
इसके अनुसार इस पद पर लंबे समय से पदस्थ वर्किंग प्लान पीसीसीएफ डॉ अतुल श्रीवास्तव की कैम्पा शाखा में पोस्टिंग होनी थी पर नहीं की गई. डॉ श्रीवास्तव आईएफएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी है, ने बिरादरी के एक कार्यक्रम में वन बल प्रमुख आरके गुप्ता के समक्ष धाकड़ की पदस्थापना का विरोध किया. हक और योग्यता होने के बाद भी कैंपा शाखा में पदस्थापन नहीं होने के कारण निराश और हताश है. सूत्र ने बताया कि वन मंत्री डॉ विजय शाह भी धाकड़ को कैंपा शाखा में पीसीसीएफ पद पर नियुक्त किया जाए, इसके पक्ष में नहीं है
बिना प्रभार दिए प्रशिक्षण पर और मुखिया को पता ही नहीं
मामला होशंगाबाद सर्कल से जुड़ा हुआ है. वन विभाग ने 2008 बैच के आईएफएस अधिकारी पीएन मिश्रा की पदस्थापना वर्किंग प्लान अफसर होशंगाबाद के पद पर की है. वर्किंग प्लान में पोस्टिंग होने के बाद मिश्रा 28 अगस्त को प्रोफेशनल स्किल्स अपग्रेडेशन कोर्स (पीएसयूसी) की ट्रेनिंग में चले गए. यह प्रशिक्षण 2 महीने से अधिक समय का है, इसलिए प्रशिक्षण पर जाने से पहले उन्हें अपना कार्यभार किसी अन्य आईएफएस को सौंपना था. मिश्रा ने किसी दूसरे को कार्यभार सौंपे बिना ही प्रशिक्षण पर चले गए. इस संदर्भ में जब वन बल प्रमुख आरके गुप्ता और प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन-एक आरके यादव को उम्मीद थी कि प्रशिक्षण पर जाने से पहले अपने पद का प्रभार किसी अन्य को सौंप कर गए होंगे. जब उन्हें इस बात से अवगत कराया गया कि ऐसा नहीं हुआ है, तब प्रशासन-एक पीसीसीएफ यादव ने बताया कि विभाग उनसे स्पष्टीकरण मांगने जा रहा है.
अनूपपुर में डीएफओ विरुद्ध एसडीओ-रेंजर्स
अनूपपुर वन मंडल में खरीदी में कमीशन बाजी को लेकर डीएफओ के खिलाफ एसडीओ और रेंजरों ने मोर्चा खोल दिया है. इस संदर्भ में सीसीएफ शहडोल लखन सिंह उईके ने जांच प्रतिवेदन वन बल प्रमुख को भेज दिया है पर अभी तक एक्शन नहीं लिया गया है. सूत्रों का कहना है कि डीएफओ को मुख्यालय में बजट बांटने वाले एपीसीसीएफ का वरदहस्त है. ताजा मामला सर्च लाइट टॉर्च एवं बायना कूलर की खरीदी में गड़बड़ी होने की आशंका के चलते क्रय समिति के सदस्यों ने अपनी सहमति नहीं दी है. सूत्रों का कहना है कि जिस टार्च की कीमत बाजार में 6000 से 9000 के बीच में है, उसे 14000 से लेकर 15000 में खरीदा गया. यह खरीदी भी ग्वालियर की संस्था पोजिशनिंग और सॉल्यूशन ग्वालियर से हुई है. सूत्रों बताया कि दांत की सप्लाई भी एक रिटायर्ड अफसर के बेटे ने की है. खरीदी में क्रय समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण क्रय किए गए टॉर्च का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है. डीएफओ और एसडीओ- रेंजर्स के बीच चल रहे ढूंढ के चलते वन मंडल की विकास गतिविधियां ठप पड़ी हुई है.
मामला न्यायालय में और राजसात गाड़ियां छोड़ दी
डीएफओ की मनमानी का मामला पन्ना वन मंडल से जुड़ा हुआ है. मामला पुराना था किंतु न्यायालय के फैसले ने उत्तर वन मंडल पन्ना के डीएफओ के कर प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. न्यायालय की फैसला आने के बाद शीर्षस्थ अधिकारी उसे बचाने में लगे हैं. प्रकरण 2016 का है. विभाग के कर्मचारियों ने अवैध परिवहन करते हुए वाहनों को राजसात किया था. राजशत की कार्रवाई के लिए प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. स्पीड पन्ना उत्तर वन मंडल में नए डीएफओ आए और उन्होंने न्यायालय में लंबित प्रकरण की अनदेखी करते हुए राजसात की गया वाहन को छोड़ दिया.