वन मुख्यालय ने जलाऊ चट्टे एवं बल्ली की ई-नीलामी नहीं करने की अनुमति मांगी


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन विभाग के लकड़ी विक्रय केंद्रों में 300 करोड़ रुपयों की लकडिय़ां नहीं बिकी हैं क्योंकि विदेश से सस्ती लकडिय़ा आ रही हैं..!!

भोपाल: राजधानी में स्थित वन मुख्यालय की उत्पादन शाखा ने राज्य शासन से वन विभाग के विभिन्न डिपो में जलाऊ चट्टे एवं बल्ली/डेंगरी की ई-नीलामी न करने की अनुमति मांगी है। इसके पीछे तर्क दिया है कि इनका क्रय छोटे व्यापारी करते हैं जो ऑनलाइन प्रक्रिया से अवगत नहीं हैं तथा पिछली कई ई-नीलामी में इनका विक्रय भी नहीं हो पा रहा है तथा बार-बार इनकी नीलामी की कीमत करने के बावजूद इनका विक्रय नहीं हो पा रहा है। 

अब वन विभाग इस मांगी गई अनुमति का परीक्षण कर रहा है। हालांकि वह उत्पादन शाखा के तर्कों एवं समस्या से सहमत है। ज्ञातव्य है कि वन डिपों में इमारती लकड़ी का विक्रय तो ई-नीलामी से हो जाता है क्योंकि इसकी मांग अधिक है और इसका हिस्सा कुल काष्ठों में करीब 70 प्रतिशत रहता है। लेकिन जलाऊ चट्टों एवं बल्ली/डेंगरी का विक्रय नहीं हो पाता है।

लक्ष्य से कम हुई आय:

वन विभाग को वर्तमान वित्तीय वर्ष में लक्ष्य से कम आय हुई है। फरवरी 2024 में उसकी आय लक्ष्यानुसार 1449 करोड़ 53 लाख रुपये होनी चाहिये परन्तु हुई 1245 करोड़ 48 लाख रुपये। इस प्रकार 200 करोड़ 5 लाख रुपये की कम आय हुई है। इसके पीछे कारण बताया गया है कि इस साल वन विभाग के लकड़ी विक्रय केंद्रों में 300 करोड़ रुपयों की लकडिय़ां नहीं बिकी हैं क्योंकि विदेश से सस्ती लकडिय़ा आ रही हैं जिससे इनकी वन डिपो में नीलामी नहीं हो पा रही है। वित्त वर्ष के अंतिम माह मार्च में भी यही स्थिति रहने वाली है। इसीलिये वन मुख्यालय ने जलाऊ चट्टों, बल्ली/डेंगरी को ई-नीलामी से दूर करने की मांग की है ताकि वह लक्ष्यानुसार राजस्व आय प्राप्त कर सके।