डेढ़ करोड़ के जंगल कट गए और डीएफओ को दौर में उसी क्षेत्र में तेंदुए- बाघ के पंजे दिखे विनाश के ठूँठ नहीं..!


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स्टोरी हाइलाइट्स

एसीएस, हॉफ से सीएफ तक शिकायत पर अभी तक डीएफओ के खिलाफ कोई एक्शन नहीं..!!

भोपाल। नर्मदापुरम वन मंडल में सागौन गोल्ड वुड के नाम प्रख्यात सागौन इटारसी रेंज के पांडरी वन क्षेत्र के अंतर्गत RF 112 में 356 वृक्ष की अवैध कटाई हो गई।  नर्मदापुरम के उड़न दस्ता दल के पीओआर के हिसाब से एक करोड़ 55 लाख रु मूल्य की सागौन गोल्ड वुड कट गए। न डीएफओ पर कार्रवाई हुई और न ही सीएफ नर्मदापुरम से स्पष्टीकरण मांगा गया। सबसे गंभीरजनक पहलू यह है कि सीएफ ने मौके पर निरीक्षण करना उचित नहीं समझा। यह कटाई तब हुई जब प्रोटेक्शन के एक्सपर्ट माने जाने वाले पीसीसीएफ मनोज अग्रवाल संरक्षण शाखा के मुखिया थे। 

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नर्मदापुरम के इटारसी रेंज के पांडरी वन क्षेत्र के अंतर्गत डेढ़ करोड़ के सागौन गोल्ड वुड के जंगल कटने की शिकायत राज्य वन सेवा के सेवानिवृत अधिकारी रहे मधुकर चतुर्वेदी ने नर्मदा पुरम में पदस्थ सीएफ लेकर वन भवन में संरक्षण शाखा के प्रमुख रहे मनोज अग्रवाल, तत्कालीन वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव और एसीएस अशोक वर्णवाल से की पर किसी ने भी सीएफ और डीएफओ के खिलाफ एक्शन नहीं लिए है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब पोस्टिंग मैनेजमेंट कोटे से हो रही है तो फिर एक्शन कैसे हो सकता है।

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शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नर्मदा पुरम के  सीएफ-डीएफओ पर एक्शन न हों, इसके लिए उड़नदस्ता की रिपोर्ट न मानते हुए  डीएफओ मयंक गुर्जर द्वारा उस हानि को टुकड़े- टुकड़े में अपराध  प्रकरण ( 27 नवंबर 24),  (28 नवंबर 24), (29  नवंबर24  और 30 नवंबर 24) दर्ज कर मामले को दबाने की कोशिश की गई, ताकि हानि का कम आकलन किया जाकर सीएफ और डीएफओ की जिम्मेदारी और उनकी निष्क्रियता के आरोप से बचाया जा सके। इस क्षेत्र के परिक्षेत्र सहायक राजेंद्र नागवंशी के विरुद्ध लोकायुक्त प्रकरण दर्ज होने से उन्हें हरदा वन मंडल में पदस्थ कर दिया गया किंतु DFO नर्मदा पुरम ने उनके स्थान पर किसी अधिकारी की पूर्णकालिक पोस्टिंग नहीं की। इसकी वजह से लकड़ी माफिया सक्रिय हो गए और लगातार अवैध कटाई होती रही। 

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ऐसी पकड़ी गई डीएफओ की निष्क्रियता

इस अवैध कटाई की सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि  5 अक्टूबर 24 को उन्होंने अपनी डायरी में छिपीखापा बीट का निरीक्षण तो बताया। निरीक्षण के दौरान उन्हें जिसमें उन्हें तेंदुआ बाघ के पद चिन्ह तो दिख गए किंतु जंगल के विनाश के कोई ठूंठ नहीं दिखना आश्चर्य जनक है। इसके पहले छिपीखापा बीट क्षेत्र की सुरक्षा श्रमिकों से सुरक्षा करवाने  की  कोई  योजना डीएफओ मयंक गुर्जर ने नहीं बनाई न उस क्षेत्र का कभी सघन निरीक्षण किया। 

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सुरक्षा पहरी कर रहें बंगले की चाकरी

चतुर्वेदी ने अपने शिकायत पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि डीएफओ शासकीय आवास पर जो  VVIP क्षेत्र में बना है, उसकी सुरक्षा और सेवा हेतु 12 कर्मचारी चुस्त चौबंद खड़े रहते है।  जिनका वेतन वन समिति से वन सुरक्षा के नाम से डीएफओ अपने विश्वस्त  लेखापाल सुनील बटोरे के द्वारा जो लगभग 1लाख 50 हजार भुगतान किया जाता है। वन रक्षक जिन्हें वन सुरक्षा के लिए सेवा में भर्ती किया है। वे सब कार्यालय में बाबू वर्ग की सहायता कर रहे हैं जबकि वरिष्ठ APCCF एवं प्रशासन दो के मुखिया रहे एचएस मोहता के निर्देश  जारी हैं कि वन रक्षकों को कार्यालय कार्य में न रखें  फिर भी डीएफओ को वरिष्ठ के आदेश के उलंघन हो रहा पर कोई एक्शन नहीं हो रहा है। 

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अवैध कटाई कर सागौन की लकड़ी पुलिस के कब्जे में क्यों

यह यक्ष प्रश्न भी उठ रहा है कि RF 112 की 356 वृक्षों ओर पूर्व 239 वृक्षों की अवैध कटाई कर सागौन की लकड़ी पुलिस के कब्जे में क्यों है? जब्ती तो फॉरेस्ट विभाग को करना थी। इस संबंध में बताया जा रहा है कि 14 अप्रैल 24 को उड़न दस्ते ने रेंजर इटारसी को रात 3 बजे सूचना दी कि सागौन लकड़ी गुर्रा थाने में लाकर रखी गई है।  गुर्रा थाने से लकड़ी जप्त करने गए वन कर्मचारियों का थाने के स्टाफ से विवाद हो गया। विवाद का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो वायरल में थाने का स्टाफ बैंड कर्मियों को धमकाते हुए लकड़ी जप्त न करने की धमकी दे रहा है कि 'साहब' के कहने पर हम लकड़ी यहां लेकर आए हैं। यानि इस अवैध कटाई में इटारसी के किसी पुलिस अधिकारी की परोक्ष रूप से संलिपप्ता है। यही वजह है की खबर लिखने तक अवैध कटाई सागोन की लकड़ी पुलिस के कब्जे में है।

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पीसीसीएफ संरक्षण ठाकुर एक्शन मूड में

नर्मदापुरम में डेढ़ करोड़ के जंगल कट जाने संबंधित शिकायत और काटे गए सागौन वृक्षों के ठूँठ की तस्वीरें पीसीसीएफ संरक्षण विभाग ठाकुर तक पहुंची। ठाकुर ने बिना देरी किए नर्मदापुरम के सीएफ-डीएफओ से जवाब तलब किया है। बातचीत में उन्होंने इसे गंभीर प्रकरण मानते हुए बताया कि भोपाल से राज्यश्री उड़न दस्ता बेचकर जांच कराएंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई होगी।

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